महाशिवरात्रि हमारा एक महत्वपूर्ण और पवित्र त्यौहार है। हर साल इस दिन सभी शिव-भक्त इसे पूरे उत्साह और प्रसन्नता के साथ मनाते है। किन्तु साल 2018 में महा शिवरात्रि को एक नहीं बल्कि दो दिन मनाया जाएगा और इसका कारण है इसकी तिथि को लेकर संशय।
जी हाँ, वर्ष 2018 में इस पर्व को लेकर लोगों में असमंजस व्याप्त है क्योंकि इस वर्ष फरवरी माह की 13 एवं 14 दोनों ही तारीखों में चतुर्दशी का संयोग बन रहा है। हांलाकि इस पर्व का शासकीय अवकाश 14 फरवरी को घोषित किया गया है, फिर भी इस पवित्र त्योहार को दो दिन मनाने की स्थिति बन रही है। ज्योतिषियों की राय भी इस पर्व की तिथि को लेकर एक नहीं है।
कहा जा रहा है कि गौरीशंकर मंदिर और मारकण्डेश्वर मंदिर सहित कई अन्य मंदिरों में महाशिवरात्रि 13 फरवरी को मनाई जाएगी, जबकि अन्य मंदिरों में अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
इस पर्व से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य है जिसका जानना आपके लिए बहुत ज़रूरी है। सबसे पहले हम आपको यह बता दें कि महाशिवरात्रि संक्रान्ति की तरह प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है जिसे मासिक शिवरात्रि कहा जाता है। जब यह फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है तब इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है।
किस दिन मनाएँ महा शिवरात्रि?
हमारा मत है कि 13 फरवरी की रात 10:34 बजे तक त्रयोदशी रहेगी, इसके बाद चतुर्दशी प्रारंभ हो जाएगी और शास्त्रों की मानें तो महाशिवरात्रि त्रयोदशी युक्त चतुर्दशी को मनाई जानी चाहिए।
वहीं दूसरी और कुछ पंडितों का यह मानना है कि चतुर्दशी तिथि 14 फरवरी को उदया तिथि में हैं, इसलिए इस दिन पर्व मनाया जाए।
2018 में महाशिवरात्रि पर दो ख़ास संयोग
इस साल इस महान पर्व पर दो विशेष संयोग हैं। शिवरात्रि पर 13 फरवरी को प्रदोष रहेगा और अगले दिन यानि 14 फरवरी को वैद्यनाथ जयंती है जो की भगवान शिव का ही एक स्वरूप है।
पंचांग के अनुसार वर्ष 2018 में फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि 13 फ़रवरी को रात्रि 10 बजकर 34 मिनिट से प्रारंभ हो रही है जो दिनांक 14 फरवरी को रात्रि 12 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। इसी कारण इस वर्ष यह तिथि दो रात्रियों तक रहेगा। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 13 फरवरी को मनाया जाना ही शुभ होगा।
महाशिवरात्रि का महत्व
शिवरात्रि का उल्लेख स्कंद पुराण, लिंग पुराण और पद्म पुराणों में किया गया है। शैव धर्म परंपरा की एक पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव ने संरक्षण और विनाश के स्वर्गीय नृत्य का सृजन किया था किन्तु कुछ ग्रंथों में यह कहा गया है कि इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ था।
महा शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, रसाभिषेक को काफी अहम माना जाता है।