“प्यार और रोमांस” अपने आप में ही ऐसे शब्द हैं जो हर किसी को रोमांचित और उत्साहित रखते हैं। प्यार एक ऐसा विषय है जिससे हर कोई प्रभावित रहता है। “रोमियो-जूलिएट, “ हीर- राँझा, “ सोहिनी-महिवाल के किस्से भारत में हर किसी की जुबां से आपको सुनने को मिल सकते हैं। प्यार से जुड़े किस्से कहानियों को बॉलीवुड में भी खूब जगह मिली है। हर युवा युवती अपनी किशोरावस्था में यही सपने संजोए बड़े होते हैं कि उनसे प्यार करने वाला लाखों में एक हो। इसके साथ ही हर किसी को यह जानने की चाह रहती है कि उनका प्रेम जीवन कैसा रहेगा, उनका साथी कैसा होगा। हर प्रेमी-प्रेमिका चाहते हैं कि उनका संगी हर स्थिति में उनका साथ देने वाला हो। कब आपको उस व्यक्ति से मिलने का संयोग प्राप्त होगा, क्या उस व्यक्ति के मिलन के बाद आपका प्यार परवान चढ़ेगा और उसी दिशा में आगे बढ़ेगा जिस दिशा में आप चाह रहें हैं। इन प्रश्नों में, इन उत्सुकताओं में हम एक चीज़ पर जोर नहीं देते या कह सकते हैं उपेक्षा करते हैं वह है हमारा व्यवहार, जो कि सबसे महत्त्वपूर्ण बिंदु है। किसी भी सम्बन्ध को बनाने में और बिगाड़ने में आपका व्यवहार बहुत महत्वपूर्ण होता है यदि आपका व्यवहार अच्छा है तो रिश्ता बिगड़ते-बिगड़ते भी बन सकता है, और यदि आपका व्यवहार अच्छा नहीं है तो अच्छा खासा रिश्ता भी बिगड़ सकता है।
जैसा कि आप मेरे उदाहरण से समझ सकते हैं, जब मुझे मेरी किशोरावस्था में मेरे पारिवारिक ज्योतिषी ने कुण्डली विश्लेषण करने के बाद बताया कि प्यार के मामले में या कह लीजिए सम्बन्धों के मामले में कुंडली कमजोर है, निभाना तो छोड़िये शुरुआत ही करने में मुझे मुश्किलों या परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, दूसरा कि मेरा विवाह काफी देर से होगा, तीसरे दशक के अंत में, कि मेरी जो जीवनसंगिनी होगी वह व्यवसाय से एक शिक्षिका होगी, मुझे किसी पारिवारिक उत्सव में उससे मिलने का सौभाग्य प्राप्त होगा, वह देखने में सुन्दर होगी, मिलनसार होगी परन्तु निर्णय अपने अनुसार ही लेना पसंद करेगी, थोड़ा हावी रहेंगी, अब आप जब नौजवान अवस्था में होते हैं, हॉर्मोन का प्रवाह चरम पर होता है, और जब आप देखने में भी अच्छे हों (यह मैं अतिशयोक्ति नहीं कर रहा ) तब इन बातों की आप परवाह नहीं करते। आपको लगता है कि आप जिसे चाहेंगे वह आपको मिल जाएगा, और आप अपनी सही आयु में विवाह के बंधन में बंध जाएंगे , जो कि भारतीय समाज के अनुसार 24 वर्ष के आसपास होती है।
परन्तु अब जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ तो आश्चर्यजनक रूप से सभी वक्तव्य सही नजर आते हैं। मुझे प्यार के मामले में निराशा हाथ लगी, मेरा विवाह उनके कहे अनुरूप तीसरे दशक के अंत में हुआ, मेरी जीवन संगिनी एक सरकारी विभाग में शिक्षिका हैं। सब सही रहा उनका एक-एक वाक्य, इसे हम भाग्य का लेखा भी कह सकते हैं, परन्तु सब घटनाक्रम सही निकलने के बाद भी मुझे इसका कोई सही उत्तर नहीं मिला कि यह किस वजह से हुआ, क्या कोई ऐसे ग्रहयोग थे जिनकी वजह से मेरे व्यवहार में कोई कमी उत्पन्न हुई, जिन पर मुझे काम करने की जरूरत थी जिससे मुझे अपने सम्बन्ध बनाने और उनको और बेहतर करने में मदद मिलती, या जिनका संज्ञान लेकर मैं अपने वर्तमान संबंधों में सुधार कर सकता था।
इसी में यह एस्ट्रोसेज की “ लव एंड रोमांस” रिपोर्ट का विश्लेषण काम आता है जिसको आर्डर करने के बाद न केवल आपको सही घटनाक्रम की जानकारी मिलेगी बल्कि इसके साथ ही आपको आपके व्यवहार के बारे में जानकारी मिलेगी जिससे आपको समबन्धों को सही रूप से शुरू करने और उन्हें सही दिशा देने में सहायता मिलेगी !
जब मैंने यह रिपोर्ट ऑर्डर की तो न सिर्फ इसमें सारे इवेंट्स सही मिले बल्कि मुझे मेरे व्यवहार के बारे में जानकारी मिली जैसी कि मेरा संकोची स्वभाव, हार को बर्दाश्त नहीं कर पाना, खुद पर संदेह , न नहीं सुन पाना , खोने का डर, अत्यधिक चिंता, किसी भी चीज़ की धारणा बना लेना बगैर सोचे समझे जिस से मुझे सम्बन्ध बनाने में और उन्हें आगे ले जाने में परेशानी का सामना करना पड़ा!
इस रिपोर्ट में मुझे यह भी बताया गया कि कैसे मेरा “ शुक्र “ पीड़ित होने से उसने मुझे काफी ज्यादा अपेक्षाओं में बाँधा जिससे मेरे जीवन में आई काफी अच्छी संभावनाओं को मैंने ख़ारिज कर दिया!
यही सही दिशा निर्देश यदि मुझे पहले मिल गए होते तो मैं शायद अपने संबंधों को लेकर और सजग होता, पर देर आए दुरुस्त आए , अब में इन दिशा निर्देशों का पालन करके वर्तमान संबंधों को सँवार सकता हूँ!
-योगेश दरीरा