इन जातकों को धारण करना चाहिए लहसुनिया रत्न, पहनने से पहले जान लें इसकी ख़ासियत!

ज्‍योतिष शास्‍त्र में कई बेशकीमती रत्नों के बारे में चर्चा की गई है और इन रत्नों का संबंध ग्रहों से बताया गया है, जो हमारे जीवन को सकारात्मक और नकारात्मक तरह से प्रभावित करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही रत्न के बारे में जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं, जिसे लहसुनिया कहा जाता है। लहसुनिया रत्न मटमैले से रंग का चमकीला पत्थर होता है। यह एक रत्न है और ज्‍योतिष शास्‍त्र में इसे केतु ग्रह से जोड़ होता है। कुंडली में जब केतु ग्रह कमज़ोर होता है, तब लहसुनिया रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। लहसुनिया रत्न बाजार में कई रंगों में उपलब्ध होता है यह पीले, काले, सफेद और हरे रंग में भी मिल जाएगा। लेकिन, ज्योतिषी केतु के बुरे अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए लहसुन रंग के रत्न को पहनने की सलाह देते हैं।

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इस रत्न को पहनने से व्यापार, नौकरी में बहुत अधिक तरक्की प्राप्त होती है। यह बेहद चमकीला दिखने वाले रत्न की बीच में से बिल्ली की आंखों की तरह बनावट होती है। इसी कारण इसे अंग्रेजी में कैट्स आई कहा जाता है। रत्न शास्त्र के अनुसार, इस रत्न को धारण करने से मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं लहसुनिया रत्न के बारे में कुछ ख़ास बातें।

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इन जातकों को पहनना चाहिए लहसुनिया रत्न

  • रत्न शास्त्र के अनुसार, यदि किसी जातक की कुंडली में केतु अशुभ स्थिति में विराजमान हैं, तो वह इस रत्न को धारण कर सकता है। इसे पहनने से भय से मुक्ति मिलती है और साथ ही भ्रम की स्थिति नहीं बनती।
  • यदि किसी जातक की कुंडली में केतु की अंतर या महा दशा चल रही हो, तो लहसुनिया रत्न पहनना उसके लिए बहुत अधिक शुभ साबित होगा।
  • रत्न शास्त्र के अनुसार, वह लोग भी लहसुनिया रत्न को धारण कर सकते हैं जिनकी कुंडली में केतु पहले, तीसरे, चौथे, पांचवें, नौवें और दसवें भाव पर मौजूद होता है।
  • यदि कुंडली में केतु के साथ सूर्य मौजूद हैं, तो वह भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं।
  • इसके अलावा, नजर दोष से बचने के लिए भी लहसुनिया रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। यदि आप छोटे बच्चे को यह रत्न पहना रहे हैं, तो एक चांदी के लॉकेट में जड़कर इस रत्न को पहना सकते हैं।
  • यदि किसी जातक की कुंडली में छाया ग्रह केतु भाग्येश या फिर पांचवें भाव में मौजूद हैं, तो लहसुनिया रत्न पहनने से बहुत अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है।
  • यदि किसी जातक को लगातार व्यापार में हानि हो रही है और लगातार धन डूब रहा है तो ज्योतिषी की सलाह लेकर लहसुनिया रत्न धारण किया जा सकता है।

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इन लोगों को नहीं पहनना चाहिए लहसुनिया रत्न

  • रत्न शास्त्र के मुताबिक, जिन जातकों की कुंडली में केतु दूसरे, सातवें, आठवें या फिर बारहवें भाव में हो तो इन लोगों यह रत्न नहीं पहनना चाहिए।
  • यदि किसी जातक ने पुखराज, मोती, हीरा या फिर माणिक्य रत्न पहन रखा हो, तो वह लहसुनिया रत्न बिल्कुल भी धारण न करें। लहसुनिया रत्न तो इन रत्नों के साथ धारण करने से बुरे परिणामों की प्राप्ति हो सकती है और फायदे की जगह नुकसान हो सकता है।
  • यदि आप लहसुनिया रत्न धारण करने का विचार बना रहे हैं, तो एक बार इस रत्न को पहनने से पहले ज्योतिष विशेषज्ञों से राय जरूर ले लें। अपनी कुंडली जरूर दिखा लें। इसके बाद ही इस रत्न को धारण करें।
  • लहसुनिया रत्न धारण करते समय इस बात का जरूर ध्यान रखें कि इसमें चार या उससे अधिक धारियां ना हो क्योंकि उसके नुकसान भी हो सकते हैं।

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लहसुनिया रत्न से इन बीमारियों से मिलती है मुक्ति

लहसुनिया रत्न का उपयोग कई तरह के रोगों से निपटने के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि किसी जातक को श्वास से संबंधित कोई बीमारी हो या फिर निमोनिया जैसी कोई बीमारी से ग्रस्त हो, तो ऐसे में उसे लहसुनिया रत्न पहनना लाभकारी साबित होता है।

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इस विधि से करें धारण

रत्न शास्त्र के अनुसार, सवा रत्ती लहसुनिया, चांदी की अंगूठी या लॉकेट में शनिवार के दिन धारण कर सकते हैं। लहसुनिया को हमेशा मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए। इसके अलावा, विशाखा नक्षत्र में मंगलवार के दिन सात, आठ या बारह रत्ती लहसुनिया मध्यम उंगली में धारण करना शुभ माना जाता है। इस रत्न को पहनने से पहले इसे गंगाजल और कच्चे दूध में अच्छी तरह से धो लें। इसके बाद इसे धूप-दीप दिखाकर केतु के मंत्र “ऊं क्लां क्लीं क्लूं स: केतवे स्वाहा:” का 108 बार जाप करने के बाद पहनें।

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लहसुनिया रत्न को पहनने के फायदे

  • यह रत्न केवल केतु के कमज़ोर होने पर ही नहीं बल्कि केतु की अंतर एवं महा दशा चलने पर भी आपको लहसुनिया रत्न धारण किया जा सकता है।
  • अगर आपको नजर दोष या कोई भय सता रहा है तो भी आपको लहसुनिया रत्न धारण कर लेना चाहिए। आप इसे अंगूठी या फिर चांदी के लॉकेट में धारण कर सकते हैं।
  • लहसुनिया रत्न को कभी भी पुखराज, मोती और हीरे के साथ धारण नहीं करना चाहिए। बहुत से लोग हीरे की अंगूठी में लहसुनिया रत्न लगवा लेते हैं, जिसका दुष्प्रभाव धीरे-धीरे देखने को मिलता है।
  • इस रत्न के लाभ के साथ-साथ हानियां भी होती है इसलिए उसी पत्थर का चुनाव करें जिसमें कम से कम चार या फिर इससे अधिक धारियां हों।
  • यदि आपको अपने व्यापार में लगातार हानि उठाना पड़ रहा है तो ज्योतिषी की सलाह से लहसुनिया रत्न को चांदी की अंगूठी में जड़वाकर पहन सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. लहसुनिया रत्न पहनने से क्या फायदा होता है?

उत्तर 1. लहसुनिया पहनने से बुरी नजर नहीं लगती है। साथ ही आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। 

प्रश्न 2. लहसुनिया रत्न कौन सी उंगली में पहनना चाहिए?

उत्तर 2. लहसुनिया को हमेशा मध्यमा उंगली में धारण करना चाहिए।

प्रश्न 3. लहसुनिया रत्न कितने दिन में असर दिखाता है?

उत्तर 3. लहसुनिया रत्न एक माह में असर दिखाता है।

प्रश्न 4. लहसुनिया की पहचान कैसे करें?

उत्तर 4. लहसुनिया को एक कपड़े से रगड़े अगर लहसुनिया की चमक बढ़ जाए तो समझिए लहसुनिया असली है।

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