दस महाविद्याओं में से एक हैं आदि शक्ति त्रिपुर सुंदरी मां ललिता देवी। कहा जाता है मां ललिता देवी साल में केवल एक दिन सही विधि विधान और श्रद्धा के साथ पूजा किए जाने पर प्रसन्न हो जाती हैं। इस वर्ष 27 फरवरी 2021 शनिवार के दिन ललिता जयंती (Lalita Jayanti 2021) मनाई जाएगी। ललिता जयंती के बारे में ऐसी मान्यता है कि, जो कोई भी व्यक्ति इस दिन सच्ची श्रद्धा और आस्था के साथ मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा-अर्चना करता है उससे मां अवश्य प्रसन्न होती है और उसके जीवन में सुख समृद्धि और धन-धान्य का आशीर्वाद दे देती हैं।
तो आइए जानते हैं ललिता जयंती की पूजा में किन मंत्रों का जप करने से व्यक्ति को शुभ फल की प्राप्ति होगी और साथ ही इस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा।
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कैसे हुई मां ललिता की उत्पत्ति?
बताया जाता है जब अपने पिता द्वारा अपमानित होने पर माता सती ने यज्ञ कुंड में कूद कर अपने प्राण दे दिए थे तब भगवान शिव ने मां सती के पार्थिव शरीर को अपने कंधों पर उठा लिया और चारों दिशाओं में हैरान-परेशान घूमने लगे। भगवान शिव की ऐसी हालत देखकर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के पार्थिव शरीर के 108 हिस्से कर दिए।
बताया जाता है माता सती के पार्थिव शरीर के यह 108 हिस्से जहां-जहां गिरे उन उन स्थानों पर माता के सिद्ध पीठों की स्थापना हुई। इन्हीं में से एक स्थान माँ ललिता का भी है और तब से ही मां ललिता के नाम से आदि शक्ति की पूजा होने की परंपरा की शुरुआत हुई।
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ललिता जयंती के दिन ऐसे करें मां ललिता की पूजा (Lalita Jayanti Puja Mantra)
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत पूजा का संकल्प लें। इस दिन की पूजा में सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ शामिल हों और मां ललिता से अपने जीवन में सुख शांति और समृद्धि की कामना करें। इस दिन की पूजा में ललितासहस्रनाम, ललितात्रिशती और ललितोपाख्यान इत्यादि का पाठ करना विशेष फलदाई रहता है।
ललिता जयंती की पूजा में अवश्य शामिल करें यह मंत्र। ऐसी मान्यता है कि, जो कोई भी व्यक्ति ललिता जयंती के दिन की पूजा में नीचे दिए गए मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप करता है उसे इस जीवन में सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद ऐसे व्यक्ति को मोक्ष की भी प्राप्ति अवश्य होती है।
मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, जो कोई भी व्यक्ति ललिता जयंती के दिन इस मंत्र का जाप करता है उसे मृत्यु के बाद जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। ललिता जयंती के दिन भगवान शंकर और स्कंदमाता की पूजा का विधान भी बताया गया है।
इसके अलावा आप ललिता जयंती की पूजा में इन मंत्रों का जप भी कर सकते हैं:
‘ऐ ह्नीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नम:’
‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं श्रीं क ए ई ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम:।’
ललिते ललिते देवि सौख्यसौभाग्यदायिनी।
या सौभाग्यसमुत्पन्ना तस्यै देव्यै नमो नमः॥
ललिता जयंती शुभ मुहूर्त (Lalita Jayanti 2021 Shubh Muhurat)
सूर्योदय 06 बज कर 48 मिनट 57 सेकंड
सूर्यास्त 18 बज-कर 19 मिनट 25 सेकंड
शुभ मुहूर्त : 12 बज-कर 11 मिनट 10 सेकंड से 12 बज-कर 57 मिनट 11 सेकंड तक
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