जिस प्रकार से सभी देवी देवताओं में हनुमान जी को बेहद बलशाली और कलयुग में जीवित एक मात्र देवता के रूप में माना जाता है, उसी प्रकार से सांई बाबा को सभी संतों में बेहद सिद्ध और चमत्कारी माना जाता है। आज हम आपको सांई बाबा और हनुमान जी के बीच के एक ख़ास संबंध के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में आप शायद ही आज से पहले कभी जानते होंगें। तो देर किस बात की आइये जानते हैं सांई बाबा और हनुमान जी के बीच के उस ख़ास संबंध के बारे में।
सांई बाबा और हनुमान जी के बीच संबंध के साक्ष्य निम्नलिखित हैं
सांई बाबा और हनुमान जी के बीच के ख़ास सबंध की जहाँ तक बात है तो आपको बता दें कि, शिरडी में जहाँ सांई का समाधि बना है वहां एक छोटा हनुमान मंदिर भी है। अगर आप शिरडी गए होंगें तो आपने भी सांई मंदिर के प्रांगण में हनुमान जी का मंदिर जरूर देखा होगा। अक्सर लोग ये सोचते है कि आखिर सांई मंदिर परिसर में हनुमान जी का मंदिर क्यों बनवाया गया है। बता दें कि असल में सांई बाबा खुद हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे और नियमित रूप से उनकी पूजा अर्चना किया करते थे। यही कारण है कि जहाँ सांई बाबा की पूजा होती है वहां हनुमान जी की पूजा भी जरूर होती है। पौराणिक मान्यताओं और मिले साक्ष्यों के आधार पर सांई बाबा के जन्म स्थान पातरी में एक मंदिर है, इस मंदिर में सांई के इस्तेमाल की हुई बहुत सी चीज़ें रखी हैं जिनमें से एक हनुमान जी की मूर्ति भी है।
सांई बचपन से ही हनुमान भक्त थे
“सद्गुरु सांई दर्शन” किताब के अनुसार सांई बाबा का सम्पूर्ण परिवार हनुमान जी का भक्त था। सांई बाबा के जन्म स्थल से महज एक किलोमीटर की दूरी पर ही हनुमान जी का मंदिर है जिसे मारूति मंदिर के नाम से लोग जानते हैं। माना जाता है कि हनुमान जी उनके कुल देवता के रूप में पूजे जाते थे। सांई बाबा के माता पिता गंगाभाऊ और देवकी थे, पांच भाइयों में वो तीसरे नंबर के थे। सांई का असली नाम हरिबाबू भूसारी था। सांई जब बाल्यावस्था से किशोरावस्था में प्रवेश कर रहे थे, उस वक़्त उनका विशेष ध्यान हनुमान भक्ति की तरफ था। वो प्रतिदिन स्नान करने के बाद हनुमान मंदिर जाते और पूजा अर्चना के बाद ही अन्न ग्रहण करते थे। किशोरावस्था में किसी वजह से गुरुकुल की पढ़ाई छोड़ने के बाद सांई काफी दिनों तक हनुमान मंदिर में ही रहें और एक समूह बनाकर हनुमान भक्ति के साथ ही आत्मज्ञान की प्राप्ति में जुटे रहें।
शिरडी के भुसारी परिवार में पैदा हुए सांई हमेशा से ही हनुमान जी और भगवान् राम के उपासक रहे हैं। माना जाता है कि सन 1918 में अपना शरीर त्यागने से पहले भी उन्होनें राम विजय सुना और उसके बाद मृत्यु को प्राप्त हुए।
बहरहाल अब आप जान चुके होंगें सांई बाबा और हनुमान जी के बीच के ख़ास संबंध को।