Khatu Shyam Ji Ki Aarti: खाटू श्याम जी की आरती के लाभ और महत्व

खाटू श्याम जी की आरती  (Khatu Shyam Ji Ki Aarti) का पाठ करने से भक्तों की सभी पीड़ाओं और संतापों का अंत होता है। कहा जाता है कि खाटू श्याम बाबा हारे का सहारा हैं। आज अपने इस लेख में हम आपको खाटू श्याम बाबा की आरती और इसके महत्व के बारे में जानकारी देंगे। 

खाटू श्याम जी की आरती (Khatu Shyam Ji Ki Aarti)

ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।

खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे।

ॐ जय श्री श्याम हरे..

रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे।

तन केसरिया बागो, कुंडल श्रवण पड़े।

ॐ जय श्री श्याम हरे..

गल पुष्पों की माला, सिर पार मुकुट धरे।

खेवत धूप अग्नि पर दीपक ज्योति जले।

ॐ जय श्री श्याम हरे..

मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे।

सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे।

ॐ जय श्री श्याम हरे..

झांझ कटोरा और घडियावल, शंख मृदंग घुरे।

भक्त आरती गावे, जय-जयकार करे।

ॐ जय श्री श्याम हरे..

जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे।

सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम-श्याम उचरे।

ॐ जय श्री श्याम हरे..

श्री श्याम बिहारी जी की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत भक्तजन, मनवांछित फल पावे।

ॐ जय श्री श्याम हरे..

जय श्री श्याम हरे, बाबा जी श्री श्याम हरे।

निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे।

ॐ जय श्री श्याम हरे.. ।

खाटू श्याम जी की आरती का महत्व

भक्तगण श्री खाटू श्याम जी की आरती का पाठ करके उनसे सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। भगवान खाटू श्याम जी की आरती का पाठ करके भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जो भक्त श्याम नाम का जाप निरंतर करता है उसके जीवन में सकारात्मकता आती है। एक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने वरदान देते हुए कहा था कि तुम्हारे नाम मात्र के जाप से ही भक्तों के कष्ट दूर हो जाएंगे। आइए इस कथा के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

यह भी पढ़ें- Aarti Kunj Bihari Ki: कुंज बिहारी जी की आरती के लाभ और सही पूजन विधि

श्री खाटू श्याम जी से जुड़ी पौराणिक कथा

एक प्राचीन कथा के अनुसार महाभारत काल में खाटू श्याम जी बर्बरीक के नाम से जाने जाते थे। बचपन से ही बर्बरीक महान योद्धा थे। वह घटोत्कच और मोरवी के पुत्र थे। ऐसा माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने उनको युद्ध की कला सिखाई थी और अपनी माता से भी उन्होंने युद्ध की कला सीखी थी। वह अच्छे योद्धा होने के साथ-सात तपस्वी भी थे। उन्होंने अपनी तपस्या से माता दुर्गा को प्रसन्न कियाथा और उनसे तीन अमोघ बाण प्राप्त किये थे। यही वजह है कि बर्बरीक का एक नाम तीन बाणधारी भी है।

उनके चरित्र और गुणों को देखकर अग्निदेव भी प्रसन्न थे और उन्होंने उन्हें एक धनुष दिया था जिससे तीनों लोकों पर वह विजय प्राप्त कर सकते थे। जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तो बर्बरीक भी युद्ध में शामिल हुए लेकिन शामिल होने से पूर्व उनकी माता ने उनसे वचन लिया कि वह हारे हुए पक्ष का साथ दें। इसके बाद बर्बरीक अश्व पर सवार होकर अपने तीन तीर लिए युद्ध क्षेत्र की ओर चल दिए। 

ब्रह्माण भेष में श्रीकृष्ण ने ली बर्बरीक की परीक्षा

जब बर्बरीक युद्ध के मैदान की ओर जा रहे थे तो भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप धारण करके उनके विषय में जानने के लिए उन्हें रोका। श्रीकृष्ण ने उनके तूणीर में तीन बाण देखकर उनका मजाक उड़ाया। इस पर बर्बरीक बोले की एक तीर ही शत्रुओं को परास्त करने में सक्षम है। यह बात सुनकर श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को चुनौती दी की वो अपने बाण से पीपल के पेड़ के सभी पत्तों को वेध कर दिखाएं, वह लोग पीपल के वृक्षों के तले खड़े थे। बर्बरीक ने अपने तूणीर से तीर निकाला ओर सारे पत्तों को वेध दिया इसके बाद तीर भगवान कृष्ण के एक पैर के चक्कर काटने लगा क्योंकि उन्होंने एक पत्ते को अपने पैरों के तले दबा दिया था, इसपर बर्बरीक ने कहा कि आप अपने पैर हटालें नहीं तो यह तीर आपके पैर को वेध देगा। तब कृष्ण भगवान ने अपना पैर हटा लिया। 

यह भी पढ़ें- Om Jai Jagdish Hare: ॐ जय जगदीश हरे आरती के पाठ से पाएं सब दुखों से छुटकारा

श्रीकृष्ण भगवान ने पूछा किस का साथ देंगे बर्बरीक

इसके बाद ब्रह्माण का रूप धारण किये श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि युद्ध में वह किसका साथ देंगे। इस पर बर्बरीक ने बोला कि जो पक्ष हारता हुआ नजर आएगा वह उसका साथ देंगे क्योंकि उन्होंने अपनी माता को यह वचन दिया है। चूंकि श्रीकृष्ण जानते थे कि युद्ध में कौरवों की पराजय निश्चित है और यदि बर्बरीक उनका साथ देते हैं तो युद्ध का नतीजा बदल जाएगा इसलिए इस अनहोनी को रोकने के लिए कृष्ण भगवान ने बर्बरीक से दान की अभिलाषा की। बर्बरीक ने ब्राह्मण रूपी कृष्ण भगवान को वचन दे दिया। कृष्ण भगवान ने बर्बरीक से दान में उनका शीश मांग लिया।

बर्बरीक समझ गए कि यह कोई साधारण पुरुष नहीं हैं और उन्होंने ब्राह्मण को अपने असली स्वरूप में आने को कहा। इसके बाद कृष्ण भगवान ने अपना असली अवतार बर्बरीक को दिखाया और बर्बरीक को समझाया कि युद्ध शूरू होने से पहले सभी लोकों में सर्वश्रेष्ठ वीर के सिर की आहुति देनी होती है और इसी वजह से उन्होंने यह ब्राह्मण रूप लिया। बर्बरीक उनकी बातों को समझ गए लेकिन उन्होंने इच्छा जाहिर की कि वह अंत तक इस युद्ध को देखना चाहते हैं। कृष्ण भगवान ने उनकी बात मानी और एक पहाड़ी पर उनके शीश को सुशोभित कर दिया। महाभारत युद्ध के अंत में पांडवों की जीत के बाद जब विवाद हुआ कि विजय का श्रेय किसको दिया जाए तो तब बर्बरीक ने ही भगवान कृष्ण को युद्ध का सबसे महान पात्र घोषित किया। 

वीर बर्बरीक के बलिदान से प्रसन्न होकर ही श्रीकृष्ण भगवान ने उन्हें वर दिया था कि तुम कलयुग में श्याम के नाम से जाने जाओगे क्योंकि जो हारे का साथ देता है वही सही अर्थों में श्याम कहलाने के लायक है। 

बर्बरीक को क्यों कहा जाता है खाटू श्याम बाबा?

महान बर्बरीक के सिर को वर्तमान राजस्थान के सीकर जिले के खाटू नगर में दफनाया गया था। इसलिए इनको खाटू श्याम बाबा कहा जाता है। इस स्थान पर मंदिर का निर्माण 1027 में रूपसिंह चौहान और उनकी पत्नी के द्वारा करवाया गया था। इसके बाद 1720 में इसका जीर्णोधार मारवाड़ के शासक द्वारा करवाया गया। 

श्याम बाबा की आरती के लाभ 

खाटू श्याम बाबा हमेशा बेसहारों का सहारा और हारे हुए लोगों का साथ देते हैं। उनकी कृपा से व्यक्ति को हर कार्य में सफलता मिलने लगती है। निरंतर उनके नाम का जाप व्यक्ति को साहस प्रदान करता है। उनके भक्त परोपकारी और लोगों का हित करने से पीछे नहीं हटते। श्याम बाबा की आरती का पाठ करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। हमने अपने इस लेख में श्याम बाबा की आरती लिरिक्स दिये हैं उनका पाठ आप प्रतिदिन करके जीवन में कई शुभ फल पा सकते हैं। 

यह भी पढ़ें- Ambe Ji Ki Aarti: जय अम्बे गौरी की आरती और इसके लाभ

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.