आज मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि है। जहां कुछ पंचांग के अनुसार खरमास की शुरुआत 15 दिसंबर से हो चुकी है वहीं, कुछ अन्य पंचांग के अनुसार खरमास इस वर्ष 16 दिसंबर यानी बुधवार के दिन से शुरू हो रहा है। जानकारी के लिए बता दें सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने से खरमास प्रारंभ माना जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास में किसी भी तरह का कोई मांगलिक कार्य जैसे विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश या किसी भी तरह का कोई संस्कार नहीं किए जाने का विधान बताया गया है।
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खरमास का यह समय 14 जनवरी तक रहने वाला है। तब तक किसी भी तरह के कोई मांगलिक कार्य नहीं किए जाएंगे लेकिन, खरमास में जमीन की खरीद, मकान या वाहन की खरीदारी की कोई मनाही नहीं होती है। तो आइए जानते हैं, खरमास में खरीदारी करने के लिए शुभ मुहूर्त कब-कब हैं।
वाहन खरीदने के शुभ मुहूर्त
18 दिसंबर 2020 | शुक्रवार |
20 दिसंबर 2020 | रविवार |
27 दिसंबर 2020 | रविवार |
30 दिसंबर 2020 | बुधवार |
01 जनवरी 2021 | शुक्रवार |
06 जनवरी 2021 | बुधवार |
08 जनवरी 2021 | शुक्रवार |
भूमि खरीदने के शुभ मुहूर्त
31 दिसंबर 2020 | गुरुवार |
03 जनवरी 2021 | रविवार |
04 जनवरी 2021 | सोमवार |
08 जनवरी 2021 | शुक्रवार |
09 जनवरी 2021 | शनिवार |
12 जनवरी 2021 | मंगलवार |
व्यापार शुरू करने के शुभ मुहूर्त
17 दिसंबर 2020 | गुरुवार |
24 दिसंबर 2020 | गुरुवार |
27 दिसंबर 2020 | रविवार |
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जानकारी:
- खरमास के इन दिनों में मकान, प्लॉट या रियल स्टेट से जुड़ी किसी भी खरीदारी को करने की कोई मनाही नहीं है।
- हालांकि इस दौरान सोने और गुरु ग्रह से संबंधित चीजों को खरीदने से बचना चाहिए। अगर आप चाहे तो इनकी बुकिंग आदि करा सकते हैं।
- खरमास में वाहन आदि भी खरीदे जा सकते हैं।
- इस महीने नए वस्त्र और नए आभूषण नहीं पहनने चाहिए। हालांकि आप चाहे तो इनकी खरीदारी कर सकते हैं।
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कब खत्म होगा खरमास?
खरमास 14 जनवरी 2021 को मकर संक्रांति पर खत्म होगा। जब सूर्य 14 जनवरी 2021 को मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे तो इस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा और इसी दिन खरमास का भी अंत होगा। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने की मान्यता है। साथ ही इस दिन दान पुण्य भी किया जाता है। मकर संक्रांति के दिन से उत्तरायण का प्रारंभ होता है और इसके बाद से ही विवाह आदि शुभ और मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं।
खरमास में क्या करें?
- खरमास में सूर्य की उपासना करनी चाहिए।
- इसके अलावा यह एक महीना महा धर्म, दान, जप-तप आदि के लिए अति उत्तम माना गया है। इस दौरान जो कोई भी व्यक्ति सच्ची आस्था और श्रद्धा के साथ दान पुण्य आदि करता है उससे कई गुना फल प्राप्त होता है।
- इसके अलावा खरमास के महीने में ब्राह्मण, गुरु, गाय और साधु-सन्यासियों की सेवा करने का भी विशेष महत्व बताया गया है।
- खरमास के इस महीने में तीर्थ यात्रा करना बेहद ही उत्तम माना जाता है। इसके अलावा इस महीने में भागवत गीता, श्री राम पूजा, कथा वाचन, विष्णु और शिव पूजन बेहद ही शुभ माने जाते हैं।
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खरमास से जुड़ी कथा
संस्कृत शब्द में खर का मतलब होता है गधा। पौराणिक ग्रंथों में खरमास के बारे में प्रचलित कथा के अनुसार बताया जाता है कि, एक बार सूर्य देव अपने सात घोड़े के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। इस परिक्रमा के दौरान उन्हें कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं थी क्योंकि, यदि इस दौरान वह कहीं भी रुक जाते तो पूरा जनजीवन ठप हो जाता। लेकिन लगातार चलते रहने की वजह से कुछ समय बाद उनके घोड़ों को प्यास लग गई और वे थक गए। घोड़ों की ऐसी दयनीय दशा देखकर सूर्य देव को उनकी चिंता होने लगी इसलिए, वह उनको लेकर एक तालाब के किनारे गए। ताकि घोड़े रथ में बंधे-बंधे पानी भी पी लें और उन्हें थोड़ा आराम भी मिल जाये।
लेकिन तभी सूर्यदेव को इस बात का आभास हुआ कि, अगर उनका रथ कुछ समय के लिए भी रुका तो अनर्थ हो जाएगा। तभी उन्हें तालाब के किनारे दो खर यानी गधे खड़े हुए नजर आए। जैसे ही सूर्य देव की नजर इन खरों पर पड़ी उन्होंने अपने घोड़ों को विश्राम करने के लिए तालाब के किनारे छोड़ दिया और घोड़ों की जगह अपने रथ में उन दोनों खर को जोड़ लिया। ताकि उनका रथ चलता रहे और उनके घोड़ों को भी कुछ आराम से मिल जाए। हालांकि रथ की गति खर के जुड़ने के बाद काफी धीमी हो गई। हालांकि जैसे-तैसे करके एक मास का चक्र पूरा हुआ। तब तक सूर्य देव के घोड़ों ने भी विश्राम कर लिया था। अब उन्हें सूर्यदेव ने अपने रथ में लगा लिया। इसी तरह हर साल यह क्रम चलता रहता है और हर सौर-वर्ष में एक सौर-मास यानी खरमास हर बार आता है।
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