केतु का कन्या राशि में गोचर: संकटों से घिरा रहेगा इन राशि वालों का जीवन!

ज्योतिष शास्त्र में केतु ग्रह को छाया ग्रह या पाप ग्रह के नाम से भी जाना जाता है। जिन जातकों की कुंडली में केतु नीच अवस्था में होते हैं, उन्हें जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। केतु हमेशा वक्री अवस्था में रहते हैं और डेढ़ साल बाद अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं। राहु की तरह केतु भी एक मायावी ग्रह है, जिसे किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन केतु को मंगल के समान फल देने जैसा माना गया है। इसी क्रम में केतु अक्टूबर माह में अपनी राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। केतु का यह गोचर कन्या राशि में होने जा रहा है और इसके परिवर्तन से आपके पेशेवर जीवन, व्यक्तिगत जीवन, प्रेम जीवन, वैवाहिक जीवन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आदि जीवन से संबंधित इन सभी क्षेत्रों में विभिन्न प्रभाव देखने को मिलेगा। 

मेगा एस्ट्रो सेल: सभी ज्योतिषियों सेवाओं पर भारी छूट- इस सेल से चूक गए तो पड़ेगा पछताना!!

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात और जानें करियर संबंधित सारी जानकारी

तो आइए इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं केतु के गोचर का प्रभाव सभी 12 राशि के जातकों पर किस प्रकार से पड़ेगा और साथ ही, जानेंगे इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के आसान ज्योतिषीय उपाय। सभी जानकारी के लिए ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।

केतु का कन्या राशि में गोचर: समय और तिथि

केतु एक राशि में लगभग डेढ़ वर्ष तक विराजमान रहकर उसके बाद गोचर करते हैं। वर्ष 2023 में केतु का गोचर होने वाला है और यह 30 अक्टूबर, 2023 की दोपहर 02 बजकर 13 मिनट पर शुक्र ग्रह के प्रतिनिधित्व वाली तुला राशि से बाहर निकल कर बुध ग्रह के स्वामित्व वाली कन्या राशि में गोचर करेंगे।

ज्योतिष में केतु का प्रभाव

ज्योतिष में केतु ग्रह को पापी और अशुभ ग्रह माना जाता है। लोगों के अंदर केतु को लेकर एक भय है कि यह हमेशा ही बुरे फल देते हैं लेकिन ऐसा नहीं है केतु ग्रह के द्वारा व्यक्ति को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। यह अध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक आदि के कारक होते हैं। ज्योतिष में केतु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन यह धनु राशि में उच्च के होते हैं और मिथुन में यह नीच के माने जाते हैं। वहीं 27 नक्षत्रों में केतु अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र के स्वामी हैं। 

वैदिक शास्त्रों के अनुसार केतु ग्रह स्वर भानु राक्षस का धड़ है। जबकि इसके सिर के भाग को राहु कहते हैं। ज्योतिष के अनुसार, केतु ग्रह व्यक्ति के जीवन क्षेत्र तथा समस्त सृष्टि को प्रभावित करता है और साथ ही, यह ग्रह जन्म कुंडली में कालसर्प दोष का निर्माण करते हैं। राहु और केतु के कारण सूर्य और चंद्र ग्रहण होता है। ज्योतिष में केतु ग्रह की कोई निश्चित राशि नहीं है इसलिए ये जिस राशि में विराजमान रहते हैं वह उसी के अनुरूप फल देते हैं। कुंडली में केतु के कमज़ोर होने पर जातक को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और वहीं केतु की मजबूत जातक को कई सारे शुभ फल प्रदान करते हैं।

आइए अब आगे जानते हैं केतु का कन्या राशि में गोचर करने से क्या प्रभाव देखने को मिलते हैं।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

कन्या राशि में केतु का प्रभाव 

कन्या राशि में केतु के प्रभाव से व्यक्ति का झुकाव आध्यात्मिक गतिविधि की तरफ अधिक होता है और व्यक्ति को बहुत बुद्धिमान भी बनाता है। साथ ही, इन्हें अपने ज्ञान का उपयोग करना भी अच्छे से आता है। इनके ज्ञान व बुद्धि से लोग इनकी तरफ अधिक आकर्षित होते हैं। यदि इन जातकों का खुद का व्यवसाय हैं तो ये उसमें काफी सफलता प्राप्त करते हैं। कार्यक्षेत्र में ये अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की हर संभव कोशिश करते हैं और उसमें सफलता भी प्राप्त करते हैं। ये जातक बहुत अधिक बातूनी होते हैं और इनके विश्लेषण करने की क्षमता बेहतर होती है।

कई बार ये जातक अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो जाते हैं और इसके कारण पैर और पेट संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं। नकारात्मक पक्ष की बात करें तो, इन जातकों के पास ज्ञान का भंडार होने के बावजूद इसका इस्तेमाल सही तरीके से नहीं कर पाते हैं। उनके अंदर एक डर हमेशा रहता है और इस डर की वजह से ही ये लोग सही फैसला नहीं ले पाते हैं और कोई भी नया कदम उठाने से पीछे रह जाते हैं। केतु के अशुभ प्रभाव से इनका संबंध अपने पार्टनर से खराब होने लगता है और रोजाना ये छोटी-छोटी बातों के पीछे अपने साथी से झगड़ा कर सकते हैं, जिस वजह से इनके घर का माहौल भी खराब हो सकता है।

मेगा एस्ट्रो सेल: अबतक की सबसे बड़ी सेल

कुंडली में केतु की शुभ स्थिति के संकेत

कुंडली में केतु के शुभ प्रभाव के परिणामस्वरूप जातक कई क्षेत्रों में सकारात्मक परिणाम प्राप्त करता है। आइए जानते है कुंडली में केतु के शुभ संकेतों के बारे में:

  • यदि कुंडली में केतु शुभ स्थिति में विराजमान होते हैं तो जातक बहुत ही तीव्र बुद्धि वाले होते हैं और हर मुश्किल से मुश्किल कार्यों को आसानी से करने में सक्षम होते हैं।
  • ऐसे जातक दर्शन और विज्ञान में गहरी रुचि रखते हैं और क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
  • यदि केतु बृहस्पति ग्रह के साथ युति करते हैं तो इसके परिणामस्वरूप जातक की कुंडली में इसके प्रभाव से राजयोग का निर्माण होता है, जिससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
  • यदि जातक की कुंडली में केतु बली हो तो यह जातक के पैरों को मजबूत बनाता है और इन जातकों को पैरों से संबंधित कोई रोग नहीं होता है। 
  • केतु की शुभ स्थिति जातक को साहस प्रदान करता है।

नये साल में करियर की कोई भी दुविधा कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट से करें दूर

केतु की अशुभ स्थिति के परिणाम

यदि किसी जातक की कुंडली में केतु की स्थिति अशुभ है, तो इसके संकेत दैनिक जीवन में किसी न किसी तरह मिलने लगते हैं। जानिए कुंडली में केतु ग्रह की स्थिति कमज़ोर होने के लक्षण:

  • केतु ग्रह की स्थिति कमज़ोर होने पर जातक को त्वचा संबंधी रोग परेशान कर सकते हैं।
  • इसके अलावा व्यक्ति को जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है।
  • सुनने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है।
  • संतान प्राप्ति में किसी न किसी तरह की रुकावट आना शुरू हो जाती है।
  • शरीर की नसों में कमजोरी आ जाती है। साथ ही, बालों व नाखूनों का टूटने की समस्या से भी जातक परेशान रहता है।
  • पीड़ित केतु के परिणामस्वरूप यदि व्यक्ति किसी कार्य के लिए जो निर्णय लेता है तो उसमें उसे असफलता का सामना करना पड़ता है। 
  • पीड़ित केतु के कारण जातक के संबंध नाना और मामा जी से खराब हो जाते हैं।
  • राहु-केतु की स्थिति कुंडली में कालसर्प दोष निर्माण करता है, जो जातकों के लिए घातक होता है। 

पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट

कुंडली में केतु के दुष्प्रभावों को कम करने के ज्योतिषीय उपाय

ज्योतिष में केतु के अशुभ प्रभाव से छुटकारा पाने के लिए अचूक और चमत्कारी उपायों के बारे में बताया गया है, जिससे कुंडली में राहु-केतु दोष का प्रभाव कम होता है। आइए जानते हैं इन प्रभावी उपायों बारे में:

गुलाबी रंग के कपड़े पहनें

केतु दोष के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा गुलाबी रंग के कपड़े पहनने चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो कम से कम गुलाबी रंग का रुमाल अपने साथ जरूर रखें। ऐसा करने से व्यक्ति के हर काम बनने लगते हैं।

इस मंत्र का करें जाप

यदि कुंडली में केतु की स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं, तो प्रतिदिन कम से कम 108 बार केतु के इस मंत्र का जाप करें – ‘ऊँ  स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं स: केतवे नम:’। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार देखने को मिलेगा।

पीपल के पेड़ की पूजा करें

केतु ग्रह को शांत करने के लिए व दरिद्रता दूर करने के लिए प्रत्येक शनिवार के दिन पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं। इसमें थोड़ी सी दूर्वा भी डाल लें और शाम को घी का दीपक जलाते हुए पूजा करें।

कन्याओं को हलवा खिलाएं

केतु के प्रकोप से बचने के लिए रविवार के दिन कन्याओं को आटे का हलवा और मीठा दही खिलाएं। इससे आपको व्यापार में भी लाभ मिलेगा।

कुत्ते को रोटी खिलाएं

केतु के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए कुत्ते को तेल लगाकर रोटी खिलाएं और किसी भी जानवर को चोट न पहुंचाएं अपितु मदद करें।

बंपर एस्ट्रो साल के विशेष ऑफर!!

अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित  से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!

केतु का कन्या राशि में गोचर: सभी 12 राशियों पर शुभ व अशुभ प्रभाव!

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए केतु वर्ष 2023 की शुरुआत में सप्तम भाव में गोचर कर रहा होगा और(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि

केतु आपकी राशि से छठे भाव में वर्ष की शुरुआत में गोचर कर रहे होंगे और अक्टूबर तक इसी भाव में रहेंगे। इस कारणवश(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

इस वर्ष की शुरुआत में केतु का गोचर आपके पंचम भाव में हो रहा है। यह कठिन समय गुजर रहा है क्योंकि(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

केतु महाराज जी वर्ष 2023 की शुरुआत से ही चतुर्थ भाव में गोचर कर रहे हैं। इस कारणवश पारिवारिक जीवन में कुछ तनाव चलने की संभावना दिखाई देती है(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

इस वर्ष की शुरुआत में आप के तीसरे भाव में विराजमान रहेंगे और वर्ष के अधिकांश समय इसी भाव में रहकर आपको(विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि

केतु महाराज आपके दूसरे भाव में गोचर करते रहेंगे और अपना प्रभाव डालते रहेंगे। दूसरे भाव में केतु की उपस्थिति होने से आपको(विस्तार से पढ़ें)

तुला राशि

केतु आप के प्रथम भाव में उपस्थित रहेंगे। प्रथम भाव में केतु होने से आपका अंतर्मुखी रवैया लोगों के सामने रहेगा, जो संभव है(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि

केतु आपकी राशि से द्वादश भाव में स्थित रहेंगे। इससे आपको गहन विचारों में खोए रहने की स्थिति बनेगी(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि

केतु आपके एकादश भाव में स्थित होने से आपके लिए सभी समस्याओं का अंत करने वाले ग्रह साबित होंगे। आपकी मनोनुकूल इच्छाओं(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

केतु आपके दशम भाव में गोचर कर रहे हैं जो आपको अपने काम में परिपक्व बना रहे हैं(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए इस वर्ष की शुरुआत में केतु आपके नवम भाव में विराजमान रह कर आपको धार्मिक बना रहे है(विस्तार से पढ़ें) 

मीन राशि

केतु महाराज अष्टम भाव को प्रभावित करते हुए नजर आएंगे जिसके फलस्वरूप आपको अपने स्वास्थ्य में गिरावट का सामना करना पड़ेगा(विस्तार से पढ़ें) 

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि आपको यह ब्लॉग भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.