कर्क में सूर्य: एक महीने तक सोने सा चमकेगा इन राशियों का भाग्य-नहीं होगी धन की कोई कमी!

जुलाई के महीने में कर्क राशि में सूर्य गोचर करने वाले हैं। ज्योतिष में सूर्य के गोचर को संक्रांति के नाम से जाना जाता है। ऐसे में जब वह कर्क राशि में जाएंगे तो इसे कर्क संक्रांति कहा जाएगा। सूर्य का यह गोचर कई मायनों में खास रहने वाला है। साथ ही यह कुछ राशियों के लिए बेहद ही शुभ भी साबित होगा। अपने इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम आपको बताएंगे सूर्य के कर्क राशि में गोचर का सभी 12 राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

साथ ही इस ब्लॉग में आपको सूर्य गोचर के समय, प्रभाव, और कर्क संक्रांति के दौरान किए जाने वाले दान और उपायों की जानकारी भी हमको प्रदान कर रहे हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और सबसे पहले जान लेते हैं सूर्य के कर्क राशि में गोचर किस समय होने जा रहा है।

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सूर्य का कर्क राशि में गोचर 2022: समय और अवधि 

ज्योतिष में सूर्य ग्रह को आत्मा का कारक माना जाता है। सूर्य को धरती पर ऊर्जा का और प्रकाश का एकमात्र ऐसा स्त्रोत माना गया है जिसके बिना जीवन की कल्पना करना भी असंभव होता है। ऐसे में तमाम विशेषताओं वाला यह सूर्य ग्रह जब गोचर करता है तो इस अवधि को भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार सूर्य ग्रह राजाओं, आधिकारिक लोगों, और पैसे वाले लोगों का ग्रह माना गया है।

बात करें इस महत्वपूर्ण ग्रह के गोचर के समय की तो, सूर्य का कर्क राशि में गोचर 16 जुलाई, 2022 की रात 10:50 बजे होगा और 17 अगस्त, 2022 की सुबह 7:14 बजे तक यानी कि अपनी स्वराशि सिंह में गोचर करने तक इसी राशि में स्थित रहेगा।

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कर्क राशि में सूर्य का प्रभाव

यदि किसी व्यक्ति के जन्म के समय कर्क राशि में सूर्य मौजूद होता है तो ऐसे जातक बेहद ही रक्षात्मक स्वभाव के होते हैं, उन्हें सुरक्षित रहना बेहद ही अच्छा लगता है, और जीवन में अचानक से आए किसी भी बदलाव को जल्दी से स्वीकार नहीं कर पाते हैं। ऐसे जातक सोशल लाइफ में बेहद सक्रिय होते हैं और अपनी निजी बातें लोगों से साझा करना इन्हें पसंद नहीं होता है। इसके अलावा ऐसे लोग बेहद ही केयरिंग स्वभाव के, इमानदार, विचारशील, और भावुक होते हैं।

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सूर्य के राशि परिवर्तन से बनेगा समसप्तक योग

16 जुलाई को जब सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे तो इस गोचर के प्रारंभ होते ही समसप्तक योग शुरू हो जाएगा। इस दौरान सूर्य के कर्क और शनि के मकर में होने से दोनों एक दूसरे के सातवें भाव में विराजमान होंगे। इसके अलावा सूर्य के कर्क राशि में प्रवेश से बारिश के योग भी बनेंगे। सूर्य के उत्तरायण होने को मकर संक्रांति कहा जाता है और सूर्य जब दक्षिणायन होते हैं तो इसे कर्क संक्रांति कहते हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।

उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है और दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि कहा जाता है। सूर्य के कर्क राशि में गोचर होने के बाद ही देश में मॉनसून की गति आगे बढ़ती है। कर्क को सूर्य के मित्र चंद्रमा की राशि माना गया है। ऐसे में कर्क राशि में सूर्य गोचर से आमतौर पर जातकों को शुभ परिणाम मिलते हैं।

कर्क संक्रांति में इन वस्तुओं का दान दिलाएगा देवताओं का आशीर्वाद

कर्क संक्रांति या जिसे ‘सावन संक्रांति’ भी कहते हैं इस दौरान सूर्य देव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इसके अलावा कहा जाता है कि इस महीने में यदि भगवान शिव की पूजा की जाए तो जिससे व्यक्ति को पुण्य फल प्राप्त होते हैं। इस समय से ही वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है। यह वह समय होता है जब इंसान को अपने व्यवहार में ज्यादा संयम की आवश्यकता पड़ती है क्योंकि इस दौरान तामसिक प्रवृत्तियां ज़्यादा सक्रिय रहती हैं। 

यही वजह है कि इस समय उचित व्यवहार, अच्छे कर्म, और स्नान का विशेष महत्व होता है। उपाय के तौर पर भगवान सूर्य की उपासना करें, सूर्य से संबंधित वस्तुओं का दान करने का विशेष महत्व होता है, इसके साथ ही इस तुलसी दल से भगवान विष्णु की पूजा को भी इस अवधि में श्रेष्ठ माना गया है।

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कर्क संक्रांति पर इन 5 चीजों का दान दिलाएगा महा पुण्य

  • सुहागिन बुजुर्ग महिला को वस्त्र दान करें और उनका आशीर्वाद लें। 
  • किसी बुजुर्ग को पूजा में पहनने वाले धोती कुर्ते आदि दान करें। 
  • किसी जरूरतमंद बच्ची को नारंगी रंग के वस्त्र दान करें। 
  • छोटे बच्चे को हरे रंग के फल खिलाएँ। 
  • नवविवाहित दंपत्ति को भोजन कराएं।

अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं सूर्य के कर्क राशि में गोचर का सभी 12 राशियों पर क्या प्रभाव देखने को मिलेगा।

सूर्य गोचरफल 

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पांचवें भाव यानी कि प्रेम, रोमांस और संतान के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातकों के लिए सूर्य चौथे भाव यानी कि भूमि और संपत्ति के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य तीसरे भाव यानी कि बल, यात्रा और भाई-बहन के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य दूसरे भाव यानी कि परिवार और धन के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य लग्न भाव का स्वामी है और इस गोचर काल के दौरान …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य बारहवें भाव यानी कि हानि और यात्रा के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए सूर्य ग्यारहवें भाव यानी कि आय और लाभ के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए सूर्य दसवें भाव यानी कि पेशे और कर्म भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों के लिए सूर्य नौवें यानी कि प्रसिद्धि और भाग्य के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के लिए सूर्य आठवें भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

कुम्भ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य सातवें भाव यानी कि विवाह और साझेदारी के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

मीन राशि 

मीन राशि के जातकों के लिए सूर्य छठे भाव यानी कि सेवा, प्रतिस्पर्धा और विवाद के भाव का स्वामी है। इस गोचर काल के दौरान …(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)

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