काल भैरव की पूजा के लिए कालाष्टमी 2023 को एक शुभ दिन माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए उनका पूजन और व्रत करते हैं। कृष्ण पक्ष के दौरान हर महीने की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव काल भैरव का रूप लेते हैं। देशभर के कई हिस्सों में पूरी श्रद्धा के साथ इस दिन काल भैरव की पूजा की जाती है।
कालाष्टमी की कथा
हिंदू पौराणिक कथाओं की मान्यताओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी, भगवान विष्णु और भगवान शिव के बीच बहस छिड़ गई जिसमें ब्रह्मा जी की किसी बात पर भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए और उन्होंने महाकालेश्वर अवतार लेकर ब्रह्मा जी का पांचवा सिर धड़ से अलग कर दिया। तभी, से शिव के काल भैरव रूप की पूजा की जाती है।
कालाष्टमी पर व्रत करने वाले लोग कालाष्टमी व्रत कथा के रूप में यही कहानी पढ़ते और सुनते हैं। मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से सभी दुख-दर्द और पीड़ाएं दूर होती हैं एवं व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता का भी नाश होता है।
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कालाष्टमी 2023: तिथि व समय
कालाष्टमी कृष्ण पक्ष के हर माह में अष्टमी तिथि को आती है और दिसंबर के महीने में यह 05 दिसंबर, 2023 को पड़ रही है।
अष्टमी तिथि 04 दिसंबर, 2023 की रात्रि 10 बजकर 02 मिनट पर आरंभ होकर 06 दिसंबर 2023 की मध्यरात्रि 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगी।
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कालाष्टमी पर बन रहा है शुभ योग
कालाष्टमी के दिन विष्कुंभ योग बन रहा है जो कि 04 दिसंबर, 2023 की रात्रि 09 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर अगले दिन 05 दिसंबर, 2023 की रात्रि 10 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।
27 योगों में से विष्कुंभ पहला नित्य योग है जिसके स्वामी स्वयं शनि देव और यम महाराज हैं। वैदिक ज्योतिष में विषकुंभ योग को अत्यंत शुभ माना गया है और यह योग व्यक्ति को ज्ञान, सौंदर्य एवं सफलता प्रदान करता है। यह योग व्यक्ति को समृद्ध और संपन्न बनाने का कार्य करता है। इस योग में कुछ उपाय करने से उच्च लाभ प्राप्त होता है। विषकुंभ योग में आप निम्न उपाय कर सकते हैं:
- भगवान शिव की पूजा एवं रुद्राभिषेक करें।
- ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
- गरीबों और गायों को खाना खिलाएं।
- गरीब लोगों में जूतों और कपड़ों का दान करें।
कालाष्टमी पर क्या करना चाहिए
- कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- इसके बाद घर और पूजन स्थल की साफ-सफाई करें।
- अब काल भैरव की मूर्ति लें और उस पर पुष्प माला चढ़ाकर, उसके आगे सरसों के तेल का एक दीया जलाएं।
- इस दिन लोग काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए काल भैरव अष्टकम का पाठ करते हैं।
- श्रद्धालु मंदिर दर्शन करने जाते हैं और काल भैरव का आशीर्वाद पाने के लिए मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं।
- इस दिन भोग में मीठी रोटी बनाई जाती है। यह एक विशेष प्रसाद है जो खासतौर पर काल भैरव के लिए ही बनाया जाता है।
- शाम को सूर्यास्त के बाद श्रद्धालु व्रत पारण करते हैं।
- इस दिन तामसिक भोजन का सेवन करना अशुभ माना जाता है।
भोग बनाने की विधि
दो बड़ी कटोरी गेहूं का आटा लें और उसमें एक कटोरी गुड़ पिघला कर डाल दें। अब इसमें थोड़ा पानी डालकर मिलाएं और फिर इसका आटा गूंथ लें। इसमें आप सौंफ भी मिला सकते हैं। अब इस आटे से रोटी तैयार कर लें।
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कालाष्टमी 2023 पर किए जाने वाले ज्योतिषीय उपाय
- कालाष्टमी की रात को निशित काल में काल भैरव के मंदिर दर्शन करने जाएं और वहां पर सरसों के तेल का दीपक जलाएं। भगवान को नीले रंग के फूल, अक्षत और तेल आदि चढ़ाएं। दही और गुड़ अर्पित करें। ऐसा करने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
- कालाष्टमी की रात्रि को पकौड़े, पुआ और पापड़ आदि सरसों के तेल में बनाए जाते हैं। इन्हें अगले दिन गरीबों को खिलाया जाता है। इस उपाय को करने से काल भैरव का आशीर्वाद मिलता है और सभी बीमारियों, पापों और कष्टों से छुटकारा मिल जाता है।
- कालाष्टमी पर आप प्रात:काल स्नान करने के बाद काल भैरव के मंदिर जाएं और वहां पर विधिपूर्वक पूजा करें। भगवान के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाकर जलेबी का भोग लगाएं और अपनी मनोकामना कहें। इससे काल भैरव प्रसन्न होकर आपकी हर मनोकामना को पूरा करेंगे और आपके जीवन को सुखमय बनाएंगे।
- घर में संपन्नता और सुख-समृद्धि के लिए आप कालाष्टमी के दिन काल भैरव के आगे मिट्टी के दीये में सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- वहीं अगर आपका कोई काम लंबे समय से अटका हुआ है, तो आप कालाष्टमी के दिन बटुक भैरव पंजर कवच का पाठ करें। इस उपाय को करने से रुके हुए काम बन जाते हैं और व्यक्ति को सफलता मिलती है।
- अपने घर या दफ्तर से नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने के लिए आप कालाष्टमी के दिन मौली से एक लंबा धागा लेकर उसे काट लें। अब इस धागे में सात गांठें लगाएं और इसे अपने घर के मुख्य द्वार पर रख दें। इस उपाय से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है।
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