ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में जब राहु और केतु के बीच में सारे ग्रह आ जाते हैं तो इससे काल सर्प दोष बनता है। यानि जब सूर्य, चंद्रमा, गुरु, बुध, मंगल और शनि ग्रह राहु और केतु के बीच में स्थित हों तो यह दोष बनता है। राहु ग्रह को सर्प का सिर जबकि केतु को पूंछ माना जाता है। इन दोनों छाया ग्रहों की वजह से जब काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) का निर्माण होता है तो व्यक्ति को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
काल सर्प दोष से जीवन में आने वाली परेशानियां
इस दोष के चलते व्यक्ति को जो प्रतिकूल प्रभाव झेलने पड़ते हैं उनके बारे में नीचे बताया जा रहा है।
- इस दोष के कारण व्यक्ति का वैवाहिक जीवन कलह-कलेशों से भर जाता है।
- संतान प्राप्ति में इस दोष के कारण परेशानियां आती हैं।
- यदि संतान है तो वह उन्नति नहीं कर पाती और उनके जीवन में परेशानियां बनी रहती हैं।
- मेहनत के अनुसार इस दोष के कारण फल की प्राप्ति नहीं होती।
- स्वास्थ्य पर भी इस दोष का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- इस दोष के कारण नींद भी अच्छी तरह से नहीं आती और बुरे स्वप्न आते हैं।
- इस दोष के कारण स्वप्न में नाग-नागिन दिखते हैं।
- जिनकी कुंडली में यह दोष होता है उनको स्वप्न में मृत व्यक्ति कुछ मांगते हुए दिख सकता है।
12 प्रकार के काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh)
- अनन्त काल सर्प दोष– इस काल सर्प दोष से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह तब बनता है जब लग्न में राहु और सप्तम भाव में केतु ग्रह विराजमान होता है।
- कुलिक काल सर्प दोष– द्वितीय भाव में राहु और अष्टम भाव में केतु के उपस्थित होने से इस काल सर्प दोष का निर्माण होता है। द्वितीय भाव धन का माना गया है इसलिए इस काल सर्प दोष के कारण व्यक्ति को आर्थिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ाता है।
- वासुकि काल सर्प दोष– इसका निर्माण तब होता है जब राहु तृतीय और केतु नवम भाव में विराजमान होता है। इसके कारण व्यक्ति के जीवन में कई कठिनाइयां आती हैं।
- शंखपाल काल सर्प दोष- यह चतुर्थ में राहु और दशम में केतु की उपस्थिति के कारण बनता है। इसके कारण व्यक्ति को पारिवारिक और आर्थिक मामलों में परेशानि का सामना करना पड़ता है।
- पद्म काल सर्प दोष- पंचम में राहु और एकादश में केतु की स्थिति इस दोष का निर्माण करती है। इसके कारण व्यक्ति के मान-सम्मान में कमी आने की आशंका रहती है।
- महापद्म काल सर्प दोष– षष्ठम भाव में राहु और द्वादश भाव में केतु के होने से बनने वाले इस दोष से व्यक्ति को शारीरिक कष्ट भोगने पड़ते हैं।
- कर्कोटक काल सर्प दोष- यह तब बनता है जब केतु दूसरे और राहु अष्टम में विराजमान होता है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को करियर में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
- तक्षक काल सर्प दोष– जब राहु सप्तम में और केतु लग्न में हो तो इस दोष का निर्माण होता है। इसके चलते कारोबार और वैवाहिक जीवन में कठिनाइयां आती हैं।
- शंखचूड़ काल सर्प दोष– राहु नवम और केतु तृतीय भाव में होता है तो इस यह दोष बनता है। ऐसे लोग पिता के सुख से वंचित हो सकते हैं और साथ ही जीवन में सुख की कमी होती है।
- घातक काल सर्प दोष– जब केतु चौथे और राहु दशम में हो तो इस दोष का निर्माण होता है। इस दोष के चलते पारिवारिक जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है।
- विषधर काल सर्प दोष- एकादश भाव में राहु और पंचम भाव में केतु की स्थिति से बनने वाला यह दोष व्यक्ति को आंखों से जुड़ा रोग दे सकता है।
- शेषनाग काल सर्प दोष– षष्ठम भाव में केतु और द्वादश भाव में केतु के होने से यह दोष बनता है। ऐसे लोगों के गुप्त शत्रु उन्हें परेशान करते हैं। बदनामी का भी भय रहता है।
कालसर्प दोष के उपाय
काल सर्प दोष के बुरे प्रभावों से बचने के लिए कुछ उपाय नीचे बताए गए हैं।
- काल सर्प दोष से बचने के लिए पशुओं को भोजन करना चाहिए।
- इसके बुरे प्रभाव को कम करने के लिए भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का प्रतिदिन जाप करना चाहिए।
शिव जी के 108 नाम, इनके जाप से सिद्ध होंगे सब काम
- शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष को जल अर्पित करना भी इस दोष के बुरे प्रभावों को कम करता है।
- जिन लोगों की कुंडली में यह दोष है उन्हें कभी भी सांप को नुक्सान नहीं पहुंचाना चाहिए।
- गायत्री मंत्र का जाप करना भी इस दोष से मुक्ति दिलाता है।
नागपंचमी के दिन किए जाने वाले काल सर्प दोष के कुछ खास उपाय
काल सर्प दोष के निवारण के लिए नागपंचमी के दिन निम्नलिखित उपाय करने चाहिए।
- इस दिन शिवलिंग में दूध अर्पित करें।
- इस दिन भगवान शिव को चंदन का इत्र अर्पित करें।
- इस दिन किसी सपेरे से नाग-नागिन का जोड़ा खरीदकर उसे जंगल में छोड़ दें।
- नागपंचमी के दिन अपने वजन का कोयला खरीदें और उसे पानी में प्रवाहित कर दें।
नागपंचमी के दिन करें इन मंत्रों का जाप
मंत्र- ‘ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नौ सर्प प्रचोद्यात्।’
मंत्र– ‘नागेन्द्र हाराय ॐ नम: शिवाय’
मंत्र– ‘ॐ नागदेवतायै नम:’
इन मंत्रों का जाप करना और मंत्रों के साथ हवन करने से काल सर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) से मुक्ति मिलती है।
काल सर्प दोष से बचाव के लिए लाल किताब के उपाय
लाल किताब के अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष हो उसे अपने मस्तक पर चंदन का तिलक लगाना चाहिए। इसके साथ ही घर में चांदी का हाथी रखना भी इस दोष से मुक्ति दिलाता है। इस दोष से बचने के लिए खाना हमेशा रसोईघर में बैठकर खाना चाहिए। जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोष है उसे अपने घर की स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए।
अपनी कुंडली में काल सर्प दोष की जानकारी के लिए बात करें हमारे विद्वान ज्योतिषियों से