22 मई, शुक्रवार को ज्येष्ठ अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है और साथ ही महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए इस दिन वट सावित्री का व्रत भी रखती हैं। इसीलिए इन कारण से ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व और भी ज़्यादा बढ़ जाता है। आपकी सलामती और आपके जीवन में सकारात्मकता लाने के लिए एस्ट्रोसेज 22 मई से आपके लिए शुरू कर रहा है “एस्ट्रोसेज सुपर समर सेल”, जिसमें आपको सभी ज्योतिषीय सेवाओं पर भारी डिस्काउंट मिलेगा। ज़्यादा जानकारी के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।
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हिन्दू धर्म में अमावस्या का दिन दान-पुण्य आदि के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। अमावस्या के दिन लोग पितरों की शांति के लिए पिंड दान एवं तर्पण आदि भी करते हैं। हालाँकि देश में फैली महामारी को देखते हुए हम आपको यही सलाह देंगे कि सार्वजनिक जगहों पर जाने से बचें और पूजा-पाठ आदि जैसे सभी धार्मिक कार्य अपने घरों में रहते हुए करें। वैसे तो एक साल में आने वाली सभी अमावस्या धर्म-कर्म के कार्यों के लिए शुभ और सौभाग्यशाली होती हैं, लेकिन इन सब में ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस दिन सच्चे मन से पूजा करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और शनि देव भी प्रसन्न हैं। तो चलिए जानते है ज्येष्ठ अमावस्या पर की जाने वाली विशेष पूजा की विधि और इस दिन का महत्व –
ज्येष्ठ अमावस्या पूजा मुहूर्त
मई 21, 2020 को 21:38:10 से अमावस्या आरम्भ |
मई 22, 2020 को 23:10:10 पर अमावस्या समाप्त |
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ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व
ज्येष्ठ अमावस्या का दिन बेहद खास होता है। इस दिन न्याय के देवता कहे जाने वाली शनि देव की जयंती मनाई जाती है। इतना ही नहीं शनि जयंती के साथ-साथ महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिये इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखती हैं। इसीलिए जेष्ठ अमावस्या का दिन बहुत ही सौभाग्यशाली माना जाता है। कुछ लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। वैसे तो अमावस्या के दिन किसी भी कार्य को करना शुभ नहीं माना जाता है, लेकिन आध्यात्मिक तौर पर देखें, तो अमावस्या के दिन का खास महत्व होता है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और गरीबों को दान पुण्य करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन शुभ कार्यों को करने से पापों का नाश होता है।
ऐसे करें ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पूजा
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन सच्चे मन से व्रत रखने और पूजा करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। ज्येष्ठ अमावस्या का व्रत महिला और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं। चलिए जानते हैं इस दिन की जाने वाली पूजा की संपूर्ण विधि-
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे, और स्नानादि करें। इस दिन किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करें और यदि ऐसा संभव नहीं हो तो अपने नहाने के पानी में ही गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- सूर्य देव को जल में तिल मिलाकर अर्घ्य दे।
- उसके बाद, पीपल के वृक्ष में जल का अर्घ्य दे। लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अभी घर से बाहर निकलना और सार्वजनिक जगहों पर जाना हमारे लिए खतरनाक हो सकता है, इसीलिए आप पूजा अपने घरों में रहते हुए ही करें।
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है, इसलिए इस दिन शनि देव की पूजा भी तेल, तिल और दीप जलाकर ज़रूर करें।
- अब शनि चालीसा का पाठ करें तथा भगवान शनि देव के मंत्र जाप करें।
- इस दिन यम देवता की भी पूजा करें।
- पूजा के बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार दान-दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए, हालाँकि इस कोरोना काल में आपको सोशल डिस्टेंसिंग का पालन अवश्य करना चाहिए।
क्या न करें ज्येष्ठ अमावस्या के दिन?
ज्येष्ठ अमावस्या पर कुछ कार्यों को करने की मनाही भी होती है।
- ज्येष्ठ अमावस्या के दिन किसी के घर का भोजन ग्रहण न करें।
- इस दिन बुरे कार्यों और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।
- तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र आदि बिलकुल भी नहीं तोड़ें।
- अपने घर में कूड़ा या कबाड़ इकट्ठा न करें।
- अमावस्या के दिन माँस, मदिरा का सेवन एवं स्त्री से शारीरिक सम्बन्ध आदि निषेध बताया गया है।
- इस तिथि को कोई भी नया कार्य, यात्रा, नए सामान की ख़रीददारी नहीं करना चाहिए ।
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कोरोना संकट को देखते हुए आप सभी से निवेदन है कि महामारी से बचने के लिए सरकार द्वारा बताए दिशा-निर्देशों का पालन करें और इस साल कोई पूजा या धार्मिक कार्य आप अपने-अपने घरों में रहकर करें।
आशा करते हैं इस लेख में दी गयी जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
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