ज्वालामुखी योग 2023: हम सभी इस बात से परिचित हैं कि कोई भी शुभ कार्य करने के लिए शुभ योग ढूंढा जाता है। ग्रहों और नक्षत्रों की गणना के आधार पर शुभ और अशुभ योग जानने की परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। ज्योतिष शास्त्र में आपको शुभ कार्य करने के लिए कई सारे योगों के बारे में जानकारी मिल जाती है और इसके ठीक विपरीत कुछ ऐसे भी योग हैं, जिन्हें बेहद अशुभ माना जाता है।
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इन्हीं में से एक योग ज्वालामुखी योग है जो बेहद अशुभ योग माना जाता है और मान्यता के अनुसार इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करना पूर्ण रूप से वर्जित है। इस ख़ास ब्लॉग में हम इससे जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल करेंगे। साथ ही, इसके प्रभाव से बचने के लिए कुछ सावधानियों के बारे में जानेंगे।
क्या है ज्वालामुखी योग?
किसी भी योग का निर्माण ख़ास तिथि और नक्षत्रों के संयोग से होता है। इसी कारण से हर शुभ काम को करने से पहले तिथि और नक्षत्र को जांच लिया जाता है। अब किन-किन परिस्थितियों में ज्वालामुखी योग का निर्माण होता है, यह जान लेते हैं।
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- प्रतिपदा तिथि के दिन अगर मूल नक्षत्र पड़ता है, तो ज्वालामुखी योग का निर्माण होता है।
- पंचमी तिथि के दिन भरणी नक्षत्र पड़ने से इस योग का निर्माण होता है।
- अष्टमी तिथि के दिन कृतिका नक्षत्र होने से ज्वालामुखी योग बनता है।
- नवमी तिथि के दिन अगर रोहिणी नक्षत्र पड़ता है, तो यह योग बनता है।
- दशमी तिथि के दिन अश्लेषा नक्षत्र पड़ने से भी ज्वालामुखी योग बनता है।
ज्वालामुखी योग 2023:तिथि और समय
5 जून 2023 की सुबह 3 बजकर 23 मिनट से ज्वालामुखी योग की शुरुआत होगी और सुबह 6 बजकर 38 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।
ज्वालामुखी योग में भूल कर भी न करें यह कार्य
- किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत, ज्वालामुखी योग में नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने से आपको काम में सफलता प्राप्त नहीं होती है और व्यवधान का सामना करना पड़ता है।
- किसी भी तरह का मांगलिक कार्य जैसे विवाह, मुंडन, सगाई जैसे कार्य इस मुहूर्त में करना पूरी तरह से वर्जित माना जाता है।
- भूमि पूजन, नया घर खरीदने जैसे कार्य भी इस अवधि में पूर्ण रूप से वर्जित माने जाते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर. ज्वालामुखी योग शुभ कार्यों को करने के लिए सबसे अशुभ माना जाता है।
उत्तर. किसी भी तरह का शुभ कार्य इस अवधि में नहीं किया जाता है।
उत्तर. जब प्रतिपदा को मूल नक्षत्र, पंचमी को भरणी, अष्टमी को कृतिका, नवमी को रोहिणी अथवा दशमी को अश्लेषा नक्षत्र आता है, तो ज्वालामुखी योग बनता है।
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