जया एकादशी 2021
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माघ महीने को बेहद ही पवित्र और पुण्यदायी माना गया है। इसी माघ महीने की शुक्ल पक्ष एकादशी को जया एकादशी के नाम से जाना जाता है। जया एकादशी के बारे में ऐसी मान्यता है कि, जो कोई भी इंसान इस एकादशी व्रत को रखता है उसके जीवन से दुख, दरिद्रता और कष्ट मुक्ति अवश्य होती है। सिर्फ इतना ही नहीं जया एकादशी व्रत को रखने से व्यक्ति के जीवन में भूत, प्रेत, पिशाच जैसी योनियों में जाने का भय नहीं रहता है।
अगर आप भी जया एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं तो, आइए जानते हैं वर्ष 2021 में जया एकादशी कब है और इस दिन का मुहूर्त क्या है?
एस्ट्रोसेज वार्ता से दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात
कब है जया एकादशी?
23 फरवरी, 2021-मंगलवार
जया एकादशी व्रत मुहूर्त
जया एकादशी पारणा मुहूर्त :06:51:55 से 09:09:00 तक 24, फरवरी को
अवधि :2 घंटे 17 मिनट
ऊपर दिया गया मुहूर्त केवल दिल्ली के लिए मान्य होगा। अपने शहर के अनुसार शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें और जानें।
जया एकादशी पूजन विधि
- किसी भी एकादशी की ही तरह जया एकादशी व्रत के लिए व्रत रखने वाले इंसान को एकादशी से एक दिन पूर्व यानी दशमी के दिन से ही एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- इसके अलावा व्रत रहने वाले इंसान को संयमित और ब्रह्मचर्य का पालन करना भी अनिवार्य होता है।
- एकादशी के दिन प्रातः काल स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद पूजा में धूप, दीप, फल और पंचामृत अवश्य शामिल करें।
- इस दिन की पूजा में भगवान विष्णु के श्री कृष्ण अवतार की पूजा करने का विधान बताया गया है।
- एकादशी व्रत में रात्रि जागरण करना बेहद ही शुभ होता है। ऐसे में रात में जग कर श्री हरि के नाम का भजन करें।
- इसके बाद अगले दिन यानी द्वादशी के दिन अपनी यथाशक्ति के अनुसार किसी जरूरतमंद व्यक्ति या किसी ब्राह्मण को सम्मान भोजन कराएं। उन्हें दान दक्षिणा दें और उसके बाद ही अपना व्रत का पारण करें।
बृहत् कुंडली : जानें ग्रहों का आपके जीवन पर प्रभाव और उपाय
जया एकादशी व्रत का महत्व
जया एकादशी का व्रत बेहद ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत के बारे में लोगों के बीच ऐसी मान्यता है कि, इस दिन का व्रत रखने वाला इंसान खुद को भूत, पिशाच इत्यादि योनि में पड़ने से बचा सकता है। इस दिन विधि-विधान से भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए। इस दिन के व्रत में केवल फलाहार भोजन ही करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि, जया एकादशी के व्रत से व्यक्ति को अग्निष्टोम यज्ञ के बराबर फल प्राप्त होता है। इसके अलावा जो कोई भी व्यक्ति जया एकादशी का व्रत रखता है उसके सभी पापों का अंत होता है और उनके घर में खुशियां और सुख शांति का वास होता है।
प्यार में आने वाली हर बाधाओं को दूर करता है जया एकादशी का व्रत
जया एकादशी के व्रत के बारे में एक और प्रचलित मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि, जिन लोगों को प्यार में किसी भी तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है या उनके जीवन में वाद-विवाद या तनाव की स्थिति बनी हुई है, या आपके प्रेम संबंधों में किसी तरह का कोई उतार-चढ़ाव या दिक्कत आ रही है तो, ऐसी स्थिति में आपको जया एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। जया एकादशी का व्रत करने से भगवान विष्णु आपके प्रेम जीवन में आने वाली समस्त परेशानियों को दूर करने में आपकी मदद करते हैं। इसके अलावा अगर किसी पति-पत्नी के बीच रिश्ते खराब परिस्थिति में जा पहुंचे हैं या स्थिति तलाक तक की आ गई है तो भी इस एकादशी व्रत को रखने से समस्याएं अपने जीवन से दूर की जा सकती हैं।
कुंडली में मौजूद राज योग की समस्त जानकारी पाएं
जया एकादशी व्रत कथा
श्री कृष्ण भगवान ने युधिष्ठिर को जो जया एकादशी के बारे में व्रत कथा सुनाई वह कुछ इस प्रकार है, “एक बार नंदनवन में उत्सव चल रहा था। इस उत्सव में सभी देवी, देवता, ऋषि-मुनि और दिव्य पुरुष शामिल हुए। इस उत्सव में गंधर्व गायन कर रहे थे और गंधर्व कन्या नृत्य प्रस्तुत कर रही थी। इसी सभा में माल्यवान नाम का एक गंधर्व भी था और पुष्यवती नाम के गंधर्व कन्या भी थी। समारोह के दौरान जैसे ही पुष्यवती की नजर माल्यवान पर पड़ी वह उस पर मोहित हो गई। पुष्यवती माल्यवान को अपनी ओर आकर्षित करना चाह रही थी और इसलिए वह अपनी मर्यादा भूलकर सभा में ऐसा नृत्य करने लगी जिसे देखकर माल्यवान भी गंधर्व कन्या पर आकर्षित हो गया और अपनी सुध-बुध खो बैठा।
इस दौरान माल्यवान अपनी गायन की मर्यादा भूल बैठा और उसने सुर ताल छोड़ दिया। दोनों ही अपनी धुन में एक दूसरे को अपनी भावनाएं प्रकट करने लगे। इस दौरान सभा में मौजूद देवराज इंद्र को यह सब बेहद ही अशोभनीय लगा और उन्हें यह अपना अपमान लगने लगा। देवराज को पुष्यवती और माल्यवान पर क्रोध क्रोध हुआ और उन्होंने दोनों को श्राप दे दिया कि, आप स्वर्ग से वंचित हो जाए और पृथ्वी पर जाकर निवास करने लगे। देव-राज ने दोनों को नीचे पिशाच योनि प्राप्त होने का श्राप दिया।
शिक्षा और करियर क्षेत्र में आ रही हैं परेशानियां तो इस्तेमाल करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट
इस श्राप के प्रभाव से दोनों ही पिशाच बन गए और हिमालय पर्वत पर एक वृक्ष पर जाकर दोनों बेहद ही कठिनाई से रहने लगे। पिशाच योनि में होने के चलते उन्हें अपने जीवन में ढेरों कष्ट भोगने पड़े। यह दोनों अपने श्राप को भुगत ही रहे थे कि इसी बीच माघ का महीना आया और माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी पड़ी। इन दोनों ने सौभाग्य से केवल फलाहार ही ग्रहण किया और रात काफी ठंडी होने के चलते दोनों पूरी रात सो नहीं सके। जिसके चलते पूरी रात इन्हें जागरण करना पड़ा। अंत में ठंड की वजह से दोनों की मृत्यु हो गयी।
हालांकि इनकी मृत्यु जया एकादशी का व्रत करते हुए जिसकी वजह से इन्हें पिशाच योनि से मुक्ति मिल गई और वे पुनः स्वर्ग लोक में पहुंच गए। स्वर्ग लोक में दोनों को वापस देखकर देवराज को बड़ा अचंभा हुआ और उन्होंने पूछा कि, तुम लोगों को पिशाच योनी से मुक्ति कैसे मिली? तब माल्यवान ने देव-राज से कहा कि, यह जया एकादशी का प्रभाव है। हम जया एकादशी के व्रत के प्रभाव से ही पिशाच योनी से मुक्त हुए हैं। इतना सुनकर देवराज इंद्र प्रसन्न हुए और कहा कि, आप जगदीश्वर के भक्त हैं इसलिए आप मेरे लिए आदरणीय हैं। अब आप स्वर्ग में आनंद से रह सकते हैं।”
जीवन में किसी भी समस्या का समाधान पाने के लिए प्रश्न पूछें
एकादशी के व्रत में क्या करें और क्या ना करें
एकादशी के व्रत वाले दिन विष्णु सहस्त्रनाम और विष्णु शतनाम स्त्रोत का पाठ करना बेहद ही शुभ रहता है। इस दिन सभी लोगों को सदाचार का पालन करना चाहिए। इसके अलावा जो लोग व्रत नहीं कर सकते हैं उन्हें भी इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह दी जाती है। इस दिन जितना हो सके सात्विक भोजन करें और दूसरों की बुराई करने से बचें। जया एकादशी व्रत के दिन भोग विलास, छल कपट, जैसी बुरी चीजों से बचना चाहिए। इस दिन लहसुन, प्याज, बैंगन, मांस, मदिरा, पान, सुपारी, तंबाकू इत्यादि खाने से भी परहेज करना चाहिए।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
आशा करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ जुड़े रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।