जनवरी 2025 नए वर्ष का पहला महीना होता है और इस महीने में प्रवेश करने के साथ न सिर्फ साल बदलता है, बल्कि यह हमारे भीतर भी कई परिवर्तन लेकर आता है क्योंकि इस साल के साथ हमारी आशाएं और उम्मीदें जुड़ी होती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, सर्दी का मौसम अपने पूरे चरम पर होता है और इस समय आग की तपन हमें कड़कड़ाती सर्दी से राहत पहुंचाती है। यही सब बातें नए साल के पहले महीने जनवरी को बेहद खास बनाती है। इसके अलावा, व्रत-त्योहारों की जनवरी से पुनः शुरुआत हो जाती है। हालांकि, इस माह का धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक दृष्टि से अपना एक अलग महत्व होता है।
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जनवरी का महीना अपने साथ अनेक रंग-उमंग लेकर आता है और हम सबके मन में नए साल को लेकर, आने वाले कल और अपने भविष्य को लेकर उत्सुकता बनी रहती है कि नया साल हमारे लिए कैसा रहेगा? यह महीना जीवन के विभिन्न पहलुओं में किस तरह के परिणाम प्रदान करेगा? किस तारीख़ को कौन सा व्रत-पर्व मनाया जाएगा? अगर आपके मन में भी घूम रहे हैं ऐसे सवाल, तो आपको इन सभी सवालों के जवाब एस्ट्रोसेज के जनवरी 2025 के इस विशेष ब्लॉग में मिलेंगे। साथ ही, आपको रूबरू करवाएंगे कि सभी 12 राशियों के जातकों के लिए साल का पहला महीना अर्थात जनवरी 2025 क्या सौगात लेकर आएगा इसलिए इस लेख को अंत तक पढ़ना जारी रखें।
जनवरी 2025 का ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू पंचांग की गणना
अब हम एक कदम आगे बढ़ाते हुए नए साल के साथ-साथ वर्ष 2025 के पहले महीने जनवरी में प्रवेश करने जा रहे हैं। बता दें कि जनवरी माह का आरंभ पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के अंतर्गत शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी कि 01 जनवरी 2025 को होगा जबकि इसकी समाप्ति शतभिषा नक्षत्र के तहत शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि अर्थात 31 जनवरी 2025 को होगी। इस महीने के पंचांग के बारे में आपको बताने के बाद अब हम आपको जनवरी में मनाए जाने वाले व्रत-त्योहारों की सूची देने जा रहे हैं।
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इन शुभ योगों के साथ होगा नए साल का आगाज
नए साल यानी कि वर्ष 2025 का पहला दिन बेहद ख़ास रहने वाला है क्योंकि इस दिन की शुरुआत 4 शुभ योगों के साथ होगी। पंचांग के अनुसार, 01 जनवरी 2025 को शिव वास, हर्षण, कौलव और बालव योग का निर्माण होने जा रहा है। इन योगों को बहुत शुभ एवं दुर्लभ माना जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं, जनवरी 2025 में भी बुधादित्य राजयोग और मालव्य राजयोग बनेगा जो कुछ राशियों के लिए बहुत फलदायी रहेगा।
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- साल 2025 के दिन लक्ष्मी सूक्तम का पाठ करें।
- 01 जनवरी को अपने आराध्य की पूजा करें।
- नए वर्ष का आरंभ घर की साफ-सफाई करके और रंगोली बनाकर करें।
- नए साल की शुरुआत दान के साथ करें।
- इस दिन अर्थात नए साल के अवसर पर नए कपड़े पहनने के साथ-साथ अपने आप को ख़ुश रखना चाहिए।
जनवरी 2025 में पड़ने वाले व्रत एवं त्योहार की तिथियां
हिंदू कैलेंडर में भी अंग्रेजी कैलेंडर की तरह ही बारह महीने होते हैं। हर माह की अपनी अलग विशेषता एवं महत्व होता है जो उसे सबसे अलग बनाता है जैसे कि जनवरी में मकर संक्रांति, तो अक्टूबर-नवंबर में दिवाली मनाई जाती है। हिंदू वर्ष का हर माह अपने साथ एक ख़ास त्योहार लेकर आता है और यह उस महीने की विशेषता बन जाता है। इसी क्रम में, यहां हम आपको जनवरी 2025 में मनाये जाने वाले प्रमुख व्रत-त्योहार की सही तिथियां प्रदान कर रहे हैं। आइए आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं जनवरी 2025 के प्रमुख व्रत-पर्वों की तिथियों पर।
तिथि | दिन | व्रत-त्योहार |
10 जनवरी 2025 | शुक्रवार | पौष पुत्रदा एकादशी |
11 जनवरी 2025 | शनिवार | प्रदोष व्रत (शुक्ल) |
13 जनवरी 2025 | सोमवार | पौष पूर्णिमा व्रत |
13 जनवरी 2025 | सोमवार | लोहड़ी |
14 जनवरी 2025 | मंगलवार | पोंगल, उत्तरायण, मकर संक्रांति |
17 जनवरी 2025 | शुक्रवार | संकष्टी चतुर्थी |
25 जनवरी 2025 | शनिवार | षटतिला एकादशी |
27 जनवरी 2025 | सोमवार | प्रदोष व्रत (कृष्ण), मासिक शिवरात्रि |
29 जनवरी 2025 | बुधवार | माघ अमावस्या |
जनवरी में पड़ने वाले व्रत-त्योहार का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में आने वाले हर व्रत एवं पर्व का अपना एक अलग स्थान है। इसी क्रम में, पिछले साल 2024 की तरह ही वर्ष 2025 के पहले महीने जनवरी में भी आने व्रत और त्योहारों मनाए जाएंगे। जनवरी में पड़ने वाले पर्वों की तिथियों के बाद आपको अवगत करवाते हैं जनवरी 2025 के व्रत-पर्वों के धार्मिक महत्व से।
पौष पुत्रदा एकादशी (10 जनवरी 2025, शुक्रवार): एक वर्ष में कुल 24 एकादशी तिथि आती है और हर तिथि का विशेष महत्व होता है। इसी प्रकार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन विष्णु जी के साथ माता लक्ष्मी की पूजा का विधान है। ऐसा कहते हैं कि पौष पुत्रदा एकादशी व्रत को करने से विवाहित दंपत्तियों को संतान सुख प्राप्त होता है।
प्रदोष व्रत (शुक्ल) (11 जनवरी 2025, शनिवार): प्रदोष व्रत को हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है जो कि हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। इस दिन शिव जी और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि प्रदोष व्रत को विधि-विधान से करने पर भक्त के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
पौष पूर्णिमा व्रत (13 जनवरी 2025, सोमवार): हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह में पूर्णिमा तिथि आती है। इसी प्रकार, पौष मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पौष पूर्णिमा तिथि के दिन सच्चे मन से व्रत रखने और चंद्र देव एवं माता लक्ष्मी की आराधना करने से धन-धान्य में वृद्धि होती है। साथ ही, जीवन में सुख-समृद्धि की कमी नहीं होती है। इसके अलावा, पौष पूर्णिमा पर दान-पुण्य एवं स्नान करने को कल्याणकारी माना जाता है।
लोहड़ी (13 जनवरी 2025, सोमवार): भारत वर्ष में लोहड़ी का त्योहार बहुत जोश एवं उत्साह से मनाया जाता है और इस पर्व की रौनक पंजाब समेत पूरे देश में देखने को मिलती है। हालांकि, लोहड़ी का पर्व सिखों का सबसे प्रमुख त्योहार है। यह पर्व अपने साथ आनंद और ढ़ेर सारी खुशियां लेकर आता है और इसे मुख्य रूप से मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है क्योंकि लोहड़ी के बाद से बड़े दिनों की शुरुआत हो जाती है।
पोंगल (14 जनवरी 2025, मंगलवार): तमिलनाडु का प्रसिद्ध एवं प्रमुख पर्व है पोंगल जो कि लगातार चार दिनों तक चलता है। तमिलनाडु राज्य में पोंगल से नववर्ष की शुरुआत होती है इसलिए इस त्योहार को बेहद धूमधाम एवं जोश के साथ मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पोंगल के दिन देवराज इंद्र की पूजा का विधान है और उनसे अच्छी फसल एवं अच्छी बारिश के लिए कामना की जाती है।
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उत्तरायण (14 जनवरी 2025, मंगलवार): ज्योतिष एवं सनातन धर्म में सूर्य देव को विशेष दर्जा प्राप्त है और इनकी दिशा परिवर्तन को भी महत्वपूर्ण माना गया है। सूर्य ग्रह एक साल में दो बार अपनी दिशा बदलते हैं यानी कि 6-6 महीने के अंतराल पर और इसे ही उत्तरायण तथा दक्षिणायन कहा जाता है। जब सूर्य देव मकर राशि से मिथुन राशि में गोचर करते हैं, तो इस अवधि को उत्तरायण कहते हैं जो कि देवी-देवताओं के माह माने जाते हैं।
मकर संक्रांति (14 जनवरी 2025, मंगलवार): नए वर्ष में आने वाला पर्व मकर संक्रांति धार्मिक दृष्टि से विशेष मायने रखता है। इस दिन नवग्रहों के जनक कहे जाने वाले सूर्य धनु राशि से निकलकर अपने पुत्र शनि की राशि मकर में गोचर करते हैं इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह तिथि स्नान, दान और पुण्य के लिए श्रेष्ठ होती है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव की उपासना शुभ होती है।
संकष्टी चतुर्थी (17 जनवरी 2025 शुक्रवार): संकष्टी चतुर्थी के अर्थ की बात करें, तो इसका अर्थ संकट को हरने वाली चतुर्थी से है। हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी की तिथि प्रथम पूज्य विघ्नहर्ता भगवान गणेश को समर्पित होती है। यह व्रत गणेश जी की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है इसलिए भक्त संकष्टी चतुर्थी व्रत को पूरे मन से करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि संकष्टी चतुर्थी के व्रत से प्रसन्न होकर गणेश जी अपने भक्तों के कष्टों एवं दुखों को हर लेते हैं। भक्तजन इस दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के उदय तक व्रत का पालन करते हैं।
षटतिला एकादशी (25 जनवरी 2025, शनिवार): हम सभी जानते हैं कि हिंदू धर्म के एक माह में दो एकादशी तिथि आती है। इस प्रकार, जनवरी 2025 के महीने में आने वाली दूसरी एकादशी, षटतिला एकादशी होगी। इस तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है और इस दिन तिल के उपयोग का विशेष महत्व बताया गया है। बता दें कि षटतिला एकादशी के दिन 6 तरह के तिलों का इस्तेमाल करने का विधान है। इस अवसर पर तिल से स्नान, तिल का उबटन लगाना, तिल का भोजन, तिल से तर्पण, तिलों का दान और तिल से हवन किया जाता है इसलिए ही यह षटतिला एकादशी के नाम से जानी जाती है।
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मासिक शिवरात्रि (27 जनवरी 2025, सोमवार): संकष्टी चतुर्थी, प्रदोष व्रत की तरह ही मासिक शिवरात्रि का भी व्रत हर महीने किया जाता है जो भगवान शिव को समर्पित होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि कहते हैं और एक वर्ष में कुल 12 शिवरात्रि आती है। भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए इस दिन भक्त मासिक शिवरात्रि का व्रत करते हैं। हालांकि, सभी मासिक शिवरात्रि में महाशिवरात्रि को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
माघ अमावस्या (29 जनवरी 2025, बुधवार): साल भर में आने वाली प्रत्येक अमावस्या तिथि की अपनी महत्ता होती है जो उसे अन्य सभी अमावस्या से अलग बनाती है। इसी प्रकार, पंचांग के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को माघ अमावस्या कहा जाता है और यह मौनी अमावस्या के नाम से भी प्रसिद्ध है। कहते हैं कि मौनी अमावस्या के दिन मनुष्य को मौन धारण करना चाहिए। साथ ही, कुंड या पवित्र नदियों जैसे कि गंगा, यमुना आदि में स्नान करना चाहिए। इस दिन स्नान और दान-पुण्य शुभ माना जाता है।
मांगलिक कार्यों का होगा शुभारंभ
हिंदू धर्म में खरमास एक ऐसी अवधि मानी जाती है जब सभी तरह के शुभ एवं मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। इस दौरान किसी भी शुभ काम को करना वर्जित होता है। बता दें कि सूर्य महाराज जब धनु और मीन राशि में एक माह के लिए मौजूद होते हैं तब खरमास लग जाता है और इसी के साथ मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है।
पंचांग के अनुसार, खरमास का महीना एक साल में दो बार आता है पहला धनु संक्रांति और दूसरा मीन संक्रांति पर। सामान्य रूप से अंग्रेजी कैलेंडर में मीन संक्रांति मार्च या अप्रैल में आती है जबकि धनु संक्रांति नवंबर या दिसंबर माह में पड़ती है। इस बार खरमास का आरंभ 15 दिसंबर 2024 की रात 09 बजकर 56 मिनट पर हुआ था, लेकिन अब 14 जनवरी 2025 को मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। ऐसे में, एक बार फिर से मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।
जनवरी 2025 के बैंक अवकाशों की सम्पूर्ण सूची
नए वर्ष अर्थात 2025 में पड़ने वाले बैंक अवकाशों की लिस्ट में हम आपको नीचे दे रहे हैं।
तिथि | दिन | अवकाश | राज्य |
01 जनवरी | बुधवार | नववर्ष | अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, राजस्थान, सिक्किम, तमिलनाडु |
02 जनवरी | गुरुवार | नव वर्ष अवकाश | मिजोरम |
02 जनवरी | गुरुवार | मन्नम जयंती | केरल |
06 जनवरी | सोमवार | गुरु गोविंद सिंह जयंती | हरियाणा और पंजाब |
11 जनवरी | शनिवार | मिशनरी दिवस (मिजोरम) | मिजोरम |
12 जनवरी | रविवार | गाान न्गाई | मणिपुर |
12 जनवरी | रविवार | स्वामी विवेकानंद जयंती | पश्चिम बंगाल |
14 जनवरी | मंगलवार | मकर संक्रांति | गुजरात, कर्नाटक, सिक्किम,तेलंगाना, अरुणाचल प्रदेश, उड़ीसा |
14 जनवरी | मंगलवार | पोंगल | पुडुचेरी, तमिलनाडु |
14 जनवरी | मंगलवार | हजरत अली जयंती | उत्तर प्रदेश |
15 जनवरी | बुधवार | तिरुवल्लुवर दिवस | तमिलनाडु |
15 जनवरी | बुधवार | माघ बिहु | असम |
16 जनवरी | गुरुवार | कनुमा पंडुगा | आंध्र प्रदेश |
16 जनवरी | गुरुवार | उझावर तेरुनाल | पुडुचेरी, तमिलनाडु |
23 जनवरी | गुरुवार | नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती | असम |
25 जनवरी | शनिवार | राज्य दिवस | हिमाचल प्रदेश |
26 जनवरी | रविवार | गणतंत्र दिवस | राष्ट्रीय अवकाश |
30 जनवरी | गुरुवार | सोमान लोसार | सिक्किम |
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जनवरी 2025 में अन्नप्राशन के शुभ मुहूर्त
यहाँ हम आपको वर्ष 2025 के लिए अन्नप्राशन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त प्रदान कर रहे हैं जो कि इस प्रकार हैं:
तिथि | मुहूर्त |
1 जनवरी 2025 | 07:45-10:2211:50-16:4619:00-23:38 |
2 जनवरी 2025 | 07:45-10:1811:46-16:4218:56-23:34 |
6 जनवरी 2025 | 08:20-12:5514:30-21:01 |
8 जनवरी 2025 | 16:18-18:33 |
13 जनवरी 2025 | 20:33-22:51 |
15 जनवरी 2025 | 07:46-12:20 |
30 जनवरी 2025 | 17:06-22:34 |
31 जनवरी 2025 | 07:41-09:52 |
जनवरी का ज्योतिषीय एवं धार्मिक महत्व
एस्ट्रोसेज अपने पिछले लेखों में हमेशा से आपको बताता आया है कि धार्मिक दृष्टि से हर माह का अपना एक विशेष महत्व होता है। साथ ही, प्रत्येक माह की अपनी खूबियां होती हैं जो उन्हें बाकी महीनों से अलग बनाती है। लेकिन, यहाँ हम बात करेंगे धार्मिक दृष्टि से जनवरी के महत्व की, वर्ष की शुरुआत जनवरी से होने के कारण यह महीना अपने आप में ख़ास हो जाता है। हालांकि, इस माह में कई प्रमुख व्रत एवं त्योहारों को मनाया जाता है। साथ ही, जनवरी में मनाए जाने वाले कुछ पर्व मौसम की दिशा भी निर्धारित करते हैं। इस बारे में हम आगे विस्तार से बात करेंगे, परंतु सबसे पहले जान लेते हैं जनवरी 2025 माह का हिंदू धर्म में महत्व।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, जनवरी माह की शुरुआत पौष माह के अंतर्गत होगी और इसका अंत माघ महीने के तहत होगा। बता दें कि सनातन धर्म में पौष माह को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है जो कि हिन्दू वर्ष का दसवां महीना होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, पौष का महीना सामान्य रूप से दिसंबर व जनवरी में आता है। यह महीना मार्गशीर्ष माह के बाद आता है जिसे पूस का महीना भी कहते हैं। इस साल हिंदू वर्ष का दसवां महीना पौष 16 दिसंबर 2024 से 13 जनवरी 2025 तक रहेगा और इसके तुरंत बाद 14 जनवरी से माघ माह शुरू हो जाएगा।
पौष माह का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पौष माह में सूर्य देव की उपासना भग के नाम से की जाती है। इस मास में भगवान सूर्य की पूजा-अर्चना बहुत फलदायी होती है क्योंकि इस माह के देवता भग को सूर्य देव का स्वरूप माना गया है। इस दौरान सूर्य भगवान के लिए व्रत करने और अर्घ्य देने से भक्त को शुभ फल प्राप्त होते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, पौष मास को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस माह में पूर्वजों के निमित्त किये गए पिंडदान और श्राद्ध कर्म से जातक को अपार लाभ की प्राप्ति होती है और पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।
माघ मास का महत्व
पौष माह के समाप्त होने के साथ ही माघ मास का आरंभ हो जाएगा जो हिंदू वर्ष का ग्यारहवां माह है। माघ मास को पहले माध नाम से जाना जाता था जो बाद में माघ हो गया। बता दें कि “माध” शब्द का संबंध भगवान कृष्ण के नाम “माधव” से है इसलिए इस माह को बेहद पावन माना जाता है। इस महीने अनेक पर्व मनाए जाते हैं और प्रकृति में भी परिवर्तन देखने को मिलते हैं, तो वहीं संगम पर “कल्पवास” किया जाता है। कहते है कि माघ महीने में सामान्य जल भी गंगाजल के समान पवित्र हो जाता है इसलिए इस दौरान स्नान आदि को महत्वपूर्ण माना जाता है।
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पौष माह में जरूर करें ये उपाय
- पौष माह में पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है। इस दौरान अधिकांश मौकों पर पीले वस्त्र धारण करें। ऐसा करने से आपका भाग्य मज़बूत होता है।
- प्रतिदिन सूर्य देव के मंत्र ‘ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः’ का जाप करें।
- एक तांबे के बर्तन में जल लेकर उसमें रोली, लाल फूल, अक्षत, गुड़ मिलाकर ‘ॐ आदित्याय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें। अंत में, अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए भगवान सूर्य से प्रार्थना करें।
- पौष मास में दान का विशेष महत्व होता है और इस दौरान व्यक्ति को अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीब एवं जरूरतमंदों को तिल, गुड़ और कंबल आदि का दान करना चाहिए।
माघ मास के दौरान अपनाएं ये सरल उपाय
- माघ माह में शनिवार के दिन एक कपड़े में काली उड़द और काले तिल बांधकर गरीब व्यक्ति को दान करें। इस उपाय को करने से शनि देव की कृपा की प्राप्ति होती है और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं।
- माघ माह में रोज़ाना शिवलिंग का काले तिल और जल से अभिषेक करें और “ॐ नम: शिवाय” मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से रोग नष्ट होते हैं।
- इस माह के दौरान रोज़ तुलसी के पास दीपक जलाएं और पूजा करें।
- संभव हो, तो गरीब एवं असहाय लोगों को गर्म कपड़े दान करें। इससे देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और उनके कष्टों का अंत होता हैं।
जनवरी मासिक भविष्यवाणी 2025: 12 राशियों का राशिफल
मेष राशि
वर्ष 2024 की तुलना में साल 2025 आपके लिए मिश्रित परिणाम के संकेत दे रहा है। नोडल ग्रह राहु और केतु इस महीने……(विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वर्ष 2024 की तुलना में वृषभ राशि के जातकों को साल 2025 में ठीक ठाक परिणाम प्राप्त होंगे। शनि 2025 में आपके दशम भाव……(विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
वर्ष 2024 की तुलना में वर्ष 2025 आपको अनुकूल परिणाम मिलने के संकेत दे रहा है। शनि नवम भाव में और बृहस्पति 12वें भाव में स्थित…(विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
वर्ष 2024 की तुलना में इस साल 2025 आपको मध्यम परिणाम प्रदान करेगा। शनि की स्थिति के चलते जनवरी 2025 में कर्क राशि के जातकों को अपने…(विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
जनवरी मासिक राशिफल 2025 के अनुसार प्रमुख ग्रहों की स्थिति राहु अष्टम भाव में रहेगी। बृहस्पति आपके दसवें घर में रहेगा, शनि सप्तम भाव…(विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
जनवरी मासिक राशिफल 2025 के अनुसार सप्तम भाव में राहु की स्थिति अनुकूल संकेत नहीं दे रही है। प्रथम भाव में केतु मौजूद…(विस्तार से पढ़ें)
कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर
तुला राशि
जनवरी 2025 मासिक राशिफल के अनुसार इस महीने के दौरान आपके करियर, धन, रिश्ते आदि के मामले में मिश्रित परिणाम का सामना करना…(विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
जनवरी 2025 में प्रमुख ग्रहों की स्थिति की बात करें तो राहु अनुकूल नहीं है और बृहस्पति सप्तम भाव में स्थित रहेगा। शनि इस महीने के…(विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
जनवरी 2025 मासिक राशिफल इस बात के संकेत दे रहा है कि प्रमुख ग्रह राहु की स्थिति चतुर्थ भाव में रहेगी, बृहस्पति छठे भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
मासिक राशिफल के अनुसार प्रमुख ग्रहों की स्थिति की बात करें तो राहु तीसरे घर में अनुकूल स्थिति में है, बृहस्पति पंचम भाव में स्थित…(विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
जनवरी 2025 मासिक राशिफल के अनुसार दूसरे भाव में प्रमुख ग्रह राहु की स्थिति अनुकूल नहीं नजर आ रही है, बृहस्पति चतुर्थ भाव में…(विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
इस महीने जनवरी 2025 के दौरान प्रमुख ग्रहों की स्थिति की बात करें तो राहु की स्थिति अनुकूल नहीं है और बृहस्पति तीसरे घर में…(विस्तार से पढ़ें)
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों
वर्ष 2025 में 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा।
जब सूर्य ग्रह धनु और मीन राशि में गोचर करते हैं, तो उस अवधि को खरमास के नाम से जाना जाता है।
साल 2025 में अमावस्या 29 जनवरी 2024 को है जो कि माघ अमावस्या होगी।