सनातन धर्म के चार धामों में शामिल पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर से आज रथ यात्रा निकाली जाने वाली है। दस दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का इंतज़ार भगवान जगन्नाथ के भक्त पूरे साल करते रहते हैं। इस रथ यात्रा में भक्तों की इतनी भीड़ होती है और ये इतना भव्य होता है कि अंग्रेज़ी का शब्द ‘जगरनॉट’ जगन्नाथ रथ यात्रा से ही प्रेरित बताया जाता है जिसका अर्थ होता है, ‘कोई भारी सी वस्तु जो अपने सामने आने वाली हर वस्तु को कुचल देती है’।
विद्वान ज्योतिषियों से प्रश्न पूछें और पाएं हर समस्या का समाधान
लेकिन इस साल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में उनके भक्त कोरोना महामारी की वजह से शामिल नहीं हो सकेंगे। इसके अलावे और भी नियम हैं जो इस साल रथ यात्रा पर लागू हैं। आज के लेख में हम आपको इसी बात की जानकारी देने वाले हैं लेकिन उससे पहले जगन्नाथ रथ यात्रा के मुहूर्त और महत्व के बारे में आपके साथ जानकारी साझा कर देते हैं।
जगन्नाथ रथ यात्रा मुहूर्त
पद्मपुराण के अनुसार प्रत्येक वर्ष भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को निकाली जाती है। साल 2021 में यह तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 11 जुलाई को रविवार की सुबह 07 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर 12 जुलाई को सोमवार के दिन 08 बजकर 19 मिनट तक रहने वाली है। ऐसे में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा 12 जुलाई को सोमवार के दिन यानी कि आज के दिन निकल रही है।
जगन्नाथ रथ यात्रा का महत्व
पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में भगवान श्री कृष्ण के रूप माने जाने वाले भगवान जगन्नाथ के साथ देवी सुभद्रा और दाऊ बालभद्र भी मौजूद हैं। यह रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ के मंदिर से निकाल कर माता गुंडिचा के मंदिर जाते हैं और यहाँ दस दिन समय गुजार कर भगवान वापस अपने मंदिर लौट जाते हैं।
इस दौरान भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है जिसमें सबसे आगे बलभद्र जी का रथ होता है जिसे तालध्वज कहा जाता है। इसके पीछे सुभद्रा जी का रथ होता है जिसको दर्पदलन या फिर पद्म रथ कहा जाता है और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ का रथ होता है जिसे नंदी घोष कहा जाता है।
स्कन्द पुराण में हमें जगन्नाथ रथ यात्रा के महत्व का जिक्र मिलता है। इस पुराण में बताया गया है कि जो भी श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में शामिल होकर गुंडिचा नगर तक आते हैं, वे जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त होकर मोक्ष पाते हैं। एक और मान्यता के अनुसार जो भी भक्त भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा में शामिल रथ को खींचते हुए रास्ते में धूल व कीचड़ से लथपथ होता है, उसे मृत्यु के बाद विष्णुलोक प्राप्त होता है। गुंडिचा मंडप में रथ पर विराजमान भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के दक्षिण दिशा से आते हुए दर्शन हो जाने पर व्यक्ति को दोबारा मृत्युलोक आने की जरूरत नहीं होती है।
आइये अब आपको साल 2021 में निकाली जाने वाली जगन्नाथ रथ यात्रा से जुड़े नियमों की जानकारी दे देते हैं।
साल 2021 में भगवान जगन्नाथ रथ से जुड़े नियम
कोरोना महामारी को देखते हुए राज्य सरकार और कोर्ट ने भगवान जगन्नाथ के रथ यात्रा से जुड़े कई नियमों का पालन करने के सख्त दिशा निर्देश दिये हैं। हालांकि इस दौरान उन नियमों में कोई बदलाव नहीं होंगे जो शास्त्रों और पुराणों के अनुसार रथ यात्रा को निकालते वक़्त पालन किया जाना जरूरी है।
साल 2021 में निकलने वाली जगन्नाथ पुरी रथ यात्रा से पहले मंदिर और इसके आसपास के इलाके में धारा 144 लागू कर दिया गया है। साल 2020 की ही तरह इस साल भी रथ यात्रा में सिर्फ पुजारी, पुरोहित और सेवक ही शामिल हो सकेंगे। इस दौरान इन सभी को कोरोना के नियमों का पालन करना होगा। रथ यात्रा में शामिल होने वाले सभी लोगों को कोरोना के टीके के दोनों डोज़ लगा दिये जा चुके हैं। यात्रा में शामिल सभी लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए फेस मास्क और सैनिटाइजेशन जैसी जरूरी चीजें जो करोना महामारी से निपटने में कारगर मानी जाती हैं, का पालन करना जरूरी होगा।
ये भी पढ़ें : जानिए वो कथा जिसकी वजह से भगवान जगन्नाथ को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ जरूर साझा करें। धन्यवाद!