इस शुभ योग में रखा जाएगा इंदिरा एकादशी का व्रत; इस उपाय से तृप्त हो जाते हैं सात पीढ़ियों के पितर!

हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। हर माह में दो एकादशी पड़ती है। इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है। सनातन धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व है। यह एकादशी पितृपक्ष में आती है, इसलिए इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने और व्रत रखने से पितरों की आत्मा को मोक्ष मिलता है। इसके अलावा, इस दिन पूर्वज के नाम पर दान कर दिया जाए तो उन्हें बैकुंठ प्राप्ति होती है। पुराणों के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के सात पीढ़ियों तक के पितृ तृप्त हो जाते हैं। साथ ही, व्रत करने वाला भी स्वयं मोक्ष की प्राप्ति करता है।

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ख़ास बात यह है कि इस बार इंदिरा एकादशी बेहद शुभ योग में मनाई जाएगी और इस योग के चलते इस एकादशी का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इंदिरा एकादशी 2023 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, कथा, शुभ योग और आसान ज्योतिषीय उपाय के बारे में।

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इंदिरा एकादशी 2023: तिथि व समय

इस साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 10 अक्टूबर 2023 को पड़ रही है। इसलिए इंदिरा एकादशी का व्रत 10 अक्टूबर 2023 दिन मंगलवार को रखा जाएगा।

आश्विन मास आरंभ: 09 अक्टूबर 2023 की दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से

आश्विन मास समाप्त: 10 अक्टूबर 2023 की दोपहर 03 बजकर 11 मिनट तक

इंदिरा एकादशी पारण मुहूर्त

पारण मुहूर्त: 11 अक्टूबर 2023 की सुबह 06 बजकर 19 मिनट से 08 बजकर 38 मिनट तक।

अवधि: 2 घंटे 19 मिनट

इंदिरा एकादशी पर शुभ योग

इंदिरा एकादशी के दिन बेहद शुभ योग साध्य योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में किए गए किसी भी कार्य का शुभ परिणाम प्राप्त होता है। मान्यता है कि साध्य योग के दौरान कोई भी चीज़ सीखने और करने में बहुत मन लगता है और उसमें सफलता भी हासिल होती है।

साध्य योग आरंभ: 09 अक्टूबर 2023 की सुबह 06 बजकर 49 मिनट से

साध्य योग समाप्त: 10 अक्टूबर 2023 की सुबह 07 बजकर 45 मिनट तक।

इंदिरा एकादशी का महत्व

सनातन धर्म में इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। पुराणों में बताया गया है कि जितना पुण्य कन्यादान, हजारों वर्षों की तपस्या से मिलता है उससे अधिक पुण्य एकमात्र इंदिरा एकादशी व्रत करने से मिल जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को उनके जन्मों जन्मांतर के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसके अलावा इस एकादशी के व्रत से यमलोक की यातना का सामना नहीं करना पड़ता है और व्रत करने वाला भी स्वयं स्वर्ग में स्थान पाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि यदि कोई पूर्वज जाने-अनजाने में हुए पाप कर्मों के कारण दंड भोग रहा होता है तो इस दिन विधि-विधान से व्रत कर उनके नाम से दान करने से पितृ स्वर्ग में चले जाते हैं और सभी पापों से मुक्ति पा लेते हैं।

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इंदिरा एकादशी पर करें इस विधि से पूजा

  • इंदिरा एकादशी के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प कर पहले सूर्य को जल दें। 
  • इस एकादशी पर विष्णु जी के स्वरूप शालिग्राम की पूजा की जाती है।
  • इसके बाद भगवान शालिग्राम को पहले पंचामृत से स्नान करवाएं फिर गंगाजल मिले हुए जल से स्न्नान करवाएं। 
  • फिर पूजा में पीला चंदन,अबीर, गुलाल, अक्षत, मोली, फूल, तुलसी पत्र अर्पित करें। 
  • इसके बाद खीर का भोग लगाएं और उसमें तुलसी जरूर रखें क्योंकि भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय हैं।
  • भोग लगाने के बाद भगवान शालिग्राम की आरती जरूर करें।
  • इसके बाद इंदिरा एकादशी की कथा अवश्य सुनें। माना जाता है कि कथा सुने बिना व्रत पूरा नहीं होता है।
  • इस दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है और फलाहार लेकर व्रत रखा जाता है।
  • व्रत के दिन ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करना फलदायी होता है।

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इंदिरा एकादशी की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, सतयुग में इंद्रसेन नाम के एक राजा माहिष्मती नामक क्षेत्र में राज करते थे। इंद्रसेन राजा भगवान विष्णु के परम भक्त और धर्म के मार्ग पर चलने वाले थे। एक दिन वह सुचारू रूप से अपना कामकाज कर रहे थे और अचानक देवर्षि नारद का उनकी राज सभा में आगमन हुआ। राजा ने देवर्षि नारद का स्वागत सत्कार कर उनके आगमन का कारण पूछा। देवर्षि नारद जी ने बताया कि कुछ दिन पूर्व वो यमलोक गए थे वहां पर उनकी भेंट राजा इंद्रसेन के पिता से हुई। राजन आपके पिता ने आपके लिए संदेश भेजा है। उन्होंने कहा कि एक बार किसी कारणवश उनसे एकादशी का व्रत भंग हो गया था जिसके बाद उन्हें अभी तक मुक्ति नहीं मिल पाई है और उन्हें यमलोक में ही रहना पड़ रहा है। मेरे पुत्र और संतान से कहिएगा कि यदि वो आश्विन कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत रखें तो उसके बदले मुझे मुक्ति मिल जाएगी।

नारद मुनि की बात सुनकर राजा इंद्रसेन ने व्रत का विधान पूछा और व्रत करने का संकल्प लिया। राजा ने पितृ पक्ष की एकादशी तिथि पर पूरे विधि-विधान से व्रत का पालन किया। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाया और गौ दान किया। इस प्रकार राजा इंद्रसेन के व्रत और पूजन के भाग से उनके पिता को यमलोक से मुक्ति और बैकुंठ लोक की प्राप्ति हुई। उस दिन से ही इस व्रत का नाम इंदिरा एकादशी पड़ गया और इसका महत्व बढ़ गया।

इंदिरा एकादशी के दिन भूलकर भी न करें ये काम

  • यदि आप इंदिरा एकादशी का व्रत रखते हैं तो एकादशी तिथि के एक दिन पहले पूर्व से ही सात्विक भोजन करें।
  • लहसुन, प्याज व तामसिक भोजन से दूरी बना लें।
  • इसके अलावा इस दिन चावल, दही, चांदी और तांबा में से किसी भी एक चीज का दान किसी गरीब ब्राह्मण को कर दें।
  • एकादशी व्रत में चावल खाना वर्जित होता है। ऐसा कहा जाता है कि चावल खाने से व्यक्ति अगले जन्म में कीड़ा बनता है।
  • इस दिन घर की सुख-शांति बनाए रखने के लिए बड़े बुजुर्गों की सेवा करें और उन्हें गलती से भी दुखी ना करें।

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इंदिरा एकादशी के दिन जरूर अपनाएं ये आसान ज्योतिषीय उपाय

एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत में श्राद्ध कर्म करने से और कुछ उपायों को करने से भक्तों को बहुत लाभ होगा। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:

कर्ज से मुक्ति पाने के लिए

कर्ज में डूबे लोगों को इंदिरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग की वस्तु जैसे पीले फूल, पीला फल, पीला अनाज पूजा में अर्पित करना चाहिए। इसके बाद इन सभी चीज़ों को गरीब या जरूरतमंदों में बांट दें। ऐसा करने पर आप सभी प्रकार के कर्ज के बोझ से मुक्ति पा सकते हैं।

सुख-समृद्धि के लिए

एकादशी व्रत के दिन शाम के समय तुलसी के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए और इस दौरान ‘ॐ वासुदेवाय नमः’ मंत्र का लगातार जाप करते रहना चाहिए। फिर पौधे की 11 या 21 बार परिक्रमा करनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और परिवार में धन-धान्य व सौभाग्य की वृद्धि होती है।

आर्थिक स्थिति मजबूत बनाए रखने के लिए

इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और फिर 11 बार वृक्ष की परिक्रमा करें। ऐसा करने से परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और व्यक्ति को कभी भी पैसों की तंगी नहीं झेलनी पड़ती है।

नकारात्मक ऊर्जाओं को दूर करने के लिए

इंदिरा एकादशी के दिन पूजा के दौरान भगवान विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे सभी नकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त हो जाती हैं और व्यक्ति सही राह पर चलने लगता है।

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पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए

इंदिरा एकादशी का व्रत करने से व कथा सुनने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन ब्राह्मणों को भोजन और दान देने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं। साथ ही, पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।

बिगड़े काम बनाने के लिए

यदि बनते बनते काम आपके बिगड़ जा रहे हैं तो इस एकादशी के दिन पीपल के 11 पत्ते लें। अब इन पत्तों से एक माला बनाएं और शनि मंदिर में जाकर अर्पित करें। साथ ही इस मंत्र का 108 बार जाप करें- ‘शं ऊँ शं नमः।’ ऐसा करने से आपके सारे काम धीरे-धीरे बनने लेंगे।

दांपत्य जीवन में खुशियां बनाए रखने के लिए

यदि आपके दांपत्य जीवन से खुशियां कहीं गायब हो गई हैं और पार्टनर से आए दिन लड़ाई-झगड़ा होता है तो इस दिन आपको थोड़े-से काले तिल लेने चाहिए और पीपल के पेड़ के पास चढ़ाने चाहिए। साथ ही पीपल की जड़ में पानी चढ़ाना चाहिए और शनिदेव के इस मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। मंत्र- ‘ऊँ श्रीं शं श्रीं शनैश्चराय नमः।’ ये उपाय करने से आपका दांपत्य जीवन खुशियों से भर जाएगा।

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