वैदिक ज्योतिष के अनुसार आज 16 जुलाई को सूर्य ग्रह के कर्क राशि में प्रवेश करते ही इस दिन को कर्क संक्रांति के रूप में मनाया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि कर्क संक्रांति से सूर्यदेव दक्षिणायन हो जाते हैं। कर्क संक्रांति के दिन से अगले छह महीनों तक समस्त देवताओं की रात्रि प्रारंभ हो जाती है। इसके साथ ही साथ आज से चार माह के लिए भगवान विष्णु भी निंद्रा अवस्था में चले जाते हैं। आज हम आपको कर्क संक्रांति के महत्व और इस दिन से जुड़े कुछ अहम तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।
कर्क संक्रांति का महत्व
हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार आज कर्क संक्रांति के दिन से सूर्य अगले छह महीने के लिए दक्षिणायन हो जाते हैं और इसके बाद मकर संक्रांति के दिन उत्तरायण होते हैं। सूर्य के दक्षिणायन होने से उत्तरायण होने तक के अंतराल में खासतौर से भगवान विष्णु और महादेव की पूजा अर्चना की जाती है। इस दौरान हिन्दू धर्मशास्त्र में पित्तरों की पूजा या पिंडदान भी किया जाता है। कर्क संक्रांति के दिन किसी प्रकार के शुभ काम को करना निषेध माना जाता है। ऐसा इसलिए हैं क्योंकि इस समय चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है और चातुर्मास में चार महीनों तक कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।
कर्क संक्रांति से जुड़ी इन दस महत्वपूर्ण बातों के बारे में जान लें
- सूर्य के किसी राशि में संक्रमण करने के दिन को संक्रांति के रूप में मनाया जाता है।
- आज सूर्य का संक्रमण कर्क राशि में हो रहा है इसलिए इस दिन को कर्क संक्रांति के नाम से जाता है।
- चूँकि बारह राशियां होती हैं और सूर्य सभी राशियों में संक्रमण करते हैं इसलिए साल में कुल 12 संक्रांति मनाई जाती है
- सभी संक्रांतियों में से विशेष रूप से कर्क संक्रांति और मकर संक्रांति को ख़ासा महत्व दिया जाता है।
- कर्क संक्रांति के दिन से सूर्य के दक्षिणायन होने से नकारात्मक शक्तियां बढ़ जाती हैं और इसलिए इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।
- इस दौरान सभी देवता भी निंद्रा अवस्था में चले जाते हैं इसलिए भी इस दौरान शुभ काम नहीं किये जाते।
- सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से ही शुभ कार्यों की शुरुआत की जाती है।
- कर्क संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में सूर्योदय के समय स्नान कर लोग सूर्य देवता से हमेशा स्वस्थ्य रहने का आशीर्वाद मांगते हैं।
- इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु, शिव जी और सूर्य देव की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है।
- कर्क संक्रांति के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करना लाभदायी साबित हो सकता है।
कर्क संक्रांति के दिन इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए यदि आप उपरोक्त तीनों देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं तो इससे आपको चातुर्मास के दौरान भी शुभ लाभ प्राप्त हो सकते हैं।