आपको जानकर हैरानी होगी की जहाँ भगवान् के मंदिरों में फूल, जल और प्रसाद चढ़ाये जाते हैं वहीं एक ऐसा भी मंदिर है जहाँ शिव जी को झाड़ू चढ़ाया जाता है। बता दें कि उत्तर प्रदेश में एक ऐसा शिव मंदिर है जहाँ शिव जी के मंदिर में शिवलिंग पर झाड़ू चढ़ाने की प्रथा है। आज हम आपको इसी मान्यता प्राप्त शिव मंदिर और वहां की शिव महिमा के बारे में बताने जा रहे हैं। तो देर किस बात की आइये जान लेते हैं आखिर इस शिव मंदिर में क्यों शिव जी को झाड़ू चढ़ाया जाता है और क्या है इस मंदिर की मान्यता।
उत्तर प्रदेश के मुरदाबाद में स्थित है शिव जी का ये अनोखा मंदिर
आपको बता दें कि आज हम जिस शिव मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं वो असल में कहीं और नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में स्थित है। इस शिव मंदिर का नाम पातालेश्वर शिव मंदिर है। यहाँ आने वाले भक्त शिव जी को झाड़ू चढ़ाते हैं। इस मंदिर को लेकर शिव भक्तों में विशेष आस्था और विश्वास है। लोगों का ऐसा मानना है की यहाँ शिव जी को झाड़ू चढाने से उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ती शिव जी की तुरंत ही कर देते हैं। मुरादाबाद स्थित इस शिव मंदिर में विशेष रूप से सोमवार के दिन भक्तों की अपार भीड़ लगी रहती है। माना जाता है कि इस मंदिर में झाड़ू चढ़ाने की परंपरा काफी सालों से चली आ रही है।
भक्त इसलिए चढ़ाते हैं शिव जी को झाड़ू
सबसे पहले आपको बता दें कि मुरादाबाद स्थित पातालेश्वर शिव मंदिर असल में करीबन डेढ़ सौ साल पुराना है। इस शिव मंदिर में झाड़ू चढ़ाने की परंपरा भी उतनी ही पुरानी है। लोगों का ऐसा मानना है कि यहाँ झाड़ू चढ़ाने से लोगों की विभिन्न प्रकार की बीमारियां दूर होती है और लोग निरोग बनते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति विशेष रूप से किसी प्रकार से चर्म रोग से ग्रसित होता है उसे यहाँ आकर भगवान् शिव को झाड़ू जरूर अर्पित करना चाहिए। इस शिव मंदिर में झाड़ू चढ़ाने से महादेव ना केवल भक्तों को सभी रोगों से मुक्त रखते हैं बल्कि जीवन में व्याप्त अन्य समस्याओं से भी निजात दिलाते हैं।
पातालेश्वर शिव मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
माना जाता है कि प्राचीन काल में मुरादाबाद में एक व्यापारी रहता था जो चर्म रोग से ग्रसित था। एक दिन वो व्यापार के सिलसिले में कहीं जा रहा, उस समय उसे प्यास लगी और पानी पीने के लिए वो इस शिव मंदिर पर रुक गया। उस समय इस मंदिर का निर्माण नहीं हुआ था बल्कि वहां लोग सिर्फ शिवलिंग की पूजा करने आते थे। वो व्यापारी जब वहां पंहुचा तो उसकी मुलाकात वहां झाड़ू लगा रहे एक शख्स से हुई। माना जाता है कि उस शख्स से टकराते ही व्यापारी का चर्म रोग दूर हो गया। ऐसा देख उसने झाड़ू लगा रहे शख्स को कुछ पैसे लेने का अनुरोध किया लेकिन वो अनायास ही वहां से गायब हो गया। कहते हैं कि गायब हुआ वो व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि स्वयं भगवान शिव थे। इसके बाद ही उस व्यापारी ने वहां शिव मंदिर का निर्माण करवाया और शिवलिंग पर झाड़ू चढाने की प्रथा की भी शुरुआत की।