5 सितंबर से सिंह में अस्त होगा शुक्र, शादी-विवाह पर अब लग जाएगी ब्रेक!

ज्योतिष में समस्त भौतिक व सांसारिक सुखों के कारक ग्रह शुक्र अस्त होने जा रहे हैं। शुक्र तारा 15 सितंबर 2022 को अस्त होगा, जिसके साथ ही देशभर में समस्त शुभ कार्य व विवाह पर भी ब्रेक लग जाएगी। ऐसे में आज हम अपने इस लेख में जानेंगे कि आखिर शुक्र के अस्त होने से देशभर में क्या-क्या परिवर्तन आ सकते हैं और साथ ही इस अस्त का आपके जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ने की संभावना रहेगी। परंतु उससे पहले आइये जानें आखिर अस्त का ज्योतिष में क्या अर्थ होता है। 

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ज्योतिष में ग्रहों के अस्त होने का मतलब 

एस्ट्रोसेज के ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो, जब भी कोई ग्रह अपनी परिक्रमा करते हुए समस्त ग्रह मंडल के राजा कहे जाने वाले सूर्य देव के इतना समीप चला जाता है कि सूर्य के प्रकाश व उसके तेज के कारण उस ग्रह का स्वयं का तेज समाप्त हो जाता है। इस दौरान वो ग्रह सूर्य से किसी विशेष अंशात्मक दूरी पर होता है, जिससे सूर्य की ऊर्जा उस ग्रह के प्रभाव को बलहीन बना देती है, तो इस स्थिति को ही हम ज्योतिष में उस ग्रह का सूर्य से अस्त होना कहते हैं। 

ये देखा गया है कि जब भी कोई ग्रह किसी भी राशि में अस्त हो जाता है तो उसकी अपने कारक के अनुसार फल देने की क्षमता में भी कमी आ जाती है। मतलब ये कहा जा सकता है कि वो ग्रह अस्त स्थिति के दौरान स्वयं के मूल कारकत्वों का परित्याग कर देता है। 

अब अगर बात करें भोर का तारा कहे जाने वाले ग्रह शुक्र की तो, वो जब भी परिक्रमा करते हुए सूर्य के निकट आता है तब कुछ विशेष परिस्थिति में सूर्य की ऊर्जा के समक्ष उसकी स्वयं की ऊर्जा बेहद कमज़ोर पड़ जाती है, जिस कारण शुक्र सौरमंडल में पूर्ण रूप से दृष्टिगोचर नहीं होता है। इसी स्थिति को ही शुक्र का अस्त होना कहते हैं।

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शुक्र अस्त के परिणाम 

  • वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को काम-वासना व सुख-सुविधाओं का कारक ग्रह माना गया है। ऐसे में यदि किसी भी जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह अस्त अवस्था में हो तो उस जातक को आजीवन विवाह संबंधित अलग-अलग प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 
  • ​​शुक्र ग्रह के अस्त होने की अवधि में कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, आदि करना वर्जित हो जाता है। 
  • विशेषज्ञ ज्योतिषियों की मानें तो, यदि किसी महिला जातक की कुंडली में शुक्र ग्रह अस्त होता है तो उस महिला को गर्भाशय का रोग या यौन स्त्री रोग जैसी समस्या होने की आशंका रहती है। क्योंकि अस्त शुक्र जननांगों या यौन रोग प्रदान करने का कारण बन सकता है। 
  • ऐसे जातक चरित्रहीन व एक से अधिक रिश्ते या अफेयर में लिप्त हो सकते है। 
  • साथ ही इन लोगों को गुर्दे, आंखों, मूत्राशय और त्वचा संबंधित शारीरिक समस्याएं होना आम बात है। 
  • इसके अलावा ये भी देखा गया है कि विवाहित जातकों को अस्त शुक्र का प्रभाव उनके जीवनसाथी को सेहत से जुड़ी समस्या के रूप में देता है।  
  • यदि किसी कुंडली के अष्टम भाव में शुक्र अस्त होते हैं तो वह जातक जीवन भर अपने दांपत्य जीवन में समस्याएं झेलता है। 
  • वहीं किसी कुंडली के द्वादश भाव में शुक्र के अस्त होने से व्यक्ति सुख-सुविधाओं से वंचित रहता है। 
  • ऐसे में शुक्र के दुष्प्रभावों से बचाव हेतु आपको ज्योतिषी सलाह के बाद शुक्र ग्रह की शांति के लिए ज़रूरी व कारगर उपाय करने की सलाह दी जाती है। 

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शुक्र के अस्त होने की समयावधि 

अब यही भौतिक सुखों के देवता शुक्र अपने शत्रु सूर्य देव की सिंह राशि में अस्त हो रहे हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार शुक्र 15 सितंबर 2022, गुरुवार प्रातःकाल 02 बजकर 29 मिनट पर सूर्य के समीप आकर अस्त हो जाएंगे और फिर सिंह में ही शुक्र की ये अस्त अवस्था 2 दिसंबर 2022 को समाप्त हो जाएगी। 

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सिंह में अस्त शुक्र का प्रभाव 

  • चूँकि शुक्र सिंह राशि में अस्त हो रहे हैं, जो सूर्य देव की राशि है और शुक्र का सूर्य के साथ शत्रुता का भाव होता है। ऐसे में शत्रु सूर्य की राशि में ही सूर्य के द्वारा शुक्र के अस्त होने से जातकों को अपने निजी जीवन में सुख व धन की कमी से दो-चार होना पड़ेगा। 
  • साथ ही प्रेमी के साथ प्रेम विवाह करने के इच्छुक जातकों को भी अस्त शुक्र प्रतिकूल फल देने वाला है। 
  • वो जातक जो विवाह के योग्य हैं, उन्हें अच्छा प्रस्ताव मिलने में समस्या आएगी। 
  • साथ ही 15 सितंबर से 2 दिसंबर तक घर-परिवार में मांगलिक व शुभ कार्य करना भी वर्जित होगा। क्योंकि शुक्र अस्त होने से विवाह संबंधी कार्य व तारीख तय करना बेहद अशुभ माना जाता है। इसलिए ऐसा करने से बचें। 

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इसके अलावा आइये अब जानें सिंह राशि में शुक्र के अस्त होने के दौरान सबसे अधिक किन राशियों को सावधान रहने की ज़रूरत होगी।  

इन राशियों पर पड़ेगा अस्त शुक्र का नकारामक प्रभाव 

  1. सिंह राशि:

शुक्र आपकी ही राशि में अस्त होंगे, जिसके चलते आपको इस दौरान पारिवारिक जीवन में अपने भाई-बहनों के साथ संबंधों में कुछ परेशानी हो सकती है। क्योंकि आपकी संवाद शैली में कटुता देखी जाएगी, जिससे आप अपने स्वभाव व शब्दों से दूसरों को आहत कर सकते हैं। वहीं कुछ जातकों को हृदय संबंधी किसी प्रकार की समस्या से भी परेशानी हो सकती है। 

  1. कन्या राशि: 

शुक्र आपकी राशि के द्वादश भाव में अस्त होंगे। जिससे अपने करियर में आपको भाग्य का साथ नहीं मिलेगा और आप अपने कार्यों को समय पर पूरा करने में असमर्थ रहेंगे। ये वो अवधि होगी जब आपके विरोधी काफी सक्रिय होते हुए, लगातार आपके खिलाफ षड्यंत्र की योजना बनाते नज़र आएंगे। वहीं शादीशुदा जातकों को भी इस समय साथी के साथ अपने रिश्ते में सामंजस्यता की कुछ कमी महसूस हो सकती है। 

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  1. तुला राशि: 

शुक्र देव आपके एकादश भाव में अस्त हो रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप आपको इस दौरान सबसे अधिक कार्यक्षेत्र पर कई प्रकार की बाधाओं का सामना करना होगा। साथ ही शुक्र की ये स्थिति आपके सुख-सुविधा में भी गिरावट करते हुए आपके खर्चों में वृद्धि लाएगी। वो जातक जो शादीशुदा हैं, उन्हें भी अपने साथी के साथ किसी प्रकार के विवाद का सामना करना पड़ेगा। 

  1. वृश्चिक राशि:  

शुक्र देव आपकी राशि के दशम भाव में अस्त हो रहे हैं, जिसके कारण आप अपनी इच्छा अनुसार कार्यस्थल पर लाभ अर्जित करने में असफल रहने वाले हैं। ये वो समय होगा जब सहकर्मियों के कारण आपको कुछ परेशानियों से जूझना पड़ सकता है। इस कारण आप अपनी नौकरी बदलने का भी सोच सकते हैं। वहीं वो सिंगल जातक जो विवाह करने के इच्छुक हैं, उन्हें अभी और प्रतीक्षा करनी होगी। 

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  1. मकर राशि: 

शुक्र आपकी राशि के अष्टम भाव में अस्त हो रहे हैं। ऐसे में आपको इस दौरान करियर में सफलता मिलने में समस्या महसूस होगी। खासतौर से नौकरीपेशा जातकों को शुक्र देव कई चुनौतियां देंगे, जिससे आप खुद को अपने लक्ष्यों की ओर केंद्रित नहीं रख सकेंगे। दांपत्य जातक भी इस समय सबसे अधिक अपने परिवार और अपने बच्चों के विकास को लेकर तनाव महसूस कर सकते हैं। ऐसे में आपको खुद को तनाव मुक्त रखने का प्रयास करना होगा, अन्यथा आपकी सेहत में गिरावट दर्ज की जाएगी। 

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सिंह में शुक्र तारा के अस्त होने पर करें ये उपाय 

  1. शुक्रवार के दिन सफेद या क्रीम रंग के वस्त्र ही धारण करें।
  2. नियमानुसार हाथ में जरकन या हीरा रत्न धारण करें। 
  3. नियमित रूप से परफ्यूम या इत्र का प्रयोग करें। 
  4. किसी भी गरीब व ज़रूरतमंद नेत्रहीन व्यक्ति को सफेद वस्त्र व दूध से बनी मिठाई भेट करें। 
  5. दस वर्ष से कम उम्र की छोटी कन्याओं में चावल की खीर बाटें। 
  6. नियमित रूप से मछलियों को आटे का दाना डालें।
  7. हर शुक्रवार शुक्र ग्रह से संबंधित मंत्रों का कम से कम  108 बार जाप करें। 
  8. देवी दुर्गा की हर शुक्रवार धूप, दीप, श्वेत पुष्प, अक्षत आदि से पूजा-अर्चना करें। 
  9. हाथ में चांदी का कड़ा पहनें। 
  10. आप ऑनलाइन शुक्र ग्रह की शांति पूजा करके भी अपनी कुंडली में अस्त शुक्र की अशुभता को दूर कर सकते हैं।
  11. नियमित रूप से श्री सूक्त का पाठ करना भी आपके लिए अनुकूल रहेगा। 
  12. शुक्रवार के दिन या शुक्र की होरा में या शुक्र के नक्षत्र (भरणी, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा) में शुक्र ग्रह से संबंधित वस्तुओं जैसे: दही, खीर, ज्वार, इत्र, रंग-बिरंगे कपड़े, चांदी, चावल इत्यादि का दान करना भी आपके लिए अच्छा रहेगा। 
  13. शुक्रवार के दिन नमक व खट्टी चीज़ों का सेवन करने से बचें।  
  14. शुक्र यंत्र की विधि-विधान पूर्वक अपने घर या दफ्तर में स्थापना करें। 

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शुक्र ग्रह से संबंधित मंत्र 

  • शुक्र ग्रह का वैदिक मंत्र

“ॐ अन्नात्परिस्त्रुतो रसं ब्रह्मणा व्यपिबत क्षत्रं पय: सोमं प्रजापति:।

ऋतेन सत्यमिन्दियं विपानं शुक्रमन्धस इन्द्रस्येन्द्रियमिदं पयोऽमृतं मधु।।”

  • शुक्र ग्रह का तांत्रिक मंत्र

“ॐ शुं शुक्राय नमः”

  • शुक्र ग्रह का बीज मंत्र

“ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः”

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