होली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार होली का पर्व चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। होली का यह त्यौहार वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है। होली के इस पर्व को हरियाणा में धुलंडी के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि, इस दिन हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रहलाद को जिंदा जला देना चाहता था लेकिन, भगवान ने अपने भक्त पर अपनी कृपा बनाए रखी और इस अग्नि से प्रहलाद को बचाया, इसलिए इस दिन होलिका दहन की परंपरा भी मानी जाती है। होलिका दहन के अगले दिन रंगों से होली खेली जाती है जिसे रंग वाली होली या धुलंडी के नाम से जानते हैं।
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होली के दिन का शुभ मुहूर्त
12:01:34 से 12:51:01 तक
होली का इतिहास
होली त्योहार का वर्णन हमें प्राचीन विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हंपी में सोलहवीं शताब्दी का चित्र मिलता है जिसमें होली के पर्व का जिक्र किया गया है। इसके अलावा विंध्य पर्वतों के निकट स्थित रामगढ़ में 300 वर्ष पुराने अभिलेख में भी होली का जिक्र मिलता है।
होली से जुड़ी पौराणिक कथा
होली के त्यौहार से जुड़ी अनेक कथाएं इतिहास पुराण में पाई जाती हैं। इनमें से सबसे प्रमुख है हिरणकश्यप, प्रहलाद और होलिका की कहानी और दूसरी है राधा कृष्ण की लीलाएं और राक्षसी धुंडी की कहानी। रंगों वाली होली से एक दिन पूर्व होलिका दहन का त्यौहार मनाया जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बुराई पर अच्छाई की जीत की याद करते हुए होलिका दहन के रूप में मनाया जाता है।
इस कथा के अनुसार हिरणकश्यप जो अपनी शक्ति और बल के घमंड में चूर होकर खुद को भगवान मान बैठा था उसने अपने पुत्र को जलाने के लिए अपनी बहन का साथ लिया और अपनी बहन को प्रह्लाद के साथ अग्नि में बैठने का आदेश दिया। क्योंकि होलिका को अग्नि में ना जलने का आशीर्वाद प्राप्त था इसलिए वह हिरणकश्यप की बात मानकर प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई। हालांकि हिरणकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और यही बात हिरणकश्यप को बिल्कुल पसंद नहीं थी अग्नि में बैठने के बाद प्रहलाद में भगवान विष्णु की पूजा जारी रखी। जिसके प्रभाव से भगवान विष्णु ने अग्नि से प्रहलाद का बाल भी बांका नहीं होने दिया और इसी इसी अग्नि में जल-कर होलिका राख हो गयी।
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होली से जुड़ी दूसरी कथा के अनुसार बताया जाता है कि, एक बार बाल गोपाल ने माता यशोदा से पूछा कि, वह राधा की तरह गोरे क्यों नहीं है? तो यशोदा मां ने उनसे मज़ाक में कहा कि, अगर आप राधा के चेहरे पर रंग लगा दे तो राधा भी आपकी रंग की हो जाएंगी। इसके बाद कान्हा ने राधा और गोपियों के साथ रंग वाली होली खेली और तब से ही यह पर्व रंगों के त्यौहार के रूप में मनाया जाने लगा।
इस त्यौहार से जुड़ी एक और कथा के अनुसार बताया जाता है कि, भगवान शिव के श्राप के कारण धुंडी नाम की राक्षसी को पृथ्वी के लोगों ने इस दिन भगा दिया था जिसकी याद में होली का त्यौहार मनाया जाता है।
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होली के अलग-अलग रूप
होली का त्यौहार तो एक है लेकिन भारत के विभिन्न क्षेत्रों में होली का पर्व अलग-अलग नाम और अलग-अलग रूप में मनाया जाता है। जैसे मध्यप्रदेश के मालवा में होली के पांचवें दिन रंग पंचमी मनाई जाती है जो मुख्य होली से भी अधिक जोर शोर से खेली जाती है। यह पर्व सबसे ज्यादा धूमधाम से ब्रज क्षेत्र में मनाया जाता है। बरसाना में इसे लठमार होली के नाम से जाना जाता है। मथुरा और वृंदावन में होली खेली जाती है। हरियाणा में भाभी देवर द्वारा होली खेले जाने की परंपरा है। वहीं महाराष्ट्र में रंग पंचमी के दिन सूखे गुलाल से होली खेली जाती है। तो वहीं दक्षिण गुजरात के आदिवासियों के लिए होली सबसे बड़ा पर्व माना गया है। छत्तीसगढ़ में लोक-गीतों का बेहद प्रचलन है और मालवांचल में भगोरिया मनाया जाता है।
क्या है लठमार होली?
उत्तर प्रदेश के मथुरा में बरसाना नंदगांव में होली लठमार होली के नाम से मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार नंद गांव में जब कृष्ण राधा से मिलने बरसाना गांव पहुंचे तो वे राधा और उनकी सहेलियों को चिढ़ाने लगे जिसके चलते राधा और उनकी सहेलियों ने कृष्ण और उनके ग्वाल बालों को लाठी से मार कर अपने आप से दूर करने लगी और तब से ही इन दोनों गांव में लठमार होली का चलन शुरू हो गया।
यह परंपरा आज भी मनाई जाती है। नंद गांव के युवक बरसाना जाते हैं तो खेल के विरुद्ध वहां की महिला लाठियों से उन्हें भगाती हैं और युवक इस लाठी से बचने का प्रयास करते हैं। अगर गलती से भी हो पकड़ ले जाते हैं तो उन्हें महिलाओं की वेशभूषा में नृत्य कराया जाता है। इस तरह से लठमार होली मनाई जाते हैं।
होली का महत्व
होली का महत्व बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में सामाजिक महत्व माना जाता है। इसके अलावा एक ऐसा त्योहार है जिसमें सब लोग आपसी मतभेद भूलकर एक दूसरे को गले लगाते हैं रंग खेलते हैं। रंग और ख़ुशियाँ सौहार्द का प्रतीक है इसीलिए ये लोगों में आपसी प्रेम और स्नेह भी बढ़ाता है। वहीं इस त्यौहार के धार्मिक महत्व की बात करें तो इस दिन होलिका में सभी तरह की नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है और सकारात्मकता की शुरुआत होती है।
होली का पौराणिक महत्व
वेदों और पुराणों में इस बात का उल्लेख है कि पूरे भारत वर्ष में होली का त्यौहार वैदिक काल के समय से ही मनाया जा रहा है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, होली के त्यौहार को नए संवत् की शुरूआत माना जाता है। इस दिन के साथ कई सारी मान्यताएं भी जुड़ी हुई हैं। कहते हैं कि इसी दिन पृथ्वी पर पहले इंसान का जन्म हुआ था, इसी दिन कामदेव का भी पुनर्जन्म हुआ था, भगवान विष्णु के नरसिंह का रूप धर-कर इसी दिन हिरण कश्यप का वध भी इसी दिन किया था।
कहते हैं कि होली के त्यौहार को भगवान कृष्ण बड़ी ही धूमधाम से मनाया करते थे। ऐसे में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा शुरू की गयी ये परंपरा आज भी कृष्ण की नगरी मथुरा में देखने को मिलती है। भगवान कृष्ण अपने बाल स्वरूप से ही यहां होली बड़े ही उत्साह के साथ मनाते थे। त्यौहार के इस जश्न में गोपियाँ और राधा भी उनका जमकर साथ देती थीं इसलिए ही तो आज भी मथुरा में फूलों की होली मनाई जाती है। जबकि राधा के गांव बरसाने की लठमार होली तो देश और दुनिया भर में प्रचलित हो चुकी है। होली प्रेम का पर्व है, जिसमें लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे के साथ ख़ुशियाँ बांटते हैं और एक दूसरे के रंग में रंग जाते हैं।
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होली में ज़रूर बरतें ये सावधानी
- होली ख़ुशियों का त्यौहार है लेकिन ज़रा सी चूक रंग में भंग का काम कर सकती है। ऐसे में यहाँ बेहद ज़रूरी है कि आप होली खेलते समय कुछ बातों का ध्यान अवश्य रखें जिससे किसी को कोई परेशानी ना हो और आप अपना त्यौहार ख़ुशियों से मना सकें।
- रंगों के इस त्यौहार को हमेशा से ही प्राकृतिक रंगों से खेला जाता रहा गया है लेकिन बदलते समय के साथ रंगों में केमिकल का उपयोग किया जाने लग गया है जो हमारी त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है। अथवा रंगों के चयन में सावधानी बरतें साथ ही कोई भी समस्या महसूस हो तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लें।
- किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन ना करें। इससे रंग में भंग पड़ने के अलावा और कुछ नहीं होता है।
- जितना हो सके जानवरों से इन रंगों को दूर ही रखें। बाकी खुद भी त्यौहार का आनंद लें और आस-पास भी ख़ुशियाँ बांटे।
राशि अनुसार जानें यह होली आपके लिए कैसी रहेगी
मेष
मंगल के स्वामित्व वाली मेष राशि के लोगों को होली के दौरान खानपान का विशेष ख्याल रखना होगा नहीं तो परेशानियां हो सकती हैं। यदि आप होली का आनंद लेना चाहते हैं आवश्यकता से अधिक खाने से बचें। इस राशि के लोग बच्चों के साथ होली के दौरान अच्छा समय व्यतीत करेंगे।
वृषभ
इस राशि के लोग अपनी भावनाओं को इस होली के दौरान घर के लोगों के साथ व्यक्त कर सकते हैं, जिसके चलते घर का माहौल जीवंत हो जाएगा।
मिथुन
आपके लिए यह होली कुछ खास हो सकती है। आप अपनी माता के साथ इस दौरान अच्छा समय बिता सकते हैं। जो लोग शादीशुदा हैं वो अपने जीवनसाथी को खुश करने के लिए इस दौरान कोई सरप्राइज उन्हें दे सकते हैं।
कर्क
इस राशि से जुड़े लोग अपने दोस्तों के साथ मिलकर इस होली खूब आनंद उठा सकते हैं। आप किसी तरह के रंगारंग प्रोग्राम का आयोजन इस समय कर सकते हैं।
सिंह
आपके लिए भी यह होली बहुत शुभ साबित हो सकती है। हालांकि इस होली के दौरान आपकी वाणी पर थोड़ा संयम रखने की जरूरत होगी। कुटुंब के लोगों के साथ आप अच्छा समय इस होली के दौरान व्यतीत करेंगे।
कन्या
इस राशि के लोग होली का आनंद तो उठाएंगे ही साथ ही घर में पूजा पाठ का आयोजन करके घर की नकारात्मकता भी इस राशि के लोग दूर करने की कोशिश करेंगे।
तुला
आपको होली के इस मौके पर आवश्यकता से अधिक खर्च करने से बचना चाहिए। हालांकि होली का यह त्योहार आपके लिए खुशियों से भरा होगा।
वृश्चिक
इस राशि के जातकों के लिए यह होली बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकती है। यदि आपने कहीं निवेश किया था तो उसका लाभ भी इस दौरान आपको प्राप्त हो सकता है।
धनु
गुरु की स्वामित्व वाली धनु राशि के जातक होली के रंगों को खूब आनंद लेंगे। इस दौरान कार्यक्षेत्र से आपको कोई खुशखबरी मिलने की भी संभावना है।
मकर
आपके लिए यह होली नकारात्मकता को दूर करने वाली साबित होगी। यदि आप किसी वजह से परेशान थे तो होली के दौरान आपकी सारी परेशानियां दूर हो सकती हैं। आप अपने पिता के साथ इस दौरान अच्छा समय बिता सकते हैं।
कुंभ
कुंभ राशि के जातकों को होली के मौके पर थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है, ऐसे रंगों का उपयोग करने से बचें जिससे आपकी त्वचा खराब हो सकती है। इसके अलावा पारिवारिक जीवन में अच्छा समय आप व्यतीत करेंगे।
मीन
राशिचक्र की अंतिम राशि मीन के जातकों के लिए यह होली अच्छी साबित होगी। खासकर दांपत्य जीवन में प्रवेश कर चुके इस राशि के जातकों के लिए। आप जीवनसाथी के साथ अच्छा समय इस दौरान बिता सकते हैं और साथ ही गिले-शिकवे भी दूर हो सकते हैं।
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