भारत में कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन इनमें से होली के पर्व का विशेष महत्व है। होली के त्योहार को रंगों का पर्व भी कहा जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर होली मनाते हैं। यह पर्व प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है और इस दिन सभी लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूलकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं और अबीर व गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। होली रंगों और खुशियों का त्योहार है और यह विश्व भर में प्रसिद्ध है। यह पर्व हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा पर्व है। इसके अलावा, होली के पर्व को अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है। फाल्गुन मास की शुरुआत ठंड की विदाई का संदेश लेकर आती है और मौसम बेहद खुशनुमा होने लगता है। इस त्योहार पर फाग गाने की भी परंपरा रही है।
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ख़ास बात यह है कि इस साल होली पर साल 2024 का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है और ऐसा 100 साल बाद होने जा रहा है। यह चंद्रग्रहण कन्या राशि में लगेगा। तो आइए अब आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में जानते हैं कि वर्ष 2024 में होली का पर्व किस दिन मनाया जाएगा व इस दिन कौन सा शुभ योग बन रहा है। इसके अलावा, इस दिन किए जाने वाले उपाय और भी कई महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में चर्चा करेंगे।
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होली 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होली का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 25 मार्च 2024 सोमवार को पड़ रही है।
फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 24 मार्च 2024 की सुबह 09 बजकर 57 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 25 मार्च 2024 की दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक
होलिका दहन मुहूर्त : 24 मार्च 2024 की रात 11 बजकर 15 मिनट से 25 मार्च की मध्यरात्रि 12 बजकर 23 मिनट तक।
अवधि :1 घंटे 7 मिनट
रंग वाली होली: 25 मार्च 2024, सोमवार
होली पर चंद्र ग्रहण
बता दें कि इस साल सौ साल बाद होली पर चंद्र ग्रहण लग रहा है। इस चंद्र ग्रहण की शुरुआत 25 मार्च की सुबह 10 बजकर 23 मिनट से होगी। वहीं इसका समापन दोपहर 03 बजकर 02 मिनट पर होगा। यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा, जिस कारण से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
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चंद्र ग्रहण का होली पर प्रभाव
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि इस साल पूर्णिमा तिथि 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगी और 25 मार्च की दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगी। ऐसे में, यदि चंद्र ग्रहण पड़ जाए तो इसके सूतक काल के कारण पूजा पाठ कार्यक्रमों पर असर पड़ता है और ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ काम नहीं किए जाते हैं। हालांकि यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा, जिस कारण से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा और इसका असर भी होली के त्योहार पर नहीं पड़ेगा लेकिन कई राशियों पर इसका असर अवश्य देखने को मिल सकता है।
होली 2024: पौराणिक महत्व
जिस प्रकार होली पर्व को वसंत ऋतु का संदेशवाहक माना जाता है, उसी तरह धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में हर साल मनाया जाता है। होली का त्योहार प्राचीन समय से मनाया जा रहा है। इसका उल्लेख पुराण, दशकुमारचरित, संस्कृत नाटक, रत्नावली और भी बहुत सारी पुस्तकों में पढ़ने को मिलता है। सनातन धर्म में होली एक सांस्कृतिक, धार्मिक और पारंपरिक त्यौहार है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, होली के त्योहार को नए संवत की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन के साथ हिंदू धर्म की कई सारी मान्यताएं जुड़ी हैं। कुछ लोगों की धारणा है कि इसी दिन पृथ्वी पर पहले इंसान का जन्म हुआ था। वहीं कुछ लोग यह भी मानते हैं कि इस दिन कामदेव का भी पुनर्जन्म हुआ था जबकि कुछ लोगों की मान्यता है कि भगवान विष्णु के नरसिंह का रूप धारण कर इसी दिन हिरण्यकश्यप का वध भी किया था।
शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान श्री कृष्ण को होली का पर्व सर्वाधिक प्रिय था। यही कारण है कि ब्रज में होली को महोत्सव के रूप में 40 दिनों तक धूमधाम के साथ मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा शुरू की गई यह परंपरा आज भी मथुरा में देखने को मिलती है। होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। होली के एक दिन पहले लोग होलिका की पूजा भी करते हैं क्योंकि हिंदू पौराणिक कथाओं में यह माना जाता है कि होलिका पूजा करने से घर में सुख समृद्धि और धन का आगमन होता है।
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क्यों मनाई जाती है होली
होली मनाने के पीछे कई वजह है लेकिन इनमें से सबसे बड़ी वजह भक्त प्रह्लाद से जुड़ी है। पौराणिक कथा के अनुसार, भक्त प्रह्लाद राक्षस कुल में जन्मे थे परन्तु वे भगवान विष्णु के बड़े भक्त थे और उनकी पूजा आराधना में लीन रहते थे। उनके पिता हिरण्यकश्यप को उनकी ईश्वर भक्ति अच्छी नहीं लगती थी इसलिए हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को अनेकों प्रकार के बड़े से बड़े कष्ट दिए। प्रह्लाद की बुआ यानी हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को ऐसा वस्त्र वरदान में मिला हुआ था जिसको पहन कर आग में बैठने से उसे आग नहीं जला सकती थी। होलिका भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए वह वस्त्र पहनकर उन्हें गोद में लेकर आग में बैठ गई। भक्त प्रह्लाद की भगवान विष्णु ने भक्ति के फलस्वरूप जान बचाई और उस अग्नि में होलिका जल गई। भक्त प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ। इसके बाद से अब तक शक्ति पर भक्ति की जीत की ख़ुशी में यह पर्व हर साल धूमधाम से मनाया जाने लगा।
होली पर इस विधि से करें पूजा
होलिका दहन के बाद रंगों का त्योहार होली मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं। होली खेलने से पहले लोग विधि विधान से पूजा करते हैं। होली के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है। इसके लिए सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद अपने आराध्य देव और भगवान विष्णु की पूजा करें, उन्हें अबीर गुलाल चढ़ाएं। इसके बाद केले व आदि का फल अर्पित करें। इसके बाद आरती करें और सबसे पहले घर के सदस्यों को रंग लगाए। इस तरह पूजा संपन्न करें और फिर सबके संग होली खेलें।
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होली पर करें राशि अनुसार ज्योतिषीय उपाय
इस साल होली पर चंद्र ग्रहण पड़ रहा है। ऐसे में, राशि अनुसार कुछ आसान ज्योतिषीय उपाय करने से जातकों को हर समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
मेष राशि
मेष राशि के जातकों को होली की रात सरसों के तेल का चौमुखी दीपक घर के मुख्य द्वार पर लगाना चाहिए व उसकी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद भगवान से सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें। मान्यता है कि ऐसा करने से हर समस्या का निवारण हो सकता है।
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों को होली के दिन 21 गोमती चक्र लेकर होलिका दहन की रात में शिवलिंग पर चढ़ा देना चाहिए। इससे आपके व्यापार में तरक्की की संभावना बढ़ जाती है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों को होली पर किसी गरीब व जरूरतमंदों को भोजन अवश्य कराना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामना पूरी होती है।
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कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों को एक नारियल का गोला लेकर उसमें अलसी का तेल भर देना चाहिए। उसमें थोड़ा सा गुड़ डालें और इस गोले को जलती हुई होलिका में डाल देना चाहिए।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों को घर में सुख-समृद्धि के लिए होली के दिन घर के मुख्य द्वार पर गुलाल छिड़कना चाहिए और उस पर दो मुखी दीपक जलाना चाहिए।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों को होली के दिन पूजा के बाद अपने पार्टनर को लाल गुलाल लगाना चाहिए। ऐसा करने से पार्टनर के बीच मधुर संबंध स्थापित होते हैं।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों को होली के दिन किसी एक शिवलिंग में 21 गोमती चक्र अर्पित करने चाहिए और दूसरे दिन उन्हें एक लाल कपड़े में बांधकर अपने घर की तिजोरी या फिर अपने ऑफिस की वर्क डेस्क के अंदर रख लेना चाहिए। इससे व्यापार व कार्यक्षेत्र में तरक्की प्राप्त होगी।
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वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों को होलिका दहन में खेर की लकड़ी के साथ कुछ मात्रा में गुड़ लेकर जलती आग में डालना चाहिए और इस दौरान ‘ऊँ हं पवननन्दनाय स्वाहा’ मंत्र का जप करते रहना चाहिए।
धनु राशि
धनु राशि वालों को होली की रात 12 बजे से पहले एक नींबू लेकर चौराहे पर जाएं और उसके चार टुकड़े कर चारों दिशाओं में फेंक दें। फिर वापस घर आ जाएं। ध्यान रहे, वापस आते समय पीछे मुड़कर न देखें।
मकर राशि
मकर राशि के लोग होलिका दहन में शमी की लकड़ी के साथ काले तिल अर्पित करना चाहिए और इस दौरान ‘ऊँ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जप करना चाहिए।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों को होली पर एक सूखा जटा वाला नारियल, काले तिल व पीली सरसों एक साथ लेकर उसे सात बार अपने सिर के ऊपर से उतार कर जलती होलिका में डाल देने से अज्ञात भय समाप्त हो जाता है।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों को होली के दिन किसी शिव मंदिर जाकर और अपने साथ 1 साबुत पान, 1 साबुत सुपारी और हल्दी की गांठ शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए।
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