हिन्दू धर्म को मानने वालों के लिए माता के मंदिर की ख़ास अहमियत है। देश चाहे कोई भी हो सभी धर्म के लोग हर देश में पाए जाते हैं। कभी भारत का हिस्सा माना जाने वाला पाकिस्तान आज पूरी तरह से मुस्लिम देश बन चुका है लेकिन आज भी वहां कुछ ऐसी निशानियां है जिसने दोनों देशों को साथ में जोड़कर रखा हुआ है। इन्हीं निशानी में से एक निशानी है माता का प्रसिद्ध मंदिर जिसके पुनः निर्माण से जुड़ी खबर के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं। इसके साथ ही साथ आपको बताएंगे इस मंदिर की विशेषता और इसके इतिहास के बारे में।
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माता के इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाएगी पाकिस्तान सरकार
बता दें कि एक्प्रेस ट्रिब्यून की एक खबर के अनुसार पाकिस्तान सरकार जल्द ही बलूचिस्तान स्थित हिंगलाज मंदिर का फिर से पुनः निर्माण करवाने जा रही है। बलूचिस्तान के हिंगोल नदी किनारे स्थित पहाड़ी के गुफा में हिंगलाज मंदिर 51 शक्तिपीठ में से एक है। लेकिन भारत पास्कितान के विभाजन के बाद इस मंदिर की हालत दिन बा दिन काफी जर्जर होती चली गयी पर यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में कोई कमी नहीं आयी। मिली जानकारी के अनुसार अब जाकर पाकिस्तान की वर्त्तमान सरकार ने इस मंदिर का संज्ञान लिया है और जल्द ही इसके पुनः निर्माण का कार्य शुरू करवाने की जानकारी दी है। इस मंदिर के निर्माण कार्य से जुड़े प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों का ऐसा कहना है कि यहाँ सबसे ज्यादा श्रद्धालु विशेष रूप से अप्रैल के महीने में आते हैं। लेकिन किसी प्रकार की सुविधा ना होने की वजह से भीड़ को काबू करना मुश्किल हो जाता है। इसलिए सरकार ने मंदिर के पुनः निर्माण का बीड़ा उठाया है। अब देखना ये है कि हिंगलाज माता के इस मंदिर के पुनः निर्माण का कार्य कब तक संपन्न होता है।
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क्यों प्रसिद्ध है हिंगलाज माता का मंदिर ?
आप सभी इस बात से भली भांति अवगत होंगें की हिन्दू धर्म में माता के तमाम रूप को कितनी मान्यता दी जाती है। कुल 51 शक्तिपीठ में से एक हिंगलाज माता का मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हिंगोल नदी के किनारे स्थित है। माता का मंदिर एक पहाड़ी की गुफा में है जहाँ आज भी हर साल हज़ारों की संख्या में भक्त माता के दर्शन के लिए आते हैं। यहाँ हिंगलाज माता को हिंगोला देवी के नाम से भी जाना जाता है। भक्तों में इस मंदिर को लेकर विशेष आस्था है। पाकिस्तान के हिन्दू समुदाय के लोग इस मंदिर को नानी मंदिर के नाम से भी जानते हैं। भक्तों के बीच माता के इस मंदिर के लिए ऐसी मान्यता है कि माता के इस दरबार से कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता है। बता दें कि हर साल यहाँ ना केवल पाकिस्तान के हिन्दू माता के दर्शन के लिए आते हैं बल्कि भारत से भी श्रद्धालओं का एक दस्ता हर साल माता के दर्शन के लिए यहाँ आता हैं।