हिंदू नव वर्ष 2023 इस बार 21 मार्च 2023 की रात्रि 10:53 बजे प्रारंभ हो जाएगा क्योंकि इसी समय चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि प्रारंभ होगी और इसी से हिंदू नव वर्ष का आगमन माना जाता है इसलिए यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहेगा। जब भी हमें नववर्ष का फल कथन करना हो हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी कि वर्ष लग्न कुंडली का अवलोकन करते हैं और उसी के आधार पर पूरे वर्ष में होने वाली शुभाशुभ घटनाओं के बारे में विचार किया जाता है और जाना जाता है कि यह वर्ष किस प्रकार की स्थितियों को जन्म देने वाला है।
(चैत्र शुक्ल प्रतिपदा – 2023)
हिंदू नव वर्ष 2023 (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) की कुंडली वृश्चिक लग्न की बनी है। लग्न के स्वामी मंगल महाराज कुंडली के अष्टम भाव में मिथुन राशि में विराजमान हैं। शनि महाराज तृतीयेश और चतुर्थेश होकर चतुर्थ भाव में विराजमान हैं और मजबूत स्थिति में हैं जबकि पंचम भाव में मीन राशि में चार ग्रहों की युति हो रही है जिससे चतुर्ग्रही योग बना है। बृहस्पति, बुध, सूर्य और चंद्र चारों ही मीन राशि में हैं जिनमें बृहस्पति द्वितीयेश होने के साथ-साथ पंचमेश भी हैं। बुध अष्टमेश और एकादशेश हैं। इस कुंडली के दशमेश सूर्य और चंद्रमा भाग्येश हैं। इस प्रकार देखें तो इस कुंडली में दो प्रकार के राजयोग भी निर्मित हो रहे हैं। सर्वप्रथम गुरु और बुध के साथ होने से मीन राशि में नीच भंग राजयोग बन रहा है और दूसरा भाग्येश चंद्र और कर्मेश सूर्य दोनों के संयोग से भाग्याधिपति कर्माधिपति राज योग भी बन रहा है। इसके अतिरिक्त सप्तमेश और द्वादशेश शुक्र, राहु के साथ षष्ठ भाव में विराजमान हैं और द्वादश भाव में केतु की उपस्थिति है।
आइए अब यह जानने का प्रयास करते हैं कि वर्ष लग्न कुंडली के अनुसार यह हिंदू नववर्ष 2023 हमारे देशवासियों और हमारे देश तथा आसपास के लोगों और राष्ट्रों पर किस प्रकार का प्रभाव डाल सकता है:
- विपरीत प्रकृति के देशों के प्रति पारस्परिक सामंजस्य की कमी होगी और स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने तथा खतरनाक हथियारों के प्रयोग के लिए होड़ मचेगी। परमाणु और अन्य विध्वंसक हथियारों के संग्रह की प्रवृत्ति बढ़ेगी और एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जाने की स्थिति बन रही है।
- देव गुरु बृहस्पति का विशेष प्रभाव होने से भारत का विश्व पटल पर रुतबा बढ़ेगा और भारत की बात को विशेष प्रमुखता दी जाएगी।
- शनि ग्रह का लग्न पर प्रभाव होने के कारण और शुक्र-राहु की युति की स्थिति के परिणामस्वरूप विश्व के महत्वपूर्ण देशों के सामने अप्रत्याशित घटनाएं और कट्टरवाद तथा आतंकवाद सिर उठा कर खड़े होते नजर आ सकते हैं।
- विश्व में आर्थिक मंदी के हालात जन्म लेंगे। इसका असर भारत पर भी पड़ेगा। हालांकि शीघ्र ही उसका असर दूर भी हो जाएगा।
- विश्व के ऐसे देश जो गरीबी की चपेट में हैं और बड़े देशों से बड़ा कर्ज लेकर कर्जदार बने हैं उनकी स्थिति और भी विकट होती नजर आएगी और अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है जिससे उनके दिवालिया होने की स्थिति बन सकती है।
- विश्व पटल पर कुछ उत्तर और पश्चिम के राष्ट्रों में अकाल की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और अनाज के उत्पादन में कमी होने से उनके दामों में भीषण बढ़ोतरी हो सकती है।
- धातुओं के दामों में विशेष बढ़ोतरी के संकेत मिलते हैं।
- राजनीतिक तौर पर यह वर्ष सभी के लिए कुछ अस्थिर रहेगा और सबको अपना वर्चस्व साबित करने की होड़ के बीच एक सही मार्ग का चयन करना मुसीबत के समान महसूस होगा।
- ऐसे सभी क्षेत्र जिनमें हिंसा की स्थिति चल रही है, उनमें महंगाई और भ्रष्टाचार जोर पकड़ेंगे और सरकार की तानाशाही के विरुद्ध विद्रोह होने की स्थितियां बन सकती हैं।
- विस्तारवादी नीति को आगे बढ़ाने वाले देश दुनिया में अपनी पहुंच दिखाने के लिए अलग-अलग तरह के हथकंडे अपनाते हुए नजर आएंगे। हालांकि बाद में उन्हें मुंह की खानी पड़ेगी।
- एशियाई देशों को विशेष रुप से ध्यान देना पड़ेगा क्योंकि यहां पर सत्ता परिवर्तन, हिंसक घटना, सत्ता का संघर्ष और यान दुर्घटना आदि की संभावना बन सकती है।
- यूरोपीय देशों में महंगाई बढ़ने और आर्थिक संकट की स्थिति बनने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।
- भारत विरोधी देश जो भारत में अपने गुप्तचर सक्रिय रख रहे हैं, उन्हें अप्रैल से अगस्त 2023 के बीच भारत की कठिन चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
- भारत को किसी विशेष विरोधी पड़ोसी देश से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है और इसके परिणामस्वरूप सीमा पर विवाद बढ़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। इसके लिए तैयार रहने की आवश्यकता है।
- विश्व पटल पर स्वास्थ्य समस्याओं में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है।
- बाढ़ और भूस्खलन तथा भूकंप जैसी समस्याओं का सामना वर्ष के मध्य में करना पड़ सकता है।
हिन्दू नववर्ष 2023 – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का अर्थ एवं महत्व
चैत्रे मासि जगद्ब्रह्मा ससर्ज प्रथमेऽहनि।
शुक्लपक्षे समग्रं तु तदा सूर्योदय सति।।
-हेमाद्रौ ब्राहोक्तेः
हेमाद्रि के ब्रह्मपुराण के अनुसार परम पिता ब्रह्मा जी ने चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन यानी की प्रतिपदा तिथि को सूर्योदय के समय ही इस जगत की उत्पत्ति की थी। इसी कारण से प्रतिवर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अर्थात् प्रथमा तिथि को हिंदू नववर्ष का प्रारंभ होता है और नया संवत्सर लागू होता है। वर्ष 2023 में दिनांक 21 मार्च 2023 दिन मंगलवार को रात्रि 10:53 बजे प्रतिपदा तिथि प्रारंभ होगी। नव वर्ष का प्रारंभ उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के अंतर्गत शुक्ल योग में होगा और वृश्चिक लग्न में होगा। इस समय की लग्न कुंडली हमने ऊपर दी हुई है लेकिन शास्त्रानुसार सूर्योदय कालीन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि बुधवार को होने के कारण इस वर्ष के राजा बुध बनेंगे। इसी दिन से विक्रमी संवत् 2080 प्रारंभ हो जाएगा। 50वां संवत इस समय पर चल रहा होगा जो कि 23 मार्च 2023 तक विराजमान रहेगा लेकिन 24 मार्च 2023 से पूरे वर्ष तक पिंगल नामक 51वां संवत्सर होने के कारण यहां संवत्सर के नाम को लेकर संशय उत्पन्न होता है। शास्त्र प्रचलित परंपरा के अनुसार तो संवत के आरंभ में विद्यमान संवत्सर को ही हम पूरे संवत का नाम देते हैं जिसके अनुसार यह नल नामक संवत्सर होना चाहिए लेकिन विक्रमी संवत के पूरे समय में पिंगल संवत्सर का प्रभुत्व रहेगा और इसी कारण पिंगल नाम से 2080 संवत को उच्चारित किया जा सकता है।
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पिंगल नाम के नूतन संवत्सर का फल
पिंगलाब्देत्वीति भीतिर्मध्ये सस्यार्घ वृष्टयः।
राजानो विक्रमाक्रांताः भुंजते शत्रु मेदिनीम्।।
वर्ष प्रबोध के उपरोक्त श्लोक के अनुसार पिंगल नाम के संवत्सर के दौरान विभिन्न राष्ट्रों के शासकों के बीच आपसी टकराव के योग बनते हैं। इसका तात्पर्य यह है कि देश के भीतर राज्य सरकारों में परस्पर समन्वय की कमी और टकराव की स्थिति, विरोध और प्रतिद्वंदिता हो सकती है तथा राज्य और केंद्र सरकार के बीच समन्वय न हो पाने के कारण, वस्तुओं के मूल्यों में भी बढ़ोतरी होने के कारण आम जनमानस पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। वर्षा मध्यम होने से फसलों का उत्पादन भी मध्यम होने के कारण उतार-चढ़ाव की स्थिति बन सकती है। हालांकि जीवन में सुख संसाधनों में बढ़ोतरी होने की स्थिति बनेगी। थोड़ी बहुत खुशहाली भी रहेगी लेकिन देशों के मध्य सैन्य बल का प्रयोग अधिक होने के कारण, शत्रु देशों पर सैन्य बल प्रयोग और आक्रमण की स्थिति बनने के कारण युद्ध जैसे हालात बन सकते हैं।
चैत्रसितप्रतिपदि यो वारोऽर्कोदये सः वर्षेशः।
-ज्योतिर्निबन्ध
ज्योतिर्निबन्ध के उपरोक्त श्लोक के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को सूर्योदय के समय जो दिन (वार) होता है, उसे ही वर्ष का राजा माना जाता है। चूंकि इस बार प्रतिपदा मंगलवार की रात्रि में ही आ जाएगी मगर सूर्योदय कालीन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अगले दिन बुधवार को को भी व्याप्त होगी इसलिए इस बार इस हिंदू वर्ष विक्रमी संवत 2080 का राजा बुध ग्रह होगा।
इस वर्ष के विशेष बिंदु
वर्ष लग्न – वृश्चिक
नक्षत्र – उत्तराभाद्रपद
योग – शुक्ल
इस वर्ष के अधिकारी
राजा – बुध
मंत्री – शुक्र
सस्येश – सूर्य
धान्येश – शनि
मेघेश – गुरु
रसेश – मंगल
नीरसेश – सूर्य
फलेश – गुरु
धनेश – सूर्य
दुर्गेश – गुरु
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हिन्दू वर्ष के अधिकारी और उनका प्रभाव
वर्ष का राजा बुध ग्रह
बुधस्य राज्ये सजलं महीतलं गृहे गृहेतुर्य विवाह मंगलम्।
प्रकुर्वन्ते दान दयां जनोपि स्वस्थं सुभिक्षं धनधान्यं संकुलम्।।
उपरोक्त श्लोक के अनुसार इस वर्ष का राजा अगर बुध है तो पृथ्वी भूभाग पर वर्षा की कमी नहीं होती है अर्थात वर्षा होती रहती है और भरपूर मात्रा में होती है। मांगलिक कार्यक्रम लगातार होते रहते हैं और लोगों के घरों में खुशी रहती है। बुध के राजा होने से सामाजिक रूप से दान, दया और धर्म की वृद्धि होने के योग बनते हैं। राजा और प्रजा अर्थात देश की सत्ता और जनता के मध्य सामंजस्य बढ़ता है। जनता के स्वास्थ्य में बढ़ोतरी होती है। इसके साथ ही रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी होती है। आमदनी में वृद्धि के योग बनते हैं और अच्छा अनाज उत्पादन होने से जनता में सुख और समृद्धि का विस्तार होता है।
वर्ष का मंत्री शुक्र ग्रह
भृगुसुते ननु मंत्रिपदं गते शलभ मूषकरावय माहिषैः।
भवति धान्य समर्घतया भयं जनपदेषु जलं सरितोऽधिकम्।।
संवत् 2080 के मंत्री का पद शुक्र ग्रह को मिला है। इसके कारण इस वर्ष कीट, पतंगे, चूहे, जंगली सूअर, भैंसे, सांड आदि फसलों को हानि पहुंचा सकते हैं। वर्षा की अधिकता होने से अतिवृष्टि की संभावना बढ़ेगी और कहीं-कहीं पर बाढ़, प्राकृतिक प्रकोप, भूस्खलन जैसी समस्याएं तथा कृषि आदि की हानि हो सकती है। नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी होने से गांव में जलस्तर बढ़ सकता है। हालांकि फसलें अच्छी होंगी। धन-धान्य की वृद्धि होगी। फसल भी बढ़ोतरी प्राप्त करेगी लेकिन बाजार में तेजी रहेगी और दामों में बढ़ोतरी होगी। कपास, रुई, चावल, अलसी, धान्य, अरंडी, तेल, आदि के व्यापारियों को अच्छा मुनाफा प्राप्त हो सकता है। यौन, गुप्त रोग, डायबिटीज और वात, पित्त, कफ का प्रकोप बढ़ने वाला है। महिलाओं का बोलबाला अधिक रहेगा। ऐसे सभी क्षेत्र जिनमें सौंदर्य प्रसाधन, ऐश्वर्य प्रधान कार्य, मीडिया, फैशन आदि का प्रचार-प्रसार बढ़ेगा। फिल्मों और चल चित्रों में भड़काऊपन बढ़ सकता है और उनमें सभी हदें पार हो सकती हैं।
वर्ष का सस्येश सूर्य ग्रह
सस्याधिनाथे तरणौ हि पूर्व धान्यं समर्घं खलु चौरवृतिः।
युद्धं नृपाणां जलदा जलाढ्या: स्वल्पं च सस्यं बहुभूरुहाश्च।।
इस वर्ष के सस्येश रवि अर्थात् सूर्य बने हैं। इसके परिणामस्वरूप जनता के और व्यापारियों के बीच अन्न के भंडारण की प्रवृत्ति अधिक पैदा होगी जिससे अन्न का भंडारण बढ़ेगा। चोरी और ठगी की घटनाओं में बढ़ोतरी हो सकती है। कुछ जगहों पर हिंसा भी हो सकती है। गेहूं, मक्का, चना, दाल आदि के भाव नियंत्रण में रहेंगे और उनका उत्पादन भी भरपूर मात्रा में होगा। सत्ताधारी दलों और विपक्ष के बीच काफी उठापटक होगी और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चलता रहेगा। इसकी वजह से विरोधी राष्ट्रों के बीच तनाव बढ़ेगा और युद्ध की स्थिति पैदा होगी। वर्षा की अधिकता तो होगी लेकिन कुछ-कुछ स्थानों पर वर्षा बहुत कम होगी और कुछ पर बहुत ज्यादा। अच्छी वनस्पतियों के उत्पादन से कुछ संतोष रहेगा। विश्व के कुछ देशों में विशेष रूप से कोरोना अथवा उससे संबंधित महामारी जैसी समस्या का प्रकोप बढ़ सकता है और जन हानि हो सकती है। रसदार फलों और दूध आदि का उत्पादन भी अच्छा होगा।
वर्ष का दुर्गेश बृहस्पति ग्रह (गुरु)
सुरगुरौ गढ़पे नवशोभिता नरवराः नरपाः करपालिताः।
गिरिषु वा नगरेषु समं सुखं सुखमति द्विजशस्त्रतोऽनिशम्।।
दुर्गपति अर्थात् सेनापति अर्थात् दुर्गेश बृहस्पति ग्रह होने के कारण न्याय व्यवस्था बढ़िया रहेगी। बड़े-बड़े मामलों में अच्छे न्यायिक निर्णय नजीर बनेंगे। अच्छी न्याय व्यवस्था प्रदान करने का प्रयास होगा। सरकार की ओर से कानूनों का सख्ती से पालन करने का प्रयास होगा। नागरिकों को अच्छी सुख-सुविधाएं प्रदान करने के प्रयास भी होते रहेंगे और इससे कानून व्यवस्था पर नियंत्रण बना रहेगा। हालांकि ऐसी स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है कि जब ब्राह्मणों को आत्मरक्षा हेतु शस्त्र धारण करना पड़ सकता है और इसके लिए वे एकजुट होते नजर आएंगे।
वर्ष का मेघेश गुरु ग्रह
गुरुरपि प्रियवृष्टिकरः सदाखिल विलासवती धरणी तदा।
श्रुति विचारपरा नरपालकाः रस समृद्धि युताखिल मानवाः।।
वर्ष का मेघ पति अर्थात् मेघेश भी गुरु बृहस्पति होने के कारण व्यापक वर्षा की स्थिति बनेगी। लोगों को सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होगी और उनके भोग विलास और उपभोग की वस्तुओं का संग्रह करने का सिलसिला बढ़ता रहेगा। हालांकि सभी इस दिशा में प्रयास करेंगे लेकिन कुछ लोगों तक ही यह साधन उपलब्ध हो पाएंगे। बाकी लोगों को परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं। सरकार अपनी ओर से विधि सम्मत तरीके से शासन करने का प्रयास करेगी। फल, दूध, घी जैसे पदार्थों का उत्पादन बढ़िया होगा और जनता में इनकी उपलब्धता भी बढ़ेगी जिससे इनके दामों पर कुछ हद तक नियंत्रण आ सकता है।
वर्ष का धनेश सूर्य ग्रह
द्रविणपेयदि वासरपे तदा वणिजतो बहुद्रव्य समागमः।
गज तुरंग मेष खरोराष्ट्रौ धनचयं लभते क्रय विक्रयात्।।
धनपति अर्थात धनेश या धन के स्वामी रवि अर्थात सूर्य ग्रह हैं। इससे समाज के शासन और प्रशासन में पकड़ रखने वाले व्यक्तियों को अच्छी सफलता मिलेगी। जो लोग उच्च व्यापार करते हैं, बड़े-बड़े कॉर्पोरेट सेक्टर के मालिक अपने बिजनेस को अच्छा मुनाफा प्राप्त करते हुए देखेंगे। चौपायों अर्थात् चार पैर वाले जानवरों और वाहनों के स्वामियों को क्रय-विक्रय का लाभ विशेष रूप से प्राप्त होगा। सरकार से संबंधित लोगों को विशेष लाभ होने के योग बनेंगे। जो उद्योगपति बड़े स्तर पर कार्यरत हैं और सरकार से भी संपर्क में हैं, उन्हें और भी अधिक लाभ मिल सकता है।
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वर्ष का रसेश मंगल ग्रह
यदि धरतनयो रसपो भवेद न रसराशियुता जनता शुभा।
नरपतिर्विषमो जनतापदो न जलदो बहुवृष्टिकरो भुवि।।
इस वर्ष का रस्पति अर्थात् रसेश मंगल ग्रह हैं जो कि एक गर्म प्रवृत्ति के ग्रह होने के कारण रसदार पदार्थों में कमी हो सकती है और उनका उत्पादन कम हो सकता है, जैसे संतरा, अनार, अंगूर, गन्ना, दूध आदि के उत्पादन में कमी देखने को मिल सकती है और रसों की भी कमी होने की संभावना है। इसी के कारण इनसे संबंधित अन्य पदार्थों जैसे चीनी, गुड़ आदि में भी कमी और उनके मूल्यों में तेजी हो सकती है। देश में कुछ स्थानों पर पानी को लेकर समस्या का सामना करना पड़ सकता है। लोगों में एक दूसरे के प्रति असहिष्णुता बढ़ सकती है और क्रोध बढ़ सकता है जिससे परस्पर प्रेम भाव का ह्रास हो सकता है। शासक और प्रशासक वर्ग ऐसा व्यवहार करेगा जो जनता के लिए अनुकूल नहीं होगा। कुछ क्षेत्रों में अच्छी वर्षा होने के बावजूद कुछ क्षेत्रों में वर्षा की कमी रहेगी। अनाज के भाव में तेजी होने के योग बनेंगे और कृषि क्षेत्र में रासायनिक तत्वों और विषैले तत्वों में बढ़ोतरी हो सकती है अर्थात् कृषि उत्पादों के उत्पादन में कीटनाशकों का प्रयोग अधिक हो सकता है।
वर्ष का फलेश गुरु ग्रह
सुरगुरुः फल नायकतां गतो गतभया वनराशिः महाद्रुमाः।
यजन याजनकोत्सवः मंदिराः श्रुति विचारपराः द्विजपूर्वकाः।।
फलपति अर्थात् फलेश देव गुरु बृहस्पति होने के कारण फल, फूल इत्यादि की बढ़ोतरी होगी। वन क्षेत्र की बढ़ोतरी हो सकती है। उनके रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाएगा और उनसे संबंधित कानूनों को भी मजबूती से लागू किया जा सकता है। अच्छी पैदावार होगी। वृक्षों की अधिकता होने लगेगी। वृक्षारोपण भी बड़े स्तर पर किए जा सकते हैं। इसके कारण लकड़ी और इंधन की अच्छी उपलब्धता रहेगी। लोगों में भय की भावना में कमी होगी। धार्मिक उत्सव अधिक होंगे और धार्मिक क्रियाकलापों में जनता बढ़-चढ़कर हिस्सा लेगी। पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन आदि काफी मात्रा में होंगे। ब्राह्मणों का वर्चस्व बढ़ेगा। वेद पुराण आदि शास्त्रों में उनकी अभिरुचि बढ़ेगी और वे उनका पठन-पाठन और भी अच्छी तरीके से करेंगे।
वर्ष का धान्येश शनि ग्रह
निर्धनाः क्षितिभुजो रणादराः सस्यमल्पमति रोगिणो नराः।
नैव वर्षति जलं सुरेश्वरः स्याद यदांत्यकणपः शनैश्चरः।।
इस वर्ष के धान्येश शनिदेव हैं जिसके परिणामस्वरूप वर्षा में कमी की संभावना बन सकती है। वैसे तो वर्षा होगी लेकिन उपयोग में आने वाली वर्षा की कमी हो सकती है। ऐसी सभी फसलें, जो शीतकाल में होती हैं जैसे कि बाजरा, ज्वार, मक्का, गेहूं आदि की पैदावार की कमी हो सकती है। जो राष्ट्र युद्ध में जुटे हैं और जो युद्ध के स्तर पर खड़े हैं, उनकी आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हो सकती है और उन्हें आर्थिक संकट यानी कि आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ सकता है। जनता में गंभीर रोगों की बढ़ोतरी हो सकती है। कुछ क्षेत्रों में वर्षा की कमी के कारण खाद्यान्न की कमी हो सकती है। इस वर्ष किसी बड़े राजनेता या व्यक्ति विशेष की आकस्मिक मृत्यु या देहावसान की स्थिति बन सकती है। राजनीतिक तौर पर यह समय अच्छा नहीं कहा जा सकता है।
वर्ष का नीरसेश सूर्य ग्रह
नीरसाधिपतौ सूर्ये ताम्र चन्दनयोरपि।
रत्न माणिक्य मुक्तादेरर्घ वृद्धिः प्रजायते।।
धातुओं के स्वामी अर्थात् नीरसेश भी सूर्य ग्रह बने हैं जिसके कारण सोना, चांदी, तांबा, पीतल, लोहा, माणिक्य, मोती, पुखराज, नीलम आदि महत्वपूर्ण धातुओं और रत्नों के मूल्य में विशेष बढ़ोतरी होने के योग बनेंगे। इसके परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण लोग जो इनसे संबंधित व्यापार करते हैं, उन्हें अच्छा मुनाफा प्राप्त होगा। जो लोग इन धातुओं से संबंधित खरीद-फरोख्त करते हैं, उन्हें शेयर बाजार में भी अच्छा लाभ मिल सकता है।
इस प्रकार हम निम्नलिखित आगामी घटनाओं के संकेत देख सकते हैं:
- इस वर्ष के विशेष पदाधिकारियों की संख्या 10 है जिनमें से 5 पद क्रूर ग्रहों और 5 पद स्वामी ग्रहों को प्राप्त हुए हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि मिश्रित परिणामों की प्राप्ति होने के योग बनेंगे। विशेष रूप से राजा और मंत्री सौम्य ग्रह होने के कारण अच्छे समाचार प्राप्ति के योग भी बनेंगे।
- इन पदाधिकारियों में सबसे अधिक पदों पर सूर्य और बृहस्पति का अधिकार होने के कारण सरकार और सरकार के मंत्रियों का प्रभुत्व बढ़ेगा और जनता में विप्रों और क्षत्रियों को प्रबल प्रोत्साहन मिलेगा। हालांकि अच्छे शासन करने के योग बनेंगे लेकिन बीच-बीच में तनाव का सामना भी करना पड़ सकता है।
- न्यायपालिका का विशेष योगदान इस वर्ष देखने को मिलेगा। कई महत्वपूर्ण मामलों में विशेष न्यायिक आदेश पास होंगे जिससे न्यायपालिका के प्रभाव में बढ़ोतरी होगी।
- आम जनमानस की भलाई के लिए सरकार के द्वारा कुछ विशेष कानून पारित किए जाएंगे और उन्हें सख्ती से लागू भी किया जाएगा। जनता की भलाई के लिए काफी प्रयास किए जाएंगे।
- वातावरण को अनुकूल बनाने और वृक्षारोपण की भावना को बढ़ाने के लिए वन और पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक किया जाने की स्थिति बनेगी और कुछ विशेष कानूनों को भी इस उद्देश्य से प्रभावी बनाया जाएगा।
- गरम प्रकृति के ग्रहों का प्रभाव अधिक होने के कारण इस वर्ष गर्मी का प्रकोप अधिक रहेगा।
- यह समय न्यायिक रूप से काफी बदलाव वाला समय होगा। कुछ पुराने कानूनों से मुक्ति मिलेगी और कुछ नए कानून प्राप्त होंगे।
- सरकार का प्रभुत्व काफी क्षेत्रों में बढ़ेगा। विदेशों में देश की साख मजबूत होगी।
- विपक्षी राष्ट्रों के बीच युद्ध जैसी स्थितियां पैदा होंगी और संपूर्ण विश्व में अशांति की स्थिति समय-समय पर बनती रहेगी और युद्ध की विभीषिका के दोराहे पर सब खड़े नजर आएंगे।
- शीतकालीन फसलों के दामों में बढ़ोतरी नजर आएगी लेकिन वर्षा अधिक होगी, भले ही उपयोगी वर्षा की कमी हो सकती है।
- संवत् 2080 में राजनीतिक तौर पर अस्थिरता हो सकती है और राष्ट्राध्यक्षों के मध्य भी परस्पर टकराव और बैर की स्थिति जन्म लेगी। एक दूसरे पर राज्य और केंद्र सरकार आरोप-प्रत्यारोप मढ़ते नजर आ सकते हैं। कई राष्ट्रों में युद्ध की स्थिति आ सकती है।
- इस वर्ष महिलाओं का काफी बोलबाला रहेगा और समाज के महत्वपूर्ण पदों पर उनकी उपस्थिति आश्चर्य की बात नहीं होगी।
- धूर्त और कपटी लोगों का प्रभाव बढ़ेगा और वे अपने फायदे के लिए किसी भी स्तर तक जाने लगेंगे। चलचित्रों में फूहड़ता बढ़ेगी और लोगों का आकर्षण सिनेमा, गीत संगीत, नाच, गाने में काफी बढ़ेगा।
- इस वर्ष के शुरुआती समय में किसी बड़े राजनेता को मृत्यु तुल्य कष्ट का सामना करना पड़ सकता है।
- विश्व में मंदी की स्थिति का भारत की अर्थव्यवस्था पर भी विशेष प्रभाव पड़ेगा जिसके लिए सरकार को कटिबद्ध होकर प्रयास करते रहने होंगे।
- एक दूसरे को नीचा दिखाने के चक्कर में विपरीत राष्ट्रों के मध्य परमाणु अस्त्रों के प्रयोग और संग्रह की प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है।
- विश्व स्तर पर कोरोना जैसी महामारी या उससे संबंधित समस्या एक बार फिर जोर पकड़ सकती है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध पहले तेजी पकड़ कर फिर शांत होगा और फिर तेजी पकड़ सकता है।
- पिंगल नामक संवत्सर के कारण मूल्य वृद्धि होने से जनता त्रस्त हो सकती है।
- तकनीकी क्षेत्रों से संबंधित लोग, चिकित्सा क्षेत्र से संबंधित लोग, लेखक, वकील, जज अध्यापक और बौद्धिक कार्य करने वाले लोगों को विशेष रूप से लाभ के योग बनेंगे।
- विभिन्न विद्वानों के मध्य कूटनीति का छद्म रूप देखने को मिलेगा जिससे युद्ध की स्थिति बन सकती है।
इस सही विधि अनुसार अब विद्यारंभ संस्कार को घर में ही करें आयोजित!
हम आशा करते हैं कि हिन्दू नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 2023 आपके लिए शुभ रहें। हम आपके मंगल भविष्य की भी कामना करते हैं।