जिस तरह हर धर्म में नववर्ष मनाने की परंपरा है, ठीक उसी तरह सनातन धर्म में भी नववर्ष मनाया जाता है। इस नववर्ष को संवत्सर कहा जाता है। जिस तरह हिन्दू कैलेण्डर में हरेक महीने के अलग-अलग नाम हैं उसी तरह नववर्ष यानी कि संवत्सर के भी अलग-अलग नाम होते हैं। फिलहाल इतना जानिये कि हिन्दू कैलेण्डर में 60 संवत्सर होते हैं और 12 महीने। सनातन धर्म में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नव वर्ष मनाने की परंपरा रही है।
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आपको बता दें कि संवत्सर हमेशा क्रमानुसार चलते हैं। अभी फिलहाल जो संवत्सर(संवत्सर 2077) चल रहा है उसका नाम ‘प्रमादी’ है। इसके बाद जो संवत्सर(संवत्सर 2078) उसका नाम राक्षस संवत्सर होगा। जबकि अगर आप संवत्सर के क्रम को देखेंगे तो यह पाएंगे कि ‘प्रमादी’ के बाद विक्रम (आनंद) संवत्सर आता है। ऐसे में आप लोगों के मन में यह सवाल उत्पन्न होना जायज है कि संवत्सर 2078 का नाम आनंदी न होकर राक्षस संवत्सर क्यों कहा जा रहा है। इसका जवाब भी हम आपको देंगे लेकिन पहले साल 2021 में हिन्दू नववर्ष की नयी तिथि जान लेते हैं।
साल 2021 में कब से शुरू हो रहा है हिन्दू नववर्ष?
हिन्दू नववर्ष इस साल 13 अप्रैल(दिन- मंगलवार) से प्रारम्भ हो रहा है। 02 बजकर 32 मिनट में सूर्य के मेष राशि में प्रवेश होते ही नया संवत्सर प्रारम्भ हो जाएगा। सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करते ही विषुवत संक्रांति प्रारंभ हो जाएगी। विषुवत संक्रांति का पर्व 9 गते वैशाखा 14 अप्रैल बुधवार से मनाया जाएगा। संवत्सर प्रतिपदा तथा विषुवत संक्रांति दोनों एक ही दिन 31 गते चैत्र, 13 अप्रैल को हो रही है।
नववर्ष को राक्षस संवत्सर क्यों कहा जा रहा है?
दरअसल निर्णय सिंधु के अनुसार हिन्दू धर्म में संवत्सर क्रमानुसार ही होते हैं। लेकिन 89 वर्ष का प्रमादी संवत्सर इस बार अपना काल पूरा नहीं कर रहा है जिस वजह से इसे अपूर्ण संवत्सर भी कहा जाएगा। इस वजह से 90 वर्ष में पड़ने वाला संवत्सर विलुप्त नाम का संवत्सर ‘आनंद’ का उच्चारण नहीं किया जाएगा।
इस निर्णय की मानें तो वर्तमान में चल रहा संवत 2077 ‘प्रमादी’ नाम का संवत्सर हिन्दू महीने फाल्गुन तक रहने वाला है । इसके बाद आने वाला ‘आनंद’ नाम का विलुप्त संवत्सर पूर्ण वत्सरी अमावस्या तक रहेगा। आगामी संवत्सर संवत 2078 जो नाम का होगा वह चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से शुरू होगा। यह संवत्सर 31 गते चैत्र तद अनुसार 13 अप्रैल 2021 मंगलवार से प्रारंभ होगा।
नया संवत्सर राक्षस नाम से जाना जाएगा। इस संवत्सर के दौरान आम जनों के बीच रोग और भय बढ़ेगा। लोगों के बीच राक्षसी प्रवृत्ति बढ़ सकती है।
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