पढ़ें गुरु नानक जी के उपदेश जिन्हें अपनाकर आप भी बना सकते हैं अपने जीवन को सफल। साथ ही जानें सिखों के तीर्थस्थल ननकाना साहिब से जुड़े कुछ रोचक तथ्य।
प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि ‘सिख’ समुदाय के प्रथम धर्मगुरु गुरु नानक देव के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। माना जाता है कि गुरु नानक देव जी का जन्म तलवंडी रायभोय नामक स्थान पर 15 अप्रैल 1469 को हुआ था। इस स्थान को अब लोग ननकाना साहिब नाम से जानते है। ये स्थान पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में स्थित एक बड़ा शहर है। चूँकि यहीं पर गुरु नानक जी का जन्म हुआ था इसलिए उन्ही के नाम पर बाद में इसका नाम ननकाना साहिब रखा गया। यहसिखों का पवित्र ऐतिहासिक सबसे पवित्र तीर्थ स्थान है। जहाँ विश्व भर के सिख समुदाय के लोग आते हैं।
कब मनाई जाएगी गुरु नानक जयंती 2019
इस वर्ष 2019 में कार्तिक पूर्णिमा तिथि 12 नवंबर, मंगलवार को पड़ रही है। इसलिए इस साल गुरु नानक जयंती आज ही मनाई जाएगी। समस्त सिख समुदाय गुरु नानक जयंती को बेहद हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाता है। जिस प्रकार दिवाली हिन्दू धर्म का बड़ा त्यौहार होता है, ठीक उसी प्रकार सिख समुदाय भी गुरु नानक जी के जन्मदिन को एक पर्व की भाँती ही मनाता आ रहा है। इस दिन दुनियाभर के गुरुद्वारों में शबद-कीर्तन व भव्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस मौके पर जगह-जगह गुरुवाणी का पाठ किया जाता है और लंगरों का आयोजन कर ज़रूरतमंदों को भोजन भी कराया जाता है।
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गुरु नानक जी का जीवन
मान्यता अनुसार गुरु नानक जी बचपन से ही बेहद आध्यात्मिक व ज्ञानशील थे। इसलिए ही आज भी गुरु नानक जी के बचपन और उनके जीवन से जुड़े कई रोचक क़िस्से बेहद प्रासंगिक हैं। बाल अवस्था में ही गुरु नानक जी सभी सांसारिक विषयों से उदासीन रहने लगे थे। दूसरे बच्चों से बिलकुल अलग उनका मन खेल-कूद या पढ़ाई-लिखाई की जगह केवल आध्यात्मिकता में ही लगता था। महज 7-8 साल की उम्र में ज्ञानवर्धन नानक जी के सवालों के उत्तर स्वंय अध्यापक भी नहीं दे पाते थे। इस कारण उनका स्कूल तो छूटा लेकिन वे अपना ज्यादातर वक़्त आध्यात्मिक चिंतन और सत्संग में व्यतीत करने लगे। बचपन में ही उनके द्वारा दिखाए गए चमत्कारों ने उन्हें दिव्य आत्मा बना दिया। अपने जीवन काल में उन्होंने कई धार्मिक व अंधविश्वासी कुरीतियों का विरोध किया। जनमाणूस को उन्होंने कई उपदेश दिए, जिसमें उनके उपदेश का सार यही था कि ईश्वर एक है उसकी उपासना हर धर्म के लिए है।
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गुरुनानक देव जी के इन उपदेशों से बनाए अपने जीवन को सफल
गुरुनानक देव जी के सिद्धांत व उनके द्वारा दिए गए उपदेश न केवल सिख धर्म के अनुयायियों में बल्कि दुनिया भर के दूसरे अन्य धर्म के लोगों में भी आज भी प्रासंगिक है। इन उपदेशों का पालन कर कोई भी मनुष्य अपने जीवन को न केवल सफल बना सकता है बल्कि अपने जीवन में हर प्रकार की ख़ुशी भी हासिल कर सकता है। गुरु नानक जी के उपदेश निम्न हैं:
-परमात्मा एक है।
-इसलिए एक ही परमात्मा की उपासना करनी चाहिए।
-अपने जीवन में सदैव निष्ठा भाव से मेहनत करते रहें और प्रभु की उपासना करें।
-परमात्मा हर प्राणी में हर जगह मौजूद है।
-जो भी भक्त परमात्मा की शरण में जाता है वो दुनिया के हर डर से मुक्त हो जाता है।
-अपने जीवन में कभी भी किसी निर्दोष को सताना नहीं चाहिए।
-अपने जीवन में जो नहीं है उसके पीछे रोने की जगह हमेशा खुश रहना चाहिए।
-ज्यादा धन-दौलत कमाने की जगह ईमानदारी व दृढ़ता से कमाई कर, अपनी आय का एक छोटा सा भाग ज़रूरतमंद को दान ज़रूर करना चाहिए।
-इस पृथ्वी पर हर मनुष्य एक समान हैं, चाहे वे स्त्री हो या पुरुष, राजा हो या रंक।
-अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन आवश्यक है, लेकिन हमेशा हमे खुद को लोभी व लालची आचरण से बचाना चाहिए।
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गुरु नानक जयंती के दिन ज़रूर करें ये कार्य
गुरु नानक जयंती के पर्व पर हमे कुछ विशेष कार्य करने की सलाह दी जाती है, जो इस प्रकार हैं:-
- गुरु नानक जयंती के दिन सर्वप्रथम प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नानादि कर पांच वाणी का ‘नित नेम’ करें।
- इसके बाद स्वच्छ व हल्के रंग के वस्त्र पहनकर गुरुद्वारा साहिब जाएं और वहां अपना मत्था टेकें।
- इस दिन गुरु स्वरूप सात संगत के दर्शन करना बेहद शुभ होता है।
- गुरुद्वारे जाकर गुरुवाणी सुने व कीर्तन करें।
- मौका मिले तो इस दिन गुरुओं के इतिहास का भी श्रवण करना चाहिए।
- इस दौरान सच्ची श्रद्धा भाव से अरदास सुनें।
- जितना संभव हो संगत व गुरुघर में सेवा करें। साथ ही गुरु के लंगर में जाकर भी अपना योगदान दें।
- माना जाता है कि गुरु नानक जयंती के दिन अपनी सच्ची कमाई का 10वां हिस्सा धार्मिक कार्य व ग़रीबों की सेवा के लिए दान करना बेहद फलदायक होता है।
- चूँकि माना जाता है कि गुरु नानक देव जी का जन्म रात्रि के समय लगभग 1 बजकर 40 मिनट पर हुआ था। इसलिए इस दिन रात्रि में जागरण किया जाता है।
- रात्रि में जागरण से पहले नानक जी के लिए दीवान सजाया जाता है। अतः वहां कीर्तन, सत्संग आदि किया जाता है।
- इसके बाद नानक जी को भोग लगाकर प्रसाद बाँटा जाता है। इसके बाद सब एक दूसरे को गुरु नानक जयंती की बधाई देते हैं।
हम आशा करते हैं कि हमारा ये लेख आपको पसंद आया होगा। आप सभी को गुरु नानक जयंती की हार्दिक शुभकामनाएँ।