ज्योतिष विज्ञान में सभी ग्रहों-नक्षत्रों का स्थान परिवर्तन समस्त राशियों के साथ-साथ देश-दुनिया के लिहाज़ से भी बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि सभी ग्रहों की अलग-अलग गति होती है और वो एक-दूसरे से अलग अपनी गति अनुसार ही एक राशि से दूसरी राशि में प्रस्थान करते हैं।
हर ग्रह के लिए सभी राशियों का प्रभाव भी अलग-अलग होता है। जैसे एक ग्रह के लिए उसकी मित्र राशि, शत्रु राशि, उच्च राशि और नीच राशि दूसरे अन्य ग्रह से अलग होगी। साथ ही उस ग्रह का दूसरे ग्रह के साथ मित्रता, शत्रुता व सम संबंध का भाव होगा और इन्हीं के आधार पर ही हर ग्रह प्रत्येक राशि में अपना शुभ-अशुभ फल देते हैं।
आपकी कुंडली में गुरु के इस गोचर का प्रभाव, जानें हमारे विद्वान ज्योतिषियों से बात करके !
12 साल बाद गुरु बृहस्पति की मीन में होगी घर वापसी
ये देखा गया है कि हर ग्रह अपना गोचर या वक्री करते हुए किसी विशेष राशि को प्रभावित करते हैं, जिसका पूर्ण रूप से प्रभाव हमें दुनियाभर में अलग-अलग रूपों में देखने को मिलता है। ग्रहों की स्थिति से न केवल एक मनुष्य का जीवन प्रभावित होता है, बल्कि उससे वातावरण और देश-दुनिया में भी कई छोटे-बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं।
इसी क्रम में वर्ष 2022 का अप्रैल महीना कई मायनों में विशेष ख़ास रहने वाला है। क्योंकि अप्रैल में ही जहाँ हिन्दू नववर्ष का आरंभ होगा तो वहीं इसी माह शनि, राहु और केतु का भी गोचर होगा। इसके अलावा मीन राशि के लिए भी ये माह महत्वपूर्ण रहने वाला है, क्योंकि अप्रैल के मध्य गुरु बृहस्पति करीब 12 वर्षों के बाद अपनी घर वापसी करते हुए अपनी स्वराशि मीन में विराजमान होंगे। ऐसे में आइए अब इस लेख के माध्यम से जानें आखिर बृहस्पति के मीन में गोचर से क्या आएंगे देश-दुनिया में बड़े बदलाव।
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गुरु बृहस्पति के मीन राशि में गोचर की समयावधि
गुरु ग्रह साल 2022 में 13 अप्रैल, बुधवार को सुबह के समय करीब 11 बजकर 23 मिनट पर अपना गोचर करते हुए अपनी स्वराशि मीन में प्रवेश कर जाएंगे। इस राशि में बृहस्पति का विराजमान होना, उनकी 12 वर्षों के लंबे समय के बाद घर वापसी माना जाएंगे, जहां उनका प्रभाव कई मायनों में कुछ जातकों के लिए शुभ होगा।
- इससे पहले साल 2022 के शुरुआती समय में गुरु बृहस्पति कुंभ राशि में मौजूद थे।
- जिसके बाद बीते 19 फरवरी 2022 को बृहस्पति कुंभ में ही अस्त हो गए थे।
- इस दौरान ये 20 मार्च 2022 को वापस से उदय हो गए हैं।
- अब वे 13 अप्रैल 2022 को अपना गोचर करते हुए अपनी खुद की राशि मीन में विराजमान होंगे।
- फिर बृहस्पति 29 जुलाई 2022 को मीन राशि में ही वक्री हो जाएंगे।
- जिसके बाद साल के अंत में यानी 24 नवंबर 2022 को बृहस्पति दोबारा से मीन में मार्गी होंगे।
मीन राशि वालों को मिलेंगे शुभाशुभ फल
विशेषज्ञों के अनुसार गुरु बृहस्पति का पिछले दो वर्षों से शनि के शासन वाली राशियों में होने के कारण, अब अपनी राशि में विराजमान होने से उन्हें शनि के प्रभाव से मुक्ति दिलाने का कार्य करेगा। इस अवधि के दौरान खासतौर से मीन जातक खुद को थोड़ा अधिक उत्साहित महसूस करते हुए प्रवाह के साथ बहना पसंद करेंगे। मीन राशि में गुरु बृहस्पति की उपस्थिति जातकों को रोज़ाना के कार्यों में अधिक आनंद, ख़ुशी और भाग्य का साथ देने का कार्य करेगी जिसके परिणामस्वरूप जातक पहले से अधिक प्रेरित, अंतर्ज्ञानी, अधिक जागरूक और गहन समझ वाले प्रतीत होंगे। कुछ जातकों में ये गोचर आध्यात्मिक रूचि भी जागृति करेगा। बृहस्पति का मीन राशि में होना कई जातकों को भाग्य का आशीर्वाद देते हुए, अन्य राशियों को भी प्रभावित करने वाला है।
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इन दोनों राशियों पर होगी गुरु की दृष्टि
ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो, 13 अप्रैल को मीन राशि में गुरु अपना गोचर करते हुए, कर्क राशि पर अपनी उच्च दृष्टि जबकि वृश्चिक राशि पर अपनी मित्र दृष्टि डालेंगे। इसके परिणामस्वरूप गुरु की इन राशियों पर ये शुभ दृष्टि जातकों को शिक्षा में सफलता देने के योग बनाएगी। दांपत्य जीवन में सुख प्राप्त होगा और संतान संबंधी सभी परेशानियों से उन्हें मुक्ति मिलेगी।
वो जातक जो विवाह संबंधी समस्या से परेशान थे, उन्हें भी गुरु देव की कृपा मिलने की संभावना है। यदि आप विदेश जाने के इच्छुक हैं तो उससे जुड़ा कोई शुभ समाचार मिलेगा। आर्थिक स्थिति भी पहले से बेहतर होती दिखाई देगी। गुरु की ये स्थिति कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों को भाग्य का साथ देते हुए उन्हें समाज में मान-सम्मान दिलाएगी। जातकों का रुझान धार्मिक कार्यों में बढ़ेगा और वे दान-पुण्य के कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।
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गुरु का मीन राशि में गोचर का भारत पर असर
हमारे देश पर गुरु के अपनी स्वराशि मीन में राशि परिवर्तन का एक शुभ परिवर्तन देखने को मिलेगा। इसके कारण कई देशों के साथ भारत संबंध बेहतर होने से आपस में नेटवर्किंग बढ़ेगी और इससे देशों के बीच आयात-निर्यात की बढ़ोतरी भी देखी जाएगी। देश की सरकार पूर्व के अधूरे पड़े कई प्रोजेक्ट के साथ-साथ कुछ नए प्रोजेक्ट भी शुरू कर सकती है। सरकार की ओर से कई ऐसी योजनाओं पर भी तेजी से काम होगा, जिससे जनता कुछ राहत की सांस ले सकेगी।
27 अप्रैल से गुरु के साथ शुक्र भी मीन में बनाएंगे युति
13 अप्रैल को गुरु मीन में गोचर करेंगे, तो वहीं 27 अप्रैल से शुक्र भी मीन में गोचर करते हुए गुरु के साथ युति बनाएंगे। इसके अलावा सूर्य-बुध और मंगल-शनि का द्विद्वार्दश व राहु और केतु से केन्द्रीय योग का निर्माण होगा, जिसके परिणामस्वरूप:-
- दुनियाभर के कई देशों में भूकंप, बाढ़ आदि जैसी प्राकृतिक विपदा उत्पन्न हो सकती है। इससे जान-जान की हानि होने के योग भी बनेंगे।
- दुनिया में कई जगह वर्षा और ओले गिरने से फसलों को नुकसान होगा।
- दुनिया भर में भी कई देशों में गंभीर रोगों के कारण जनता में डर का भय रहेगा।
- कई जगहों पर पलायन तक की स्थिति बन सकती है।
- देश के विपक्षी राजनीतिक दल महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरेंगे।
- देश की सरकार भी कुछ कठोर नियम-कानून अपनाने का फैसला ले सकती हैं।
- हालांकि इस युति से देशभर में लोगों में सुख और सुभिक्ष दिखाई देगा।
- प्रशासन द्वारा कई धार्मिक स्थलों के रखरखाव व नवीनीकरण का कार्य शुरू हो सकता है।
- देशभर के लोगों में भी अपनी सस्कृति और अपने धर्म को लेकर जागरूकता बढ़ेगी।
नोट: शुक्र और गुरु की जब भी किसी राशि में युति होती है तो उस राशि के जातक ज्ञान में विद्वान और पंडितों में महापंडित कहलाते हैं। इसके प्रमाण का बल रावण की कुंडली को देखने से मिल जाएगा, जहां गुरु और शुक्र ने एक-साथ युति करते हुए ही रावण को महापंडित की उपाधि प्राप्त कराई थी।
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17 मई से मंगल-शुक्र-गुरु की मीन में बनेगी युति
फिर 17 मई से मंगल भी मीन में गोचर करते हुए वहां पहले से मौजूद गुरु और शुक्र के साथ युति करेंगे। ऐसे में मंगल-गुरु-शुक्र की इस युति को लेकर जब हमने एस्ट्रोसेज के ज्योतिचार्यों से समझा तो उन्होंने बताया कि शुक्र और मंगल दोनों ऐसी ग्रह होते हैं जो किसी भी स्थिति में अधिमित्र नहीं माने जाते। क्योंकि इन दोनों के बीच आपस में यूँ तो सम भाव होता है, लेकिन इन दोनों ही ग्रहों का स्वभाव परस्पर विपरीत होता है। इसके पीछे का कारण विशेषज्ञ बताते हैं की इन दोनों ग्रहों में से एक ओर जहां लाल ग्रह मंगल सेनापति हैं, तो वहीं दूसरी ओर शुक्र को दैत्यों के गुरु की उपाधि दी गई हैंं।
ऐसे में इन दोनों का गुरु बृहस्पति के साथ युति करना जातक की मानसिकता को कमज़ोर बनाता है। इस कारण तीनों ग्रहों की इस युति से कई राशि के लोगों को अधिक तनाव जैसी स्थितियों से परेशानी हो सकती है। परंतु मीन राशि गुरु देव की ही राशि होने के चलते, जातक धार्मिक कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए अपना ध्यान मानिसक परेशानियों से भटकाते हुए, स्वयं के लिए हालात अत्यधिक बिगड़ने नहीं देंगे।
तो चलिए अब बिना देर किये जानते हैं वो कारगार उपाय, जिन्हें अपनाकर आप गुरु के इस गोचर से अनुकूल फल प्राप्त करने में सफल रहेंगे:-
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गुरु के गोचर से अनुकूलता प्राप्ति के लिए राशिनुसार उपाय
मेष राशि :
वृद्ध ब्राह्मणों को गुरुवार के दिन भरपेट भोजन कराएं।
वृषभ राशि :
गुरुवासरी अमावस्या तथा गुरुवार का व्रत रखना आपके लिए अनुकूल रहेगा।
मिथुन राशि :
अपनी उंगली में विधि अनुसार पुखराज रत्न धारण करें।
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कर्क राशि :
पीले वस्त्र, चने की दाल, केले, शक्कर, गुड़, लड्डू, धार्मिक ग्रंथ, आदि का दान करना आपके लिए उत्तम रहेगा।
सिंह राशि :
गुरु की होरा में रोजाना गुरु ग्रह के बीज मंत्र व गुरु गायत्री मंत्र का जाप करें।
कन्या राशि :
हर गुरुवार के दिन केसर का तिलक लगाकर ही घर से निकलें।
तुला राशि :
नहाने के पानी में चमेली के फूल, पीली सरसों, शहद, गूलर, गंगाजल आदि डालें और फिर उस पानी से स्नान करें।
वृश्चिक राशि :
गरीबों व जरूरतमंदों को भरपेट भोजन कराएं व रोजाना खाने से पहले एक रोटी गाय के लिए जरूर निकालें।
धनु राशि :
किसी धार्मिक स्थान पर श्रद्धा अनुसार दान-पुण्य करना आपके लिए अनुकूल रहेगा।
मकर राशि :
बड़े-बुजुर्गों को केले और मिठाई भेंट करके उनका आशीर्वाद लें।
कुंभ राशि :
विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का नियमित रूप से पाठ करें।
मीन राशि :
भोजन के बाद नियमित रूप से चने के बेसन, चीनी और घी से बने एक लड्डू का सेवन ज़रूर करें।
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इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।