गोवर्धन पूजा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस त्योहार को दीपावली के अगले दिन मनाया जाता है। 15 नवंबर 2020-रविवार को गोवर्धन पूजा का त्योहार मनाया जाएगा। भारत में कई स्थानों पर गोवर्धन पूजा के ही दिन अन्नकूट का उत्सव भी मनाया जाता है। अन्नकूट यानि कई अन्नों का मिश्रण। गोवर्धन पूजा का संबंध धन और अन्न से है। भारतीय शास्त्रों के अनुसार इस दिन इन्द्र, अग्नि और वरुण देवता की पूजा करना शुभ होता है। गोवर्धन पूजा के दिन लोगों के द्वारा गाय-बैल की पूजा भी की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण की भी पूजा की जाती है। इस दिन भारत के कई कृष्ण मंदिरों में भक्तों के द्वारा भंडारे किये जाते हैं।
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साल 2020 में गोवर्धन पूजा का मुहूर्त
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त | 15:18:37 से 17:27:15 तक |
अवधि | 2 घंटे 8 मिनट |
नोट- यह समय केवल नई दिल्ली, भारत के लिये प्रभावी है।
हिंदु पंचांग के अनुसार गोवर्धन पूजा का त्योहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। हालांकि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के संध्या काल में यदि चंद्र दर्शन होते हैं तो गोवर्धन पूजा एक दिन पहले ही की जानी चाहिये।
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कैसे की जाती है इस दिन पूजा
हिंदू धर्म के अन्य त्योहारों की ही तरह इस दिन भी लोग सुबह उठकर स्नान ध्यान करते हैं। हालांकि इस दिन शरीर पर तेल मलकर स्नान करने का बड़ा महत्व है। गोवर्धन पूजा के दिन पूजा स्थल पर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत बनाया जाता है और इसे फूलों से सजाया जाता है। वहीं कुछ लोगों द्वारा इस दिन गोबर से मनुष्य के आकार में गोवर्धन पर्वत को बनाया जाता है। शाम के समय भक्तों द्वारा धूप, दीप जलाकर गोबर से बने गोवर्धन की पूजा की जाती है और दूध फूल अर्पित किये जाते हैं। इसके साथ ही गोवर्धन जी की पूजा के बाद लोग सात परिक्रमा भी करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गोवर्धन पूजा करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं होती। इसी दिन संध्या काल के समय दैत्यराज बलि का पूजन भी किया जाता है।
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गोवर्धन पूजा से जुड़ी कथा
ऐसा माना जाता है कि देवराज इंद्र को जब अपनी शक्तियों पर घमंड हो गया था तो उन्हें सबक सिखाने के लिये भगवान कृष्ण ने लीला रची थी। विष्णु पुराण के अनुसार एक समय गोकुलवासी अपने घरों में तरह-तरह के पकवान बना रहे थे। भगवान कृष्ण के घर में भी इस दौरान पकवान बन रहे थे तो बाल कृष्ण ने जिज्ञासावश माता से पूछा कि हम इतने सारे पकवान क्यों बना रहे हैं तो माता ने जवाब दिया कि देवराज इंद्र की पूजा करने के लिये। माता की यह बात सुनकर बाल कृष्ण ने फिर से सवाल किया कि हम इंद्र की पूजा करते हैं तो माता यशोदा ने जवाब दिया कि इंद्र देव की कृपा से ही धरती पर बारिश होती है और उस बारिश से ही अन्न पैदा होता है, हमारे पशुओं को चारा मिलता है। माता की बात को सुनने के बाद कृष्ण भगवान ने कहा कि, फिर तो हमें गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिये क्योंकि हमारी गायें वहीं चरती हैं। कृष्ण की बात सुनने के बाद गोकुल के लोग गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। इंद्र देव को यह अपना अपमान लगा और लोगों को सबक सिखाने के लिये उन्होंने मुसलाधार बारिश शुरु कर दी। यह बारिश इतनी प्रलयकारी थी कि लोगों के घर तक इससे उजड़ गये। गोकुल के लोगों की रक्षा करने के लिये भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी अंगुली पर उठा लिया जिसके तले गोकुल के सारे लोग बारिश से बचने के लिये आ गये। यह देखकर इंद्र को और क्रोध आया और उन्होंने बारिश और तेज कर दी। माना जाता है कि यह बारिश लगातार सात दिनों तक चली और फिर इंद्र देव को अहसास हुआ कि जिस से वो लड़ रहे हैं वो कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। जब इंद्र देव को पता चला कि वह भगवान कृष्ण से मुकाबला कर रहे थे तो उन्होंने कृष्ण भगवान से माफी मांगी। ऐसा माना जाता है कि तब से ही गोवर्धन पूजा शुरु हुई थी।
गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश स्थित है और गोवर्धन पूजा के दिन इस पर्वत की परिक्रमा करना अति शुभ माना जाता है। आज भी लोग घर में सुख शांति के लिये गोवर्धन पूजा के दिन व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं।
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