इन शुभ योगों में मनाया जाएगा गंगा दशहरा; तुला सहित इन राशि वालों की चमकेगी किस्मत!

सनातन धर्म में गंगा दशहरा के त्योहार का विशेष महत्व है। यह पर्व हर साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन मां गंगा की पूजा-अर्चना की जाती है और गंगा दशहरा को गंगावतरण भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं। साथ ही, इसी दिन भगवान शिव की जटाओं से निकलकर मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई थी। राजा भागीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा का उद्धार करने के लिए मां गंगा को पृथ्वी पर लेकर आए थे। इसी कारण गंगा को भागीरथी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में गंगाजल के बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना गया है। किसी भी शुभ कार्य और पूजा-अनुष्ठान में गंगाजल का प्रयोग जरूर किया जाता है। इस दिन गंगा के घाट पर भव्य गंगा आरती भी होती है और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। ख़ास बात यह है कि इस बार गंगा दशहरा के दिन बेहद शुभ योगों का निर्माण हो रहा है जो कुछ राशि के जातकों को लिए लाभकारी साबित होंगे। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं गंगा दशहरा की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, शुभ योग और पौराणिक कथा के बारे में। इसके साथ ही जानेंगे कि यह योग किन राशि के जातकों को लिए शुभ साबित होगा।

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गंगा दशहरा 2023: तिथि व मुहूर्त

इस साल ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 30 मई 2023 को पड़ रही है। ऐसे में गंगा दशहरा का आरंभ 29 मई 2023 की सुबह 11 बजकर 50 मिनट से होगा और इसका समापन अगले दिन 30 मई 2023 की दोपहर 1 बजकर 9 मिनट पर होगा।

गंगा दशहरा पर बन रहे हैं बेहद शुभ योग

गंगा दशहरा का पर्व इस बार बेहद शुभ योगों के बीच मनाया जा रहा है। इस दिन सिद्ध योग का निर्माण हो रहा है। सिद्धि योग के निर्माण से कुछ राशि के जातकों को शुभ समाचार मिलेगा और उनके हर बिगड़े काम भी बनेंगे। इसके साथ ही ज्योतिष में भौतिक सुखों के कारक माने जाने वाले शुक्र ग्रह भी कर्क राशि में प्रवेश कर रहे हैं और जिसके कारण धन योग का निर्माण भी हो रहा है। इन शुभ संयोगों के बीच गंगा दशहरा का महत्व और अधिक बढ़ गया है। इन योगों में किए गए काम सफलता प्रदान करते हैं। ऐसे में इस दिन स्नान-दान, पूजा-पाठ, मंत्र जाप करें। 

सिद्ध योग का आरंभ: 29 मई 2023 की रात 9 बजे से 

सिद्ध योग का समापन: 30 मई 2023 की रात 8 बजकर 53 मिनट तक।

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गंगा दशहरा का महत्व

गंगा दशहरा के दिन भक्त मां गंगा की पूजा करते हैं और गंगा में डुबकी लगाते हैं और दान-पुण्य, उपवास के साथ-साथ गंगा आरती करते हैं। मान्यता है इस दिन मां गंगा की पूजा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। माना जाता है कि वर्तमान समय में व्यक्ति से जाने-अनजाने जो पाप कर्म हो जाते हैं उनकी मुक्ति के लिए मां गंगा की साधना करनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति सभी पाप कर्मों और हर प्रकार के दोषों से मुक्ति पा लेता है। इस दिन जल, अन्न, वस्त्र, फल, श्रृंगार की वस्तुओं, शक्कर और साथ ही स्वर्ण का दान करना बेहद शुभ माना जाता है।

गंगा दशहरा पूजा विधि

  • इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर पूरे घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगा नदी में हर-हर गंगे का जाप करते हुए स्नान करना चाहिए।
  • यदि ऐसा संभव न हो तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करना चाहिए और साथ ही पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।
  • इसके बाद घर में मां गंगा की तस्वीर या फिर शिव जी की तस्वीर जिसमें उनकी जटाओं से गंगा निकल रही हों और या फिर गंगा दशहरा की तस्वीर या मूर्ति लाल कपड़े पर एक चौकी पर स्थापित करें।
  • रोली, अक्षत, मां गंगा के लिए लाल चुनरी, फूल-फल, दीप और धूप आदि से मां गंगा की विधि-विधान से पूजा करें।
  • इसके बाद दीपक जलाकर मां गंगा के मंत्रों का स्पष्ट रूप से जाप करें और साथ ही गंगा सहस्त्रनाम स्त्रोत का उच्चारण करें।
  • फिर आखिरी में मां गंगा की आरती करें और जरूरतमंदों व गरीबों को दान करें।

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गंगा दशहरा: व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्री राम के पूर्वज व अयोध्या के राजा भागीरथ को अपने पूर्वजों का तर्पण करने के लिए गंगाजल की आवश्यकता पड़ी। उस दौरान मां गंगा स्वर्ग में ही निवास करती थीं। अपने पूर्वजों को शांति प्रदान करने के लिए व मां गंगा को धरती पर लाने के लिए राजा भागीरथ ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या की लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें सफलता प्राप्त नहीं हुई। परेशान राजा भागीरथ तपस्या के लिए हिमालय पर चले गए और वहां जाकर वह फिर से कठोर तप में लीन हो गए। उनकी कठोर तपस्या को देख मां गंगा बेहद प्रसन्न हुईं और उन्हें आशीर्वाद देने के लिए उनके सामने प्रकट हो गईं। मां गंगा को अपने सामने देखकर राजा भागीरथ बेहद प्रसन्न हुए। फिर, उन्होंने मां गंगा से धरती पर आने के लिए आग्रह किया।

यह सुनकर मां गंगा ने भागीरथ के आग्रह को स्वीकार कर लिया लेकिन, मां गंगा का वेग काफी तेज था। यदि वह धरती पर आती तो धरती तबाह हो जाती। इस बात से राजा काफी परेशान हो गए। मां गंगा ने बताया कि उनकी परेशानी सिर्फ महादेव हल कर सकते हैं। इसका पता चलते ही राजा भागीरथ ने भगवान शिव की तपस्या करनी शुरू कर दी। इस प्रकार राजा भागीरथ ने पूरे एक साल तक भगवान शिव की कठोर तपस्या की। राजा भागीरथ के इस कठोर तप को देखकर भगवान शिव प्रसन्न होकर भागीरथ को दर्शन दिए और आशीर्वाद के रूप में उनके आग्रह को स्वीकार कर लिया। इसके बाद ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से मां गंगा की धारा प्रवाहित की और भगवान शिव ने मां गंगा को अपनी जटाओं में बांध लिया। माना जाता है कि लगभग 32 दिनों तक मां गंगा शिवजी की जटाओं में बहती रही। फिर, ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान शिव ने अपनी एक जटा खोली और गंगा माता को धरती पर भेज दिया।

आइए अब आगे जानते हैं इस दिन बन रहे शुभ योगों में किन राशि वालों को होगा फायदा।

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मेष राशि

यह योग मेष राशि वालों के प्रेम जीवन व आर्थिक जीवन के लिए बेहद लाभकारी साबित होगा। इस दौरान आपके संबंध अपने साथी के साथ मधुर होंगे और आप एक-दूसरे के साथ बेहतरीन पल बिताएंगे। इसके अलावा घर-परिवार के लोगों के साथ अच्छा सामंजस्य रहेगा। मनोरंजन के नए साधन खोजेंगे और घर में सुख-शांति का वातावरण रहेगा। आर्थिक पक्ष की बात करें तो आपको अच्छी आर्थिक लाभ की खबरें सुनने को मिलेंगी और इसके साथ ही आपको धन लाभ होगा। पैतृक व्यवसाय में लाभ होने के योग बनेंगे।

तुला राशि

इस दौरान तुला राशि वालों की पदोन्नति की बात चल सकती है और यदि आप अच्छा काम करेंगे तो निश्चित ही आपको पदोन्नति व वेतन वृद्धि का लाभ हो सकता है। यदि आप व्यापार करते हैं तो आपको थोड़ी सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी। हालांकि, व्यापार में जोखिम उठाते हुए आप आगे बढ़ने में सक्षम होंगे। पारिवारिक जीवन में प्रेम बढ़ेगा और माहौल खुशियों से भरा रहेगा। इसके साथ ही पिता और बड़े भाई का भरपूर साथ मिलेगा और उनसे आपके संबंध भी सुधरेंगे।

मिथुन राशि

इस अवधि में आपके पारिवारिक जीवन में खुशियां बनी रहेंगी। घर में कोई समारोह हो सकता है या किसी का विवाह हो सकता है जिसके चलते मेहमानों का आना-जाना लगा रह सकता है। इसके अलावा आपको आर्थिक लाभ की खबरें सुनने को मिलेगी और आपको धन लाभ होगा। साथ ही, पैतृक व्यवसाय में लाभ होने के योग बनेंगे। यदि आप कोई बिज़नेस पार्टनरशिप में कर रहे हैं तो आपके व्यावसायिक साझेदार से संबंध अच्छे रहेंगे और दोनों मिलकर अपने व्यापार को आगे बढ़ा पाएंगे।

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