इस जन्माष्टमी जानें श्री कृष्ण के पांच मंदिरों से जुड़े रोचक तथ्य!

आने वाले 12 अगस्त 2020 को देश भर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार बहुत ही धूम धाम से मनाया जाएगा। इस दिन मुख्य रूप से देश के सभी कृष्ण मंदिरों में कृष्ण भक्त भाड़ी संख्या में एकत्रित होकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं। कृष्ण जन्मोत्सव को हिन्दू धर्म में बेहद रोमांचक और पारंपरिक रूप से मनाया जाता है। आज हम आपको मुरली मनोहर के बेहद ख़ास पांच मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ पूजा अर्चना करने से आपके जीवन में मौजूद सभी दुःख दर्द दूर हो सकते हैं। आइये जानते हैं कौन से हैं वो पांच ख़ास कृष्ण मंदिर जहाँ जन्माष्टमी के दिन पूजा करना बेहद उल्लेखनीय माना जाता है। 

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श्री कृष्ण के पांच प्रमुख मंदिर निम्नलिखित हैं 

प्रेम मंदिर 

वृंदावन स्थित प्रेम मंदिर को कृष्ण जी के प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है। वैसे तो इस मंदिर में हर दिन ही श्रद्धालुओं की भीड़ एकत्रित रहती है लेकिन विशेष रूप से जन्माष्टमी के मौके पर यहाँ की रौनक देखते ही बनती है। इस भव्य मंदिर में सुबह से लेकर रात तक भक्तों का हुजूम लगा रहता है। कृष्ण और राधा के इस मंदिर की सजावट देखने के लिए भी दूर-दूर से लोग यहाँ उनके दर्शन के लिए आते हैं। रंग-बिरंगी रोशनी से चमकता ये मंदिर खासतौर से सभी वर्ग के लोगों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। जन्माष्टमी के मौके पर, यहाँ लोगों में एक विशेष प्रकार का रोमांच देखने को मिलता है। श्री कृष्ण के विशिष्ट मान्यता प्राप्त मंदिरों में से एक प्रेम मंदिर में जन्माष्टमी के दिन भव्य सजावट के साथ काफी उच्च स्तर पर इस दो दिवसीय त्यौहार को मनाया जाता है। 

जगन्नाथ मंदिर 

ओडिशा के पूरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर विश्व विख्यात है। हिन्दू धर्मशास्त्रों में इस मंदिर को खासतौर से पृथ्वी पर मौजूद बैकुंठ धाम भी कहा गया है। हिन्दुओं के प्रमुख चार धामों में से एक धाम जगन्नाथ मंदिर भी है। वैसे तो यहाँ कृष्ण जी के जगन्नाथ रूप की पूजा अर्चना की जाती है लेकिन जन्माष्टमी के विशेष अवसर पर इस मंदिर में उनका जन्मोत्सव भी मनाया जाता है। इस प्रसिद्ध मंदिर का इतिहास करीबन 500 साल से भी ज्यादा पुराना है। कृष्ण जन्मष्टमी के मौके पर यहाँ पूजा अर्चना करने का ख़ासा महत्व है। मंदिर के शीर्ष पर स्थापित सुदर्शन चक्र की भी एक रोमांचक बात है, इसे आप जिस दिशा से भी देखेंगे आपको इसका मुँह अपनी तरफ ही दिखेगा। 

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इस्कॉन मंदिर 

वैसे तो हमारे देश में देखा जाए तो विभिन्न शहरों में कुल नौ इस्कॉन मंदिर है। लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा प्रमुख हैं वृंदावन और बंगलोर स्थित इस्कॉन मंदिर। कृष्ण और राधा जी को समर्पित ये मंदिर अपने आप में बेहद ख़ास है। बात करें वृन्दावन स्थित इस्कॉन मंदिर की तो ये मंदिर खासतौर से राधे-कृष्ण की मनमोहक प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का दूसरा नाम बलराम मंदिर भी है। यहाँ कृष्ण भक्त जन्माष्टमी का त्यौहार ख़ासा उत्साह और धूम धाम के साथ मनाते हैं। बता दें कि बैंगलोर के इस्कॉन मंदिर को देश का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर माना जाता है। वैदिक और धार्मिक विचार को बढ़ावा देने वाला ये मंदिर विभिन्न सुख सुविधाओं से भी लैश है। 

श्री रंछोद्रीजी महाराज मंदिर

गुजरात के दकोर में गोमती नदी के तट पर स्थित ये मंदिर विशेष रूप से कृष्ण जी के प्रमुख मंदिरों में से एक हैं। इस मंदिर का निर्माण 1772 में मराठा नोबेल ने करवाई थी। कृष्ण जी का ये भव्य मंदिर आठ गुबंद और 24 बुर्ज को मिलाकर बनाया गया है। इस मंदिर का अधिकांश हिस्सा सोने ने बनवाया गया है। जन्माष्टमी के अवसर पर इस मंदिर में विशेष रूप से कृष्ण भक्तों का जमावड़ा लगता है और कृष्ण जन्मोत्सव का त्यौहार ख़ासा उल्लास के साथ मनाया जाता है। 

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बाल कृष्ण मंदिर 

कृष्ण जी के बेहद प्रसिद्ध मंदिरों में अंत में जिस मंदिर का नाम आता है वो है कर्नाटका के हंपी में स्थित बालकृष्ण मंदिर। यहाँ कृष्ण जी के बाल रूप की पूजा अर्चना की जाती है। इसलिए जन्माष्टमी  के विशेष मौके पर यहाँ की रौनक देखने लायक होती है। बता दें कि इस कृष्ण मंदिर को दुनिया के प्रमुख हेरिटेज स्थलों की लिस्ट में भी शुमार किया गया है।

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