चंद्र ग्रहण 2023 (Chandra Grahan 2023) की बात की जाए तो इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम वर्ष 2023 के सबसे पहले चंद्रग्रहण पर जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा यह चंद्र ग्रहण 2023 का विशेष ब्लॉग आपके लिए ही तैयार किया गया है और इस ब्लॉग के माध्यम से आपको वर्ष 2023 में होने वाले पहले चंद्र ग्रहण के बारे में सभी प्रकार की जानकारी प्रदान करने का प्रयास हमारी ओर से किया जा रहा है।
यहां हम आपको यह भी बताने की कोशिश करेंगे कि यह चंद्र ग्रहण किस तिथि, किस दिनांक और किस समय लगेगा और कहां-कहां देखा जाएगा। यह किस प्रकार का चंद्रग्रहण होगा तथा इसका विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है।
इस विशेष लेख के माध्यम से हम आपको यह भी बताने का प्रयास करेंगे कि यह चंद्र ग्रहण किन राशियों के लिए अनुकूल परिणाम लेकर आने वाला है और किन राशियों को तनाव का सामना करना पड़ सकता है, तो आइए जानते हैं वर्ष 2023 के पहले चंद्र ग्रहण से जुड़ी सभी मुख्य बातें।
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5/6 मई 2023: साल का पहला चंद्र ग्रहण
हम अपने मुख्य ब्लॉग के द्वारा आपको पहले भी बता चुके हैं कि वर्ष 2023 में कुल मिलाकर दो चंद्र ग्रहण लगने वाले हैं जिनमें साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण 5/6 मई, 2023 शुक्रवार की रात्रि में होगा जो कि एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है।
इसके अतिरिक्त साल का दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर, 2023 शनिवार को होगा। साल का पहला चंद्र ग्रहण (chandra Grahan 2023) इसी महीने आकार लेने वाला है। इसके बारे में विस्तृत जानकारी इस प्रकार है:
उपच्छाया चंद्र ग्रहण 2023 | ||||
तिथि | दिन तथा दिनांक | चन्द्र ग्रहण प्रारंभ समय | चन्द्र ग्रहण समाप्त समय | दृश्यता का क्षेत्र |
वैशाख मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमा | शुक्रवार / शनिवार 5 / 6 मई 2023 | रात्रि 8:44 बजे | मध्यरात्रि के बाद 1:02 बजे | एशिया, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्वी यूरोप का कुछ भाग |
अधिक जानकारी: कृपया ध्यान दें कि उपरोक्त वर्णित चंद्र ग्रहण का जो समय दिया गया है, वह भारतीय समय के अनुसार दिया गया है। साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण उपच्छाया ग्रहण होगा जिसे विशेष ग्रहण की मान्यता नहीं दी गई है इसलिए इस ग्रहण से संबंधित कोई भी नियम पालन करने की आवश्यकता नहीं होगी तथा इस ग्रहण का न ही कोई सूतक काल माना जाएगा इसलिए सभी लोग इस ग्रहण के दिन बिना किसी शंका के अपने सभी कार्यों को विधिवत रूप से कर सकते हैं। आप इस ग्रहण काल में भी सभी धार्मिक संस्कारों और क्रियाकलापों को भली प्रकार कर सकते हैं।
चंद्र ग्रहण क्या है?
वैसे तो ग्रहण को धार्मिक और खगोलीय घटना भी माना जाता है लेकिन वैदिक ज्योतिष में चंद्रग्रहण की स्थिति तब बनती है, जब चंद्रमा कुंडली में केतु से पीड़ित होता है यानी कि चंद्रमा के साथ केतु स्थित होते हैं तो यह चंद्रग्रहण कहलाता है। यहां पर चंद्रमा पूरी तरह से पीड़ित अवस्था में हो जाता है।
यदि वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात की जाए तो चंद्रग्रहण एक विशेष खगोलीय घटना है जिसे हम प्रत्यक्ष आंखों से स्पष्ट रूप से देखने में सफल हो सकते हैं। वहीं धार्मिक रूप से यह एक अशुभ घटना मानी जाती है क्योंकि इस दौरान सर्वाधिक तेज गति से चलने वाले चंद्रदेव केतु के विशेष प्रभाव में आकर पीड़ित होने लगते हैं। ऐसे में जातकों के मन मस्तिष्क पर विशेष प्रभाव पड़ता है और कुंडली में चंद्रमा की स्थिति खराब होने पर व्यक्ति को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
मानव शरीर में 70% जल माना जाता है जिस पर चंद्रमा का ही अधिकार होता है। ऐसे में चंद्रमा के पीड़ित होने पर व्यक्ति के जीवन में शारीरिक रूप से भी कुछ समस्याएं देखने को मिल सकती हैं।
सौरमंडल में देखें तो सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं। हम जिस महान ग्रह पृथ्वी पर रहते हैं, वह भी सूर्य की ही परिक्रमा करती है लेकिन चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह होने के कारण यह हमारी पृथ्वी का चक्कर लगाते हैं और सभी जीव धारियों को शांति और शीतलता प्रदान करते हैं। चंद्रमा भी सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशवान होते हैं। यही कारण है की शीतलता प्राप्त करने के लिए और मन को शांत करने के लिए हमें चंद्र देव की उपासना करनी चाहिए। पृथ्वी अपने अक्ष पर भी घूमती है और अपनी नियत कक्षा में सूर्य का चक्कर भी लगाती है। इसी प्रकार चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह होकर पृथ्वी का निश्चित कक्षा में चक्कर लगाता है।
पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूर्णन करने के कारण ही दिन और रात बनते हैं। पृथ्वी के जिस क्षेत्र में सूर्य का प्रभाव दिखता है, वहां दिन होता है और जहां चंद्रमा का प्रभाव होता है, वहां रात्रि होती है और जब पृथ्वी अपनी गति करते हुए आगे बढ़ती है तो प्रकाश की जगह अंधकार और अंधकार की जगह प्रकाश आ जाता है। इस प्रकार दिन और रात्रि के रूप में हम अलग-अलग स्थितियों को देखते हैं। सूर्य और चंद्र की गतियों के कारण ही पृथ्वी पर विभिन्न ऋतुओं का भी आगमन होता है।
जब पृथ्वी और चंद्रमा अपनी-अपनी कक्षाओं में गति करते रहते हैं तो कई बार कुछ विशेष परिस्थितियों का निर्माण हो जाता है और इन परिस्थितियों के कारण ही हमें ग्रहण दिखाई देते हैं। जब एक ऐसी स्थिति निर्मित होती है कि पृथ्वी और चंद्रमा चक्कर काटते काटते एक ऐसी स्थिति में आ जाते हैं कि सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है जिससे सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ने के कारण चंद्रमा का कुछ भाग काला दिखाई देता है। यह कुछ समय के लिए ही होने वाली घटना होती है लेकिन यही चंद्रग्रहण कहलाती है। इसी घटना को चंद्रग्रहण का नाम दिया जाता है।
चंद्र ग्रहण पूर्ण चंद्रग्रहण और आंशिक चंद्रग्रहण तथा उपच्छाया चंद्रग्रहण के रूप में दिखाई दे सकते हैं। यह बहुत थोड़ी देर और बहुत अधिक देर तक के लिए भी हो सकते हैं। यह सब कुछ चंद्रमा, सूर्य और पृथ्वी की आपसी दूरी के कारण कम या ज्यादा अवधि के लिए हो सकते हैं।
2023 में कैसा होगा चंद्र ग्रहण
यदि हम हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्र ग्रहण की बात करें तो यह सदैव पूर्णिमा तिथि को लगता है और इस बार वर्ष 2023 का पहला चंद्र ग्रहण वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगने वाला है। चंद्र ग्रहण को हम अनेक रूपों में देख सकते हैं। यह पूर्ण चंद्रग्रहण के रूप में भी हो सकता है और आंशिक चंद्रग्रहण के रूप में भी तथा उपच्छाया चंद्रग्रहण के रूप में भी यह दिखाई दे सकता है।
यदि साल 2023 के सबसे पहले चंद्र ग्रहण की बात करें तो तो यह एक मुख्य पूर्ण या आंशिक चंद्रग्रहण न होकर केवल एक उपच्छाया चंद्रग्रहण होने वाला है। वैज्ञानिक भाषा में इसे पैनुंब्रल चंद्रग्रहण के नाम से भी जाना जाता है।
इस चंद्रग्रहण को मुख्य चंद्रग्रहण के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है क्योंकि यह एक चंद्रग्रहण पूर्ण रूप से लगा हुआ नहीं माना जाता। आइए अब हम आपको इस विशेष लेख में इस उपच्छाया चंद्रग्रहण 2023 के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं और हम प्रयास कर रहे हैं कि इस चंद्रग्रहण से जुड़ी सभी जिज्ञासाओं को आप यह लेख पढ़कर दूर कर सकेंगे और सभी भ्रांतियों से मुक्त होंगे।
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उपच्छाया चंद्रग्रहण के ज्योतिषीय समीकरण
5/6 मई 2023 को आकार लेने वाला चंद्रग्रहण मात्र एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है जिसका कोई विशेष मान्य प्रभाव नहीं होगा फिर भी कुछ लोग जो इसको मान्यता देते हैं, उनके अनुसार ज्योतिषीय आधार पर देखें तो उस दिन चंद्रमा तुला राशि में केतु के साथ उपस्थित होकर पीड़ित अवस्था में होंगे और उनसे ठीक सप्तम भाव में राहु के अतिरिक्त सूर्य, बृहस्पति और बुध ग्रह भी विराजमान होंगे। इस प्रकार पांच ग्रहों का प्रभाव चंद्रमा पर होने के कारण चंद्रमा अत्यधिक पीड़ित अवस्था में रहेंगे। जिस दौरान यह ग्रहण घटित होगा, उस दौरान चंद्रमा राहु के नक्षत्र स्वाति में स्थित होंगे जिससे राहु और केतु दोनों के द्वारा ही चंद्रमा के पीड़ित होने की स्थिति बनेगी।
साल 2023 के पहले चंद्रग्रहण का देश और दुनिया पर प्रभाव
यह एक उपच्छाया चंद्रग्रहण है जिसे एक विशेष ग्रहण की मान्यता नहीं दी जाती है। यही कारण है कि इसका कोई सूतक काल भी मान्य नहीं होता और इसका कोई विशेष प्रभाव भी नहीं माना जाता। हालांकि यहां एक बात ध्यान देने योग्य है कि इस समय पर चंद्रमा विशेष रूप से पीड़ित अवस्था में आ जाएंगे और यह तुला राशि में और स्वाति नक्षत्र में होंगे इसलिए चंद्रमा का पीड़ित होना भी अपने आप में एक अच्छी घटना नहीं कही जा सकती है।
इस घटना के प्रभाव से तुला राशि और स्वाति नक्षत्र के लोगों पर विशेष प्रभाव पड़ सकता है और उन्हें शारीरिक कष्टों का सामना करना पड़ सकता है। चंद्रमा के पीड़ित होने के कारण मानसिक रूप से तनाव विशेष रूप से बढ़ सकता है। इस दौरान जो लोग किसी भी प्रकार की मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं, उन्हें विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होगी क्योंकि इस दौरान उनका मानसिक स्तर असंतुलित हो सकता है और वे थोड़े व्याकुल हो सकते हैं।
चंद्रमा के पीड़ित होने के कारण समुद्र में ज्वार भाटा तो आ ही सकता है लेकिन कुछ स्थानों पर समुद्र की लहरों में उछाल देखने को मिलेगा जिसका असर समुद्री यातायात पर पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त वर्षा अनियमित होने की संभावना बनेगी जिससे कुछ स्थानों पर सूखा और कुछ स्थानों पर अतिवृष्टि हो सकती है जो बाढ़ का कारण बन सकती है।
सूर्य, बृहस्पति, राहु और बुध के चंद्रमा को प्रभावित करने के कारण देश और दुनिया के कुछ विशेष लोगों के मध्य आपसी द्वंद देखने को मिल सकता है जिसकी परिणति एक दूसरे से विवाद बढ़ने के रूप में देखी जा सकती है। इसका असर विशेष रूप से विभिन्न देशों पर देखने को मिल सकता है क्योंकि सभी देश कहीं ना कहीं एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
आम नागरिकों को इस दौरान अपने मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए योग और ध्यान का सहारा लेना चाहिए तथा मानसिक और शारीरिक रोगों के प्रति सावधानी रखनी चाहिए। आपसी कलह और एक दूसरे को भला बुरा कहने की आदत से बचना चाहिए। व्यवसायिक कार्यों में रुकावट न आए, इसके लिए अपने किसी खास व्यक्ति से मदद लें। दांपत्य जीवन में तनाव बढ़ने की स्थिति बन सकती है और आप जल जनित समस्याओं का शिकार हो सकते हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए विशेष उपाय करें।
यदि आप किसी समस्या से पीड़ित हैं या फिर आपके मन में चंद्रग्रहण को लेकर कोई विशेष जिज्ञासा या प्रश्न है तो आप हमारे विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट भी कर सकते हैं।
इस चंद्रग्रहण से ये चार राशि वाले रहें सावधान
- मिथुन राशि के जातकों को निजी संबंधों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। संतान से संबंधित चिंता रहने के योग बनेंगे।
- कर्क राशि के जातकों को स्वास्थ्य का ध्यान रखना आवश्यक होगा और नौकरी में बदलाव का समय हो सकता है।
- तुला राशि के जातकों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पड़ेगी क्योंकि उनके स्वास्थ्य में गिरावट और मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
- मकर राशि के जातकों को अपने करियर में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। क्रोध या भावावेश में आकर नौकरी खुद न छोड़ें।
चंद्र ग्रहण से इन दो राशियों को होगा फायदा
- वृषभ राशि के जातकों को लाभ के योग बनेंगे। कार्य में आ रही रुकावटें दूर होंगी और आपका आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- वृश्चिक राशि के जातकों को आमदनी में बढ़ोतरी और खर्चों में कमी होगी तथा विदेश यात्रा का मौका मिल सकता है।
चंद्र ग्रहण के उपाय
वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को एक महत्वपूर्ण ग्रह माना गया है। यह सबसे तीव्र गति से चलने वाला ग्रह है जो कि लगभग सवा दो दिन में एक राशि का गोचर पूर्ण करके राशि परिवर्तन कर लेते हैं। इन्हें ग्रह मंडल में रानी का दर्जा भी दिया गया है। चंद्रमा शीतलता और शांति देने वाले ग्रह हैं। यह हमारे जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हमारे मन मस्तिष्क को नियंत्रित करते हैं, शरीर में उपस्थित जल पर इनका आधिपत्य होता है इसलिए जब चंद्र ग्रहण लगता है या अमावस्या अथवा पूर्णिमा तिथि आती है तो हमारे शरीर में विशेष हलचल देखने को मिल सकती है।
वैसे तो हमने पहले ही बताया कि यह उपच्छाया चंद्रग्रहण है जिसका कोई विशेष प्रभाव मान्य नहीं होगा फिर भी कुछ लोग जो इस में विश्वास रखते हैं कि यह चंद्रग्रहण भी उनके लिए महत्वपूर्ण है तो उनके लिए हम कुछ विशेष उपाय बता रहे हैं, जिन्हें इस चंद्र ग्रहण के दौरान करने से लाभ होगा और इसके अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिल सकती है।
जब कभी भी चंद्रग्रहण लगता है तो चंद्रमा के साथ केतु उपस्थित हो जाते हैं और चंद्रमा ग्रसित हो जाते हैं। इससे कुछ समय के लिए प्रकृति में असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और जीवधारियों पर भी अलग-अलग तरह के रूप में अलग प्रभाव दिखाई देने शुरू हो जाते हैं। वैदिक ज्योतिष में कुछ विशेष उपाय बताए गए हैं, जिन्हें करने से आप चंद्र ग्रहण के दौरान और उसके बाद मिलने वाले दुष्प्रभावों से बच सकते हैं और अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं। आइए आपको बताते हुए कौन से विशेष उपाय हैं, जिन्हें चंद्र ग्रहण के दौरान यदि आप करेंगे तो उससे आपको फायदा होगा:
- चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2023) के दौरान चंद्र देव के बीज मंत्र का जाप करना बहुत लाभदायक होता है। इनका बीज मंत्र है- ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्रमसे नमः।
- भगवान शिव जी और माता पार्वती जी की पूजा करने से आपको चंद्रग्रहण के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिल सकती है।
- भगवान शंकर चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण करते हैं। ऐसे में भगवान शिव के आशुतोष या चंद्रशेखर अथवा चंद्रमौलीश्वर रूप का ध्यान करते हुए उनकी पूजा-अर्चना करनी चाहिए।
- चंद्र ग्रहण के दौरान आप ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
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- यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा और केतु एक साथ उपस्थित होकर चंद्र ग्रहण दोष बना रहे हैं तो ग्रहण काल के दौरान आपको केतु के बीज मंत्र का जाप भी करना चाहिए। यह मंत्र इस प्रकार है- ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: केतवे नमः।
- राधा रानी जी की उपासना भी आपको अच्छा फल प्रदान कर सकती है।
यदि आप और कुछ जानना चाहते हैं अथवा अपनी कुंडली में ग्रहों के प्रभाव के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आचार्य मृगांक से अभी फोन पर जुड़ें।
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