हिन्दू धर्म में प्रथम पूज्य माने जाने वाले भगवान् गणेश का विशेष त्यौहार गणेश चतुर्थी देशभर में आने वाले 2 सितंबर को मनाया जाएगा। बता दें कि दस दिनों तक चलने वाले गणेश चतुर्थी के त्यौहार के दौरान विशेष रूप से सभी गणेश मंदिरों में ख़ासा चहल पहल और भक्तों की भीड़ नजर आती है। यूँ तो गणेश चतुर्थी का त्यौहार मुख्यतौर पर महाराष्ट्र में मनाया जाता है लेकिन अब धीरे-धीरे इस त्यौहार को देश के अन्य हिस्सों में भी मनाया जाने लगा है। आज हम आपको विशेष रूप से देश के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ स्वयं सूर्यदेव सबसे पहले गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं। आइये जानते हैं कहाँ स्थित है ये मंदिर और क्या है इस मंदिर की खासियत।
यहाँ सूर्यदेव करते हैं सबसे पहले गणपति के चरण स्पर्श
बता दें कि आज हम आपको गणेश जी के जिस मंदिर के बारे में बता रहे हैं वो असल में जयपुर में स्थित है। इस मंदिर की खासियत ये है कि यहाँ सूर्य की किरणें उदय के साथ ही सबसे पहले गणेश जी के चरण स्पर्श करती हैं। गणेश जी का ये मंदिर विशेष रूप से जयपुर के सूरजपोल बाजार में स्थित है। इस गणेश मंदिर का नाम “श्वेत सिद्धिविनायक मंदिर” है। यहाँ गणेश जी के श्वेत रूप की पूजा की जाती है। चूँकि इस मंदिर में गणेश जी की मूर्ती सफ़ेद संगमरमर की बनी है इसलिए इस मंदिर का नाम श्वेत सिद्धिविनायक रखा गया।
मंदिर में स्थित गणेश जी की मूर्ति है बेहद ख़ास
माना जाता है कि जयपुर के इस मंदिर में रखी गणेश जी की प्रतिमा बेहद ख़ास है। यहाँ स्थित गणेश जी की श्वेत प्रतिमा सफ़ेद संगमरमर से बनायीं गयी है, जो आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इस मंदिर का निर्माण जयपुर के राजा सवाई राम सिंह ने करवाया था। इस गणेश मंदिर की खासियत ये है कि यहाँ आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहाँ भक्तों का हुजूम देखने को मिलता है। मंदिर को काफी अच्छी तरह से सुसज्जित किया जाता है और गणेश उत्सव के दस दिन यहाँ काफी रौनक लगी रहती है। इस मंदिर के अन्य खासियत की बात करें तो यहाँ स्थित गणेश जी की मूर्त्ति का केवल दूध और जल से अभिषेक किया जाता है। चूँकि इस गणेश मूर्ति की स्थापना तांत्रिक विधि से की गयी है इसलिए यहाँ गणेश जी को सिन्दूर का चोला नहीं चढ़ाया जाता। मंदिर में गणेश जी की मूर्ति के साथ राधा कृष्ण की मूर्ति की पूजा अर्चना भी की जाती है।
गणेश जी के साथ ही चित्रगुप्त जी की पूजा भी की जाती है
जयपुर स्थित इस मंदिर के प्रांगण में चित्रगुप्त जी की भी मूर्ति स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि चित्रगुप्त जी सभी के पाप पुण्य का लेखा जोखा रखते हैं, इसलिए यहाँ गणेश जी के साथ ही उनकी पूजा अर्चना भी की जाती है। शास्त्रों में ऐसा लिखा है की चित्रगुप्त जी यम देव के मुनीम का काम करते हैं। वो सभी के पाप और पुण्य का लेखा जोखा उन्हें बताते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि चित्रगुप्त जी आज भी इस मंदिर में आने वाले सभी भक्तों के पाप पुण्य का हिसाब रखते हैं।