हिन्दू धर्म में शुक्रवार के दिन को विशेष रूप से लक्ष्मी माता का दिन माना जाता है। इस दिन लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना को विशेष महत्व दिया जाता है। ऐसी मान्यता कि, शुक्रवार के दिन लक्ष्मी माँ की पूजा अर्चना करने से धन से संबंधित मुसीबतों से छुटकारा मिलता है। आज हम आपको लक्ष्मी माँ के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहाँ उनकी प्रतिमा दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है। आइये जानते हैं लक्ष्मी माता का ये मंदिर कहाँ स्थित है और क्या है इस मंदिर की ख़ास विशेषता।
मध्यप्रदेश के जबलपुर में स्थित है लक्ष्मी माता का मंदिर
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मध्यप्रदेश के जबलपुर में लक्ष्मी माता का बेहद चमत्कारी मंदिर स्थित है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की इसका निर्माण मध्यप्रदेश में गोंडवाना शासनकाल में रानी दुर्गावती के सेनापति आधार सिंह ने करवाया था। यहाँ लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना के लिए खासतौर से अमावस्या की रात को भक्तों की भीड़ लगती है। बता दें कि, इस मंदिर का नाम पंचमठा लक्ष्मी मंदिर है। पौराणिक काल में इस मंदिर में तांत्रिक जन तंत्र विद्या का प्रयोग कर साधना करते थे। इस मंदिर के चारों तरफ श्रीयंत्र की विशेष रचना की गयी है।
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दिन में तीन दफ़े रंग बदलती है माँ की प्रतिमा
लक्ष्मी माता मंदिर की ख़ास विशेषता ये यही कि यहाँ देवी माँ की मूर्ति दिन में करीबन तीन बार रंग बदलती है। लक्ष्मी माता के मंदिर की इस विशेषता की वजह से ही यहाँ हर दिन हज़ारों की संख्या में लोग आते हैं। यहाँ के पुजारियों का ऐसा कहना है कि सुबह के समय माता की मूर्ती सफ़ेद रंग की दिखाई देती है, दोपहर के समय उसका रंग पीला हो जाता है और शाम के समय लक्ष्मी माता की मूर्ति नीले रंग की दिखाई देती है। पुरातत्व विभाग का ऐसा कहना है की, इस मंदिर का निर्माण आज से करीबन ग्यारह सौ साल पहले हुआ था। इस मंदिर के अन्य विशेषताओं की बात करें तो यहाँ सबसे पहले सूर्य की किरण माता के चरणों की स्पर्श करती है।
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शुक्रवार के दिन लगता है भक्तों का ताँता
चूँकि लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष रूप से शुक्रवार का दिन ख़ास माना जाता है। इसलिए इस मंदिर में भी शुक्रवार के दिन विशेष रूप से भक्तों का तांता लगता है। लोगों में इस मंदिर को लेकर ऐसा विश्वास है की यहाँ व्यक्ति जिस मनोकामना के साथ देवी माँ के दर्शन के लिए आते हैं वो पूरी जरूर होती है। देवी के इस मंदिर के द्वार शुक्रवार के दिन विशेष रूप से रात के 12 बजे तक खुले रहते हैं। दिवाली के अवसर पर मंदिर को लक्ष्मी पूजा के लिए विशेष रूप से सजाया जाता जाता है। इस दिन मंदिर का द्वारा रात भर खुला रहता है।