हिन्दू धर्म में सभी देवी-देवताओं की आराधना करने और उनकी विशेष कृपा पाने के लिए कुछ विशिष्ट तरीकों का वर्णन किया गया है। इन तरीकों में कुछ ऐसी सामग्रियां और विधियां शामिल हैं जो विशिष्ट आराध्य देव को बहुत पसंद करने में विशेष तौर पर कारगर साबित होती हैं। जिसकी मदद से पूजा के दौरान उन सामग्रियों की उपलब्धता मनवांछित फल प्रदान करती हैं। लेकिन इसके साथ ही पूजा व आराधना में कुछ ऐसी सामग्रियां भी बताई गई हैं जिनका प्रयोग करना विपरीत परिणाम दे सकता है।
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जहां पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएँ आपके आराध्य देवी-देवताओं को पसंद आती हैं वहीं कुछ उन्हें बिलकुल नापसंद होती हैं, ऐसे में अगर वे वास्तु उन्हें अर्पित की जाए या उनको पूजा में इस्तेमाल किया जाए तो ऐसा करना एक बड़ी समस्या का कारण बन सकता है। अब चूंकि सावन का महीना शुरू होने जा रहा है तो ऐसे में आज इस लेख में हम आपको उन वस्तुओं के बारे में बताने वाले हैं जिन्हें भगवान शिव पर अर्पित करना वर्जित माना गया है।
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भगवान शिव की पूजा के दौरान इन बातों का विशेष रखें ध्यान
महादेव जिन्हें भोलेनाथ व भगवान शिव के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें विनाशक भी कहा जाता है। साथ ही ये भी माना जाता है कि भोलेनाथ अपने नाम के अनुसार अपने भक्तों से बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं तो वहीं विनाशक नाम के अनुसार ही क्रोध के कारण बहुत जल्दी रौद्र रूप भी धारण कर लेते हैं। विशेष रूप से भगवान शिव को भांग- धतूरे का चढ़ावा बहुत पसंद आता है, पर कुछ ऐसी सामग्रियां भी शिव पुराण में बताई गई हैं जिनका उपयोग शिव आराधना के दौरान करना बेहद अशुभ माना गया है। शिवपुराण के अनुसार शिव भक्तों को कभी भी भगवान शिव को विशेष रूप से ये 6 वस्तुएँ नहीं चढ़ानी चाहिए। आइये जानते हैं कि आखिर वो कौन-सी 6 वस्तुएँ हैं जिन्हे भगवान शिव को अर्पित करने पर आप उन्हें क्रोधित कर सकते हैं :-
शंख से जल
मान्यताओं अनुसार कहा जाता है कि जब दैत्य शंखचूड़ के अत्याचारों से देवता परेशान थे, तो वो भगवान शंकर ही थे जिन्होंने अपने त्रिशूल से उसका वध किया था, जिसके बाद मन जाता है कि उसका शरीर भस्म हो गया था और उसी भस्म से शंख की उत्पत्ति हुई थी। चूंकि भगवान शिवजी ने ही शंखचूड़ का वध किया था इसलिए कहा गया है कि महादेव को कभी भी शंख से जल अर्पित नहीं किया जाता है।
नहीं चढ़ानी चाहिए हल्दी
हिन्दू धर्म में शिव जी के अलावा अन्य सभी देवी- देवताओं के पूजन में हल्दी गंध और औषधि के रूप में प्रयोग की जाती है। लेकिन शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग को पुरुष तत्व का प्रतीक माना गया है जबकि हल्दी को स्त्रियोचित यानी स्त्रियों संबंधित वस्तु और यही मुख्य कारण है कि शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाना विशेष रूप से अशुभ माना जाता है।
तुलसी के पत्ते
तुलसी की पवित्रता को देखते हुए उसकी पत्तियों का प्रयोग कई देवी-देवताओं की पूजा में विशेष रूप से किया जाता है। लेकिन अगर बात करें सावन या भगवान शिव की पूजा की तो उसमें इनका इस्तेमाल करना वर्जित माना गया है। क्योंकि पौराणिक कथाओं अनुसार भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वध किया था, जिससे क्रोधित होकर तुलसी ने स्वयं ही भगवान शिव को अपने अलौकिक और दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया था।
नारियल का पानी
यूँ तो शिवलिंग पर या भगवान शिव की पूजा के दौरान नारियल अर्पित करने का विधान है, लेकिन इससे कभी भी उन्हें अभिषेक नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि देवताओं को चढ़ाया जाने वाले प्रसाद स्वयं ग्रहण करना आवश्यक होता है लेकिन शिवलिंग का अभिषेक जिन पदार्थों से होता है उन्हें ग्रहण करना वर्जित माना जाता है। इसलिए शिव पर नारियल का जल नहीं चढ़ाना चाहिए।
कुमकुम या सिंदूर
जैसा सभी जानते हैं कि सिंदूर या कुमकुम विवाहित स्त्रियों का विशेष गहना माना गया है। जिसे स्त्रियाँ अपने पति की लंबे आयु और स्वस्थ जीवन की कामना हेतु अपनी मांग में लगाती हैं और यही वो कई बार भगवान की पूजा के दौरान भी उन्हें अर्पित करती हैं। लेकिन शिव पुराण अनुसार महादेव को विनाशक बताया गया हैं, यही वजह है कि सिंदूर या कुमकुम से भगवान शिव की सेवा या पूजा नहीं की जाती है।
केतकी के फूल
एक पौराणिक कथा के अनुसार इस बात का उल्लेख किया गया है कि केतकी फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में उनका साथ दिया था, जिससे क्रोधित होकर भोलनाथ ने केतकी के फूल को श्राप देते हुए कहा था कि शिवलिंग पर या शिव जी की पूजा में कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा। इसी श्राप के बाद से ही शिव को केतकी के फूल अर्पित किया जाना वर्जित माना जाता है।
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