इस वर्ष 18 जून यानी शुक्रवार के दिन धूमावती जयंती मनाई जा रही है। प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन धूमावती जयंती मनाई जाती है। जानकारी के लिए बता दें कि मां पार्वती का ही एक रूप है माँ धूमावती। कहा जाता है कि एक समय में मां पार्वती को बहुत तेज भूख लग गई थी इस दौरान वह भूख से इस कदर व्याकुल हो गई थी कि उन्होंने अपने पति भगवान शिव को ही निगल लिया था। ऐसे में धूमावती माता मां पार्वती का ही एक बेहद ही भयंकर और विधवा स्वरूप मानी गयी हैं।
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धूमावती जयंती महत्व
ऐसे में धूमावती जयंती के दिन माता धूमावती की पूजा उपासना करनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और सुख समृद्धि का वरदान प्राप्त होता है। इसके अलावा कहा जाता है कि धूमावती माता क्योंकि पापियों का विनाश करने के लिए अवतरित हुई थी ऐसे में इनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से विपत्ति, रोग आदि का नाश होता है और बड़े से बड़ा संकट भी दूर होता है।
धूमावती जयंती शुभ मुहूर्त
11 बजकर 54 मिनट 04 सेकंड से 12 बजकर 49 मिनट 56 सेकंड तक
धूमावती जयंती की पूजन विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ कपड़े पहन लें।
- इसके बाद सूर्य देवता को अर्घ्य अर्पित करें।
- पूजा प्रारंभ करें और इसके लिए सबसे पहले पूजा वाली जगह को गंगाजल से पवित्र करें और गोबर से लीपें।
- इसके बाद पूजा में मां को सफेद रंग के फूल, आक के फूल, और सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें।
- इसके बाद पूजा में गंगाजल, केसर, कुमकुम, अक्षत, धतूरा, आक, सुपारी, दूर्वा, फल, शहद, कपूर, चंदन, नारियल, पंचमेवा, पूजा में अवश्य शामिल करें।
- इसके बाद दीपक प्रज्वलित करें। इस दिन की पूजा में सफेद तिल अवश्य शामिल करें।
- कहा जाता है इस दिन होम करने से व्यक्ति के जीवन से बड़े से बड़ा संकट भी दूर हो जाता है।
इस दिन की पूजा में इस मन्त्र का जाप अवश्य करें
ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्॥
धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥
महिलाओं को नहीं करनी चाहिए इस दिन की पूजा
धूमावती जयंती के दिन माता सती के भगवती स्वरूप की पूजा की जाती है लेकिन ऐसी मान्यता है कि, सुहागिन महिलाओं को धूमावती जयंती के दिन की पूजा नहीं करनी चाहिए। मुख्य तौर पर धूमावती जयंती की पूजा तंत्र साधना करने वाले लोग करते हैं।
धूमावती जयंती पौराणिक कथा
माता धूमावती को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से सबसे प्रमुख कथा के अनुसार कहा जाता है कि एक बार मां पार्वती को भूख लग गई। उन्होंने भगवन शिव से अपने लिए भोजन की व्यवस्था करने का आग्रह किया। लेकिन जबतक भगवन शिव माता के लिए खाने का बंदोबस्त कर ही रहे थे कि, तभी भूख से माता इस कदर व्याकुल हो गई कि उन्होंने स्वयं अपने पति भगवान शिव को ही निगल लिया। हालांकि भगवान शिव के गले में विष होने की वजह से मां पार्वती के शरीर से धुआं निकलने लगा और इसी जहर के प्रभाव से उनका रूप बेहद ही भयंकर प्रतीत होने लगा।
क्योंकि मां पार्वती ने भूख लगने पर अपने ही पति को निगल लिया था ऐसे में उन्हें भगवान शिव का श्राप लगा और उन्हें अब एक विधवा के स्वरूप में पूजा जाता है। कहा जाता है भगवान शिव ने मां पार्वती से कहा था कि तुम्हारे इस रूप को दुनिया धूमावती देवी के नाम से जानेगी। माँ धूमावती के एक हाथ में तलवार है, माता के बाल बिखरे हुए हैं और इनका स्वरूप काफी रौद्र और भयानक है।
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