हिन्दू धर्म का सबसे मुख्य और भव्य त्यौहार दस्तक दे चुका है, हालांकि तिथियों को लेकर लोगों को थोड़ा कंफ्यूजन हो रहा है। लोग इस बार धनतेरस-छोटी दिवाली-बड़ी दिवाली की तिथियों को लेकर संशय में हैं। तो चलिए आपकी इस दुविधा को दूर करते हैं और जानते हैं कि इस बार छोटी दिवाली कब है? धनतेरस कब है और शुभ मुहूर्त कब है? बड़ी दिवाली और लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त क्या है? और छोटी दिवाली के दिन हनुमान पूजा का क्या महत्व होता है?
धनतेरस पूजा शुभ मुहूर्त
यूँ तो धनतेरस का पर्व दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष धनतेरस की तिथि में थोड़ी उलटफेर है। इस वर्ष कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 12 नवंबर, गुरुवार को रात्रि 09 बजकर 30 मिनट से होगी, जो अगले दिन 13 नवंबर, शुक्रवार शाम 06 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए वर्ष 2020 में उदया तिथि में धनतेरस 13 नवंबर को मनाई जाएगी।
12 नवंबर (गुरुवार) को सायंकाल 9.30 बजे त्रयोदशी तिथि का प्रारम्भ व 13 नवम्बर को सांय 21.30 बजे त्रयोदशी तिथि का समापन हो जायेगा इस कारण से शुक्रवार को प्रदोष व्यापिनी तिथि में धनतेरस पर्व मनाना शुभ रहेगा।
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त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 12, 2020 को 21:30 बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त – नवम्बर 13, 2020 को 17:59 बजे
अब बात करते हैं कि धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है। तो, धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त 13 नवम्बर को सायंकाल के समय अमृत मुहूर्त में 5.27 बजे से शुरू होकर 5 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में पूजा करना फलदायी माना जाएगा। इसी वक्त अगर कोई दीपदान करता है तो भी शुभ होगा।
धनतेरस शुभ पूजा मुहूर्त -17:27 से 17:59
धनतेरस के दिन खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त
13 नवंबर को धनतेरस पर खरीदारी के लिए पहला मुहूर्त सुबह 7 से 10 बजे तक है, जबकि, दूसरा मुहूर्त दोपहर 1 से 2.30 बजे तक रहेगा और तीसरा मुहूर्त सायं काल में 5:27 से लेकर 5:59 तक का है।
छोटी दिवाली
धनतेरस के अगले दिन और दिवाली के एक दिन पहले छोटी दिवाली का पर्व मनाया जाता है। हालांकि इस वर्ष क्योंकि कृष्ण चतुर्दशी तिथि 13 नवंबर, शुक्रवार शाम 06 बजकर 01 मिनट से प्रारंभ होगी, जो अगले दिन 14 नवंबर, रविवार दोपहर 02 बजकर 20 मिनट पर समाप्त होगी। इसलिए नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली का पर्व उदया तिथि में ही मनाया जाएगा, जिसका अर्थ है कि वर्ष 2020 में नरक चतुर्दशी 14 नवंबर 2020 को ही बड़ी दीवाली के साथ मनाई जाएगी।
नरक चतुर्दशी-छोटी दिवाली के दिन हनुमान पूजा
नरक चतुर्दशी, दिवाली से एक दिन पहले छोटी दिवाली को मनाए जाने का विधान है। ऐसे में इस दिन हनुमान जयंती भी मनाई जाती है। इसके पीछे का तर्क यह दिया जाता है कि बजरंगबली हनुमान जी के जन्म तिथि के बारे में कोई निश्चित तिथि का उल्लेख कहीं नहीं है। इसी वजह से बजरंग बली हनुमान की जयंती साल में दो बार मनाई जाती है। इस बार साल की दूसरी हनुमान जयंती 13 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जा रही है। इस दिन के बारे में ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी की प्रसन्नता हासिल करने के लिए छोटी दिवाली का यह अवसर बेहद ही खास होता है।
इस दिन कैसे करें कृष्ण भगवान और हनुमान जी की पूजा?
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठे और अपने पूरे शरीर पर तिल का तेल लगाएं और उसके बाद स्नान करें। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी पहले तिल के तेल से मालिश उसके बाद स्नान करता है उसे शुभ फल मिलते हैं।
- इस दिन सूर्योदय के बाद नहाने से बचना चाहिए।
- नहाने के बाद भगवान कृष्ण और हनुमान जी की पूजा करें।
- हनुमान जी की मूर्ति स्थापित करें और उस पर धूप, दीप, नैवेद्य, दीप जलाएं।
- हनुमान जी को गुलाब की माला चढ़ाएं और सिन्दूर लगाएं उसके बाद उनकी आरती करें।
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इस दिन की पूजा में अवश्य रखें इन बातों का ख्याल
- हनुमान जी की पूजा में सिंदूर को अवश्य शामिल किया जाना चाहिए। ऐसा करने से इंसान को समस्त दुखों से मुक्ति अवश्य मिलती है।
- हनुमान जी एक ऐसे देवता माने जाते हैं जिनकी पूजा में बेहद सावधानी बरतनी होती है। ऐसे में अगर सुबह बरगद के पेड़ से एक पत्ते को तोड़कर उसे गंगाजल से धोकर हनुमानजी को अर्पित करें तो इससे आपके जीवन में धन की बढ़ोतरी होती है और आपको आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है।
- हनुमान जी की पूजा में उनको पान का बीड़ा अवश्य चढ़ाएं। इससे रोजगार के नए रास्ते खुलते हैं। हनुमान जी की पूजा में केवड़े का इत्र और गुलाब की माला अवश्य शामिल करें और कोशिश करें कि आप लाल रंग के वस्त्र पहन के हनुमानजी की पूजा करें। यह हनुमान जी की प्रसन्नता हासिल करने का सबसे आसान तरीका बताया गया है।
- हनुमान जी को बूंदी के लड्डू या प्रसाद अवश्य चढ़ाएं।
मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन भगवान हनुमान ने माता अंजना के गर्भ से जन्म लिया था इसी वजह के चलते वक्त अपने जीवन के दुखों और भय से मुक्ति पाने के लिए इस दिन हनुमानजी की पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन हनुमान चालीसा और हनुमान अष्टक का पाठ अवश्य करना चाहिए।
हनुमान कवच मंत्र
“ॐ श्री हनुमते नम:”
सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्
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दिवाली
इसके बाद बात करते हैं दिवाली के मुख्य दिन की। दिवाली की पूजा माँ लक्ष्मी को समर्पित होती है। हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन-संपत्ति की देवी माना गया है। ऐसे में मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए दिवाली के दिन को बेहद ही शुभ माना गया है। इंसान के घर में सुख समृद्धि बनी रहे और मां का आशीर्वाद बना रहे इसलिए लोग दिनभर माँ लक्ष्मी का उपवास रखने के बाद सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न (यानी वृषभ लग्न को स्थिर लग्न माना जाता है) में मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस दिन की पूजा में मुहूर्त का विशेष ध्यान देना चाहिए।
जानें लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त :17:30:04 से 19:25:54 तक
अवधि :1 घंटे 55 मिनट
प्रदोष काल :17:27:41 से 20:06:58 तक
वृषभ काल :17:30:04 से 19:25:54 तक
दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त :23:39:20 से 24:32:26 तक
अवधि : 0 घंटे 53 मिनट
महानिशीथ काल :23:39:20 से 24:32:26 तक
सिंह काल :24:01:35 से 26:19:15 तक
दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त
अपराह्न मुहूर्त्त (लाभ, अमृत):14:20:25 से 16:07:08 तक
सायंकाल मुहूर्त (लाभ):17:27:41 से 19:07:14 तक
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत, चल):20:46:47 से 25:45:26 तक
उषाकाल मुहूर्त (लाभ):29:04:32 से 30:44:04 तक
यहाँ दिया गया मुहूर्त दिल्ली शहर के अनुसार है। अपने शहर के अनुसार शुभ मुहूर्त जानें
मुहूर्त का नाम | समय | विशेषता | महत्व |
प्रदोष काल | सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त | लक्ष्मी पूजन का सबसे उत्तम समय | स्थिर लग्न होने से पूजा का विशेष महत्व |
महानिशीथ काल | मध्य रात्रि के समय आने वाला मुहूर्त | माता काली के पूजन का विधान | तांत्रिक पूजा के लिए शुभ समय |
गोवर्धन पूजा
दिवाली का त्यौहार अपने साथ कई अन्य अन्य त्यौहार भी लेकर आता है। इन्हीं कई त्योहारों में एक त्यौहार होता है गोवर्धन पूजा। गोवर्धन पूजा दिवाली के दूसरे दिन की जाती है। इस पूजा को प्रकृति की पूजा भी कहा जाता है जिसकी शुरुआत खुद भगवान श्री कृष्ण ने की थी। मान्यता के अनुसार इस दिन प्रकृति के आधार पर्वत के रूप में गोवर्धन पर्वत की पूजा किए जाने का विधान है और समाज के आधार पर इस दिन गाय की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा की शुरुआत ब्रिज से होती है और धीरे-धीरे समय के साथ अभी पूरे भारत वर्ष में प्रचलित हो चुकी है। इस वर्ष गोवर्धन पूजा 15 नवंबर के दिन मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा 2020, 15 नवंबर
गोवर्धन पूजा पर्व तिथि – रविवार, 15 नवंबर 2020
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त :15:18:37 से 17:27:15 तक
अवधि :2 घंटे 8 मिनट
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भाई दूज
दिवाली के त्यौहार के अंतिम दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। भाई दूज का त्यौहार प्रेम और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस दिन के बारे में जो मान्यता है उसके अनुसार भाई इस दिन अपने विवाहित बहनों के घर जाते हैं, जहाँ बहने उनका तिलक लगाकर उन्हें भोजन कराती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं।
भाई दूज 2020, 16 नवंबर
भाई दूज तिथि – सोमवार, 16 नवंबर 2020
भाई दूज तिलक मुहूर्त – 13:10 से 15:18 बजे तक (16 नवंबर 2020)
अवधि :2 घंटे 8 मिनट
द्वितीय तिथि प्रारंभ – 07:05 बजे से (16 नवंबर 2020)
द्वितीय तिथि समाप्त – 03:56 बजे तक (17 नवंबर 2020)
यहाँ दिया गया मुहूर्त दिल्ली के अनुसार है। अपने शहर के अनुसार भाई दूज का शुभ मुहूर्त जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
हम कामना करते हैं कि, अगर इनमें से किसी भी त्यौहार या उसके शुभ मुहूर्त के बारे में आपके मन में कोई भी दुविधा थी तो वो अब दूर हो गयी होगी। हम आशा करते हैं ये दिवाली आपके और आपके परिवार के लिए बेहद शुभ हो।
इसी कामना के साथ एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
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