तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ने यूरोप के देशों को मुस्लिम शरणार्थियों को लेकर बड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि अगर आप्रवासियों को यूरोप से अपने-अपने देशों में नहीं भेजा गया तो यूरोप मुस्लिम या अफ्रीकी बन सकता है। दलाई लामा ने अपने एक इंटरव्यू में ये बात कही है। इस दौरान उन्होंने कहा कि जो शरणार्थी यूरोप आ गए हैं, उन्हें लौटने से पहले उनके कौशल का विकास होना चाहिए।
शरणार्थियों की होनी चाहिए एक सीमित संख्या
84 वर्षीय लामा ने कहा कि यूरोप उन लोगों को शरण देने के लिए बाध्य था, जिन्हें मदद की जरूरत थी, लेकिन उन्हें अपने घर वापस आ जाना चाहिए। इस इंटरव्यू में जब दलाई लामा से यह पूछा गया कि जो लोग उनके गोद लिए हुए देशों में रहना चाहते हैं, उनका क्या होना चाहिए? तो उन्होंने इसका जवाब देते हुए ‘शरणार्थियों की एक सीमित संख्या ठीक है। लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो पूरा यूरोप अंत में मुस्लिम और अफ्रीकी देश बन जाएगा।’
यूरोप की कुल आबादी में से 4.4 फीसदी गैर-यूरोपीय
यूरोपीय संघ के आंकड़े ये बताते हैं कि यूरोप की 512 करोड़ की आबादी में से 4.4 प्रतिशत गैर-यूरोपीय नागरिक हैं। आंकड़ों के तहत 2017 में गैर-यूरोपीय देशों से तकरीबन 2.4 करोड़ प्रवासियों ने यूरोपीय संघ के देशों में रहने या फिर शरण लेने के लिए आए हैं। सीरिया में हुए ग्रह युद्ध के चलते हज़ारों मुस्लिम शरणार्थी यूरोप के देशों में शरण लेने को मजबूर हुए थे।
दुनियाभर में करीब 70 करोड़ शरणार्थियों की संख्या का अनुमान है। ख़ुद दलाई लामा भारत में शरणार्थी बनकर रह रहे हैं। वे 1959 से भारत में शरणार्थी के रूप में आए थे और भारत सरकार ने उन्हें हिमाचल में स्थित धर्मशाला में जगह दी थी।