चंद्र ग्रहण 2023: देश-दुनिया पर विशेष प्रभाव डालेगा साल का पहला व आखिरी चंद्रग्रहण!

चंद्र ग्रहण 2023: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको चंद्र ग्रहण 2023 के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि यह देश-दुनिया को कैसे प्रभावित करेगा और इस दौरान देश-दुनिया में क्या-क्या बदलाव देखने को मिलेंगे। बता दें साल 2023 का पहला और आखिरी चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर 2023 की दोपहर 02 बजकर 50 मिनट से शुरू हो जाएगा और 29 अक्टूबर, 2023 की मध्य रात्रि 02 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगा। आइए जानते हैं इस दौरान देश-दुनिया में इसका अनुकूल व प्रतिकूल प्रभाव।

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एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपको चंद्र ग्रहण पर विस्तार से जानकारी प्रदान करेगा, जैसे कि दिन, तारीख, समय सीमा आदि। इसके अलावा, धार्मिक दृष्टि से चंद्र ग्रहण का क्या अर्थ है? इसके प्रभाव क्या है और सूतक काल के साथ-साथ गर्भवती महिलाओं को इस दौरान कौन सी विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए, किन चीज़ों से बचना चाहिए आदि। आइए सबसे पहले जान लेते हैं क्या है चंद्र ग्रहण।

क्या होता है चंद्रग्रहण

सूर्य ग्रहण एक प्राकृतिक घटना है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, चंद्र ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया से होकर गुजरता है। इन परिस्थितियों में, चंद्रमा पूर्ण कष्ट का अनुभव करता है। विज्ञान के अनुसार, चंद्र ग्रहण एक देखने योग्य प्राकृतिक घटना है। चंद्र ग्रहण को देखने के लिए आंखों पर किसी विशेष सुरक्षा की आवश्यकता नहीं होती है। चंद्र ग्रहण को बिना किसी सहायता के नग्न आंखों से देखा जा सकता है।

दूसरी ओर, धार्मिक दृष्टि से इस प्राकृतिक घटना को नकारात्मक रूप से देखा जाता है क्योंकि इस दौरान तेज गति से चलने वाला चंद्रमा छाया ग्रह केतु के अशुभ प्रभाव से पीड़ित हो जाता है। ऐसी स्थिति में जातकों के मन और मस्तिष्क पर प्रभाव पड़ता है और साथ ही, कुंडली में चंद्रमा की स्थिति कमज़ोर हो जाती है और परिणामस्वरूप जातकों को अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। कहा जाता है कि चंद्रमा मानव शरीर पर शासन करता है, जिसमें 70% पानी माना जाता है। इसलिए, यदि चंद्रमा पर छाया पड़ती है, तो परिणामस्वरूप जातकों को कुछ शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

हम सभी जानते हैं कि चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है और यह पृथ्वी का चक्कर लगाता है जबकि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है और अपने अक्ष पर भी घूर्णन करती है। एक समय ऐसा जाता है कि जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक रेखा में आ जाते हैं और इस स्थिति में चंद्रमा और सूर्य के बीच पृथ्वी आ जाती है तो कुछ विशेष समय अंतराल पर ऐसा घटित होता है कि सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर पड़ती है और पृथ्वी की छाया से चंद्रमा पूरी तरह से ढक जाता है और सूर्य का प्रकाश कुछ समय के लिए चंद्रमा पर नहीं पहुंच पाता तथा अंधेरा प्रतीत होने लगता है। इस अवधि को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। चंद्र ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं पूर्ण, आंशिक और उपछाया चंद्र ग्रहण। 

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यह किस प्रकार का चंद्र ग्रहण होगा?

यह चंद्र ग्रहण आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। आंशिक चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी चंद्रमा से अधिक दूरी पर होती है और सूर्य का प्रकाश चंद्रमा पर पहुंचने से पूर्ण रूप से नहीं रुक पाता बल्कि थोड़ा पृथ्वी की छाया से रुक जाता है और थोड़ा नहीं रुक पाता तो इस स्थिति को आंशिक चंद्रग्रहण कहते हैं क्योंकि इसमें चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया कुछ हिस्सों पर पड़ती है और शेष जगह पर सूर्य का प्रकाश नज़र आता है। यह ग्रहण इसी कारण ज्यादा लंबी अवधि का भी नहीं होता है।

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आंशिक चंद्र ग्रहण की दृश्यता

पहला चन्द्र ग्रहण 2023 – खंडग्रास चंद्रग्रहण
तिथिदिन तथा दिनांकचंद्र ग्रहण आरंभ समयचन्द्र ग्रहण समाप्त समयदृश्यता का क्षेत्र
आश्विन मास शुक्ल पक्ष पूर्णिमाशनिवार/ रविवार 28/29 अक्टूबर 2023मध्य रात्रि उपरांत 1:05 बजेमध्य रात्रि उपरांत 2:24 बजेभारत, नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, भूटान, मंगोलिया, चीन, ईरान, रूस, कजाकिस्तान, सऊदी अरब, सूडान, इराक, तुर्की, अल्जीरिया, जर्मनी, पोलैंड, नाइजीरिया, दक्षिण अफ्रीका, इटली, यूक्रेन, फ्रांस, नॉर्वे, ब्रिटेन, स्पेन, स्वीडन, मलेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इंडोनेशिया, कोरिया, ब्राजील का पूर्वी भाग

नोट: उपरोक्त तालिका में दिया गया चंद्र ग्रहण 2023 का समय भारतीय समय अनुसार है। यह चन्द्र ग्रहण भारत में दृश्य मान होगा इसलिए भारत में इस चन्द्र ग्रहण का धार्मिक प्रभाव भी होगा और इसका सूतक काल भी प्रभावी होगा।

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चंद्र ग्रहण 2023: सूतक काल

यदि हम सनातन धर्म की बात करें तो उसके अनुसार चंद्र ग्रहण के सूतक काल के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। सूतक काल उस अवधि को कहा जाता है जो चंद्र ग्रहण के स्पर्श के समय से यानी कि चंद्रग्रहण के लगने से लगभग तीन प्रहर पूर्व अर्थात लगभग नौ घंटे पूर्व शुरू होती है। इस दौरान मूर्ति पूजा, मूर्ति स्पर्श, मंदिरों में जाना आदि कार्य तथा किसी भी प्रकार के शुभ कार्य जैसे कि विवाह, मुंडन संस्कार आदि भी नहीं किए जाते हैं।

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चंद्र ग्रहण 2023: विश्वव्यापी प्रभाव

  • अक्टूबर महीने में चंद्र ग्रहण शुक्ल पक्ष में लगेगा।
  • अक्टूबर माह में पड़ने वाला चंद्र ग्रहण आश्विन माह में पड़ेगा इसलिए प्राकृतिक आपदाएं आ सकती हैं। चीन और ईरान, भारत आदि देशों में चिकित्सा उद्योग से जुड़े लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
  • आग, बंदूक, गैस आदि से संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों को चंद्र ग्रहण के दौरान कुछ परेशानियों या हिंसक दुर्घटना का सामना करना पड़ सकता है।
  • आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्र, पंजाब आदि जैसे राज्यों में हिंसक दुर्घटना होने की प्रबल संभावना है।
  • इस चंद्र ग्रहण के अश्विनी नक्षत्र में स्थित होने के परिणामस्वरूप इस अवधि डॉक्टरों और व्यवसाय से जुड़े लोगों को अपने पेशे में मंदी का अनुभव हो सकता है।
  • यह चंद्र ग्रहण शनिवार के दिन पड़ेगा। ऐसे में, इस पर शनि का शासन है इसलिए मंत्रिमंडल के सदस्यों को अपना काम पूरा करने में परेशानी हो सकती है या आशंका है कि उन्हें जनता के विरोध का सामना करना पड़े। देश के कई इलाकों में चोरी की घटनाएं बढ़ सकती हैं। हालांकि इस दौरान उन लोगों को फायदा होगा जो तांबा, चावल, अरंडी, काली मिर्च, सरसों आदि का काम करते हैं।
  • यह ग्रहण खंडग्रास के रूप में लगभग 1 घंटा 16 मिनट तक रहेगा और इसके उपच्छाया की अवधि 4 घंटे 23 मिनट के आसपास होगी।
  • इस ग्रहण का सूतक काल 28 अक्टूबर की दोपहर 2:50 से शुरू होगा और रात्रि में 2:24 पर समाप्त होगा।
  • यह चंद्र ग्रहण मेष राशि और अश्विनी नक्षत्र में घटित होगा इसलिए इस राशि और इस नक्षत्र के लोगों पर इसका विशेष प्रभाव देखने को मिल सकता है।
  • ज्योतिषीय दृष्टि से देखें तो जिस दिन और जिस समय यह चंद्र ग्रहण लगेगा, उस समय गुरु और राहु एक साथ युति कर रहे होंगे तथा शनि, मंगल, सूर्य आदि की इन पर दृष्टि होगी इसलिए यह ग्रहण अनिष्टकारी साबित हो सकता है। इसके चलते दुनिया भर के कुछ इलाकों में भारी बारिश और अकाल जैसे हालात हो सकते हैं।
  • दूसरी ओर, भारत को विदेशी देशों से संघर्ष या प्रतिकूल स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
  • चंद्र ग्रहण 2023 शक्तिशाली होगा और लोगों पर इस ग्रहण का गहरा प्रभाव देखने को मिल सकता है। मेष राशि वाले या अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोगों को इस दौरान अपना खास ख्याल रखने की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि ग्रहण के दुष्प्रभाव कई परेशानी पैदा कर सकते हैं।

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