चैत्र नवरात्रि चौथा दिन: जानें इस दिन किस देवी की कैसे करें उपासना

नवरात्रि चौथा दिन, कूष्माण्डा देवी : 16 अप्रैल, 2021 (शुक्रवार)

नवरात्रि के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी की पूजा का विधान बताया गया है। आठ भुजाओं वाली कूष्माण्डा देवी को अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। देवी ने अपने हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा धारण किया हुआ है और देवी ने आठवें हाथ में जप के लिए माला ली हुई है।

कूष्माण्डा देवी सिंह के आसन पर विराजमान रहती हैं। कूष्माण्डा देवी के बारे में कहा जाता है कि वो सूर्यमण्डल के अंदर निवास करती हैं। इसलिए कहा गया है कि सूर्यमण्डल के अंदर अगर कोई वास्तव में रहने की क्षमता दिखा सकता है तो वो सिर्फ और सिर्फ कूष्माण्डा देवी ही हैं। मान्यता तो यह भी है कि माता कूष्माण्डा ही सूर्य देव को दिशा और ऊर्जा देती हैं। 

कूष्माण्डा देवी के नाम का अर्थ, कूष्माण्डा एक संस्कृत शब्द होता है जो कई शब्दों जैसे, कू जिसका मतलब होता है छोटा, ऊष्मा जिसका मतलब होता है ऊर्जा, और अण्डा जिसका मतलब होता है अण्डा, से मिलकर बनता है। देवी के कूष्माण्डा स्वरुप की पूजा से भक्तों को जीवन में धन-वैभव और सुख शांति की प्राप्ति होती है। चन्द्रघण्टा देवी की पूजा के दौरान इस मन्त्र का जाप अवश्य करें, ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः, इससे माता की प्रसन्नता अवश्य प्राप्त होती है।  

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कैसे करें देवी कूष्माण्डा देवी की पूजा 

  1. इस दिन भी सुबह सवेरे स्नान कर के सबसे पहले कलश की पूजा करने का नियम बताया गया है। 
  2. इसके बाद कूष्माण्डा देवी का ध्यान करें और इस दिन हो सके तो हरे रंग के आसन पर बैठकर ही देवी की पूजा करें।
  3. देवी कूष्माण्डा को धूप-दीप नैवेद्य इत्यादि अर्पित करें।
  4. माता कूष्माण्डा को फल इत्यादि का भोग लगाएं। इसके अलावा देवी को मालपुए का भोग लगाएं। 
  5. पूजा के दौरान इस मंत्र प्रार्थना मंत्र, “सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे” का जाप अवश्य करें और अपने घर परिवार की खुशियों की मंगल कामना करें। 
  6. पूजा के बाद सभी में प्रसाद वितरित करें और सबसे आशीर्वाद लें।

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इस दिन किस रंग के वस्त्र पहनकर करें माता कूष्माण्डा की पूजा 

नवरात्र के चौथे दिन पूजी जाने वाली कूष्माण्डा देवी के बारे में कहा जाता है कि इनका निवास सूर्य मंडल के बीच में होता है। कूष्माण्डा देवी ने खुद ही पहले सृष्टि की रचना की और फिर अंत में उन्होंने यह सृष्टि खुद अपने अंदर समा ली है। कूष्माण्डा देवी को प्रकृति की देवी भी कहा गया है इसलिए इनका रंग हरा बताया गया है। यानि कि अगर आप इनकी पूजा में हरे रंग के वस्त्र पहनते हैं तो इससे आपकी सुख समृद्धि में वृद्धि अवश्य होती है।

कूष्माण्डा देवी की पूजा से मिलता है यह फल 

  • कूष्माण्डा देवी के व्रत और पूजन के प्रभाव से इंसान के अंदर से सभी प्रकार का भय दूर होता है। 
  • कूष्माण्डा देवी साधकों का रोग, शोक इत्यादि दुःख दूर करती हैं और उन्हें लंबी उम्र, यश, बल और बुद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। 
  • माँ कूष्माण्डा के बारे में कहा जाता है कि वो बेहद ही थोड़ी सी सेवा में बहुत ज्यादा प्रसन्न हो जाती हैं। ऐसे में सोचिये जो इंसान सच्ची श्रद्धा से माता का उपासक बन जाये माता रानी उसके कितना ज्यादा ही फल देंगी। 
  • अगर कोई इंसान लगातार कड़ी मेहनत के बाद भी मनोवांछित फल नहीं पा सक रहा है तो उसे कूष्माण्डा देवी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। इससे साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।   

कूष्माण्डा देवी से जुड़ा ज्योतिषीय संदर्भ

कूष्माण्डा माँ सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं। अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।

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