छठ का पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। कार्तिक माह में पड़ने वाली छठ के बारे में तो आपने बहुत सुना होगा लेकिन चैत्र माह की छठ के बारे में कम ही लोग जानते हैं। हालाँकि ये छठ भी उतनी ही महत्वपूर्ण और ख़ास मानी जाती है। छठ पर्व का सीधा संबंध सूर्यदेव की उपासना से जोड़कर देखा जाता है। चैती छठ का ये पर्व मुख्य रूप से बिहार, पूर्वांचल के कुछ हिस्से और नेपाल में मनाया जाता है।
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इस वर्ष चैती छठ का पर्व का आरम्भ 28 मार्च, शनिवार से हो रहा है। हिन्दू धर्म के अनुसार छठ मैय्या को भगवान सूर्य की बहन माना गया है इसलिए छठ पूजा में सूर्यदेव की पूजा से छठ मैया प्रसन्न होती हैं और साधक के जीवन में खुशियां और शांति प्रदान करती हैं।
बात करें अगर लोकप्रियता की तो कार्तिक माह में पड़ने वाली छठ ज़्यादा लोकप्रिय है। ये दीपावली के बाद मनाई जाती है। छठ व्रत चार दिनों के लिए किया जाने वाला बेहद ही कठिन व्रत माना जाता है। यूँ तो सभी व्रत में शुद्धता का ख़ास ख्याल रखना होता है लेकिन छठ व्रत की पहचान ही इसकी शुद्धता को माना गया है। छठ का व्रत करने से घर वालों की सेहत अच्छी बनी रहती है और घर धन-धान्य और खुशियों से भरा रहता है।
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इस साल चैती छठ का आरंभ 28 मार्च 2020, शनिवार को नहाय खाय के साथ हो रहा है। और छठ व्रत की पारणा 31 मार्च को होगी। जानें चैती छठ से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां:
28 मार्च शनिवार | नहाय-खाय | शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि |
29 मार्च रविवार | खरना | पंचमी |
30 मार्च सोमवार | शाम का अर्घ्य | षष्ठी |
31 मार्च मंगलवार | सुबह का अर्घ्य/पारणा | सप्तमी |
कैसे करें छठ पूजा?
छठ पूजा का ये पर्व कुल चार दिनों तक मनाया जाता है।
छठ पर्व का पहला दिन नहाय खाय के साथ शुरू होता है। नहाय खाय कार्तिक या चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग सुबह के समय से उठकर स्नान आदि करते हैं और फिर नए कपड़े पहनते हैं। इसके बाद सभी लोग भोजन करते हैं। हाँ लेकिन इस दिन पहले व्रत रहने वाला इंसान भोजन करता है और उसके बाद ही अन्य सभी लोग भोजन करते हैं।
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छठ पर्व का दूसरा दिन खरना के लिए निर्धारित किया गया है। इस दिन व्रत रखने की मान्यता है। पूरे दिन व्रत रखा जाता है और फिर शाम को व्रती कुछ खाते हैं। शाम को खाने में गुड़ और चावल की खीर बनायी जाती है। इस दिन के भोजन में नमक और चीनी का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इस दिन रोटी में घी लगाकर उसे प्रसाद के रूप में खाया और बांटा जाता है।
छठ पर्व का तीसरा दिन शाम की अर्घ्य के लिए निर्धारित है। इस दिन छठ पूजा का विशेष भोग/प्रसाद तैयार किया जाता है। इसमें ठेकुआ सबसे प्रसिद्ध होता है। प्रसाद बनाने के बाद एक टोकरी तैयार की जाती है जिसमें फल, और प्रसाद इत्यादि सजाये जाते हैं।
इसके बाद व्रती इस टोकरे को लेकर तालाब,नदी या किसी घाट पर जाते हैं और सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद डूबते हुए सूरज की पूजा की जाती है।
छठ पर्व के चौथे और अंतिम दिन सुबह की अर्घ्य और पारणा की जाती है। इस दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसी के साथ व्रत का समापन हो जाता है। इसके बाद व्रती पारणा कर लेते हैं।
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