वैशाख माह में पड़ने वाली पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन भगवान बुद्ध का जन्म भी हुआ था। ऐसे में यह दिन बुद्ध भगवान के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। वर्ष 2021 में बुद्ध पूर्णिमा 26 मई के दिन पड़ रही है। स्वाभाविक सी बात है ऐसे में बुद्ध पूर्णिमा का यह दिन जैन समुदाय के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है और जैन समुदाय के लोग इस दिन को बेहद ही धूमधाम के साथ मनाते हैं।
तो आइए बुद्ध पूर्णिमा विशेष इस आर्टिकल में जानते हैं बुद्ध पूर्णिमा के दिन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण और जानने वाली बातें।
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बुद्ध पूर्णिमा महत्व
सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी बात तो यह कि बुद्ध देवता को हिंदू धार्मिक ग्रंथ के मुताबिक भगवान विष्णु का एक अवतार (नौवां अवतार) माना जाता है। कहा जाता है वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि के दिन ही बौद्ध धर्म के संस्थापक यानी भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। ऐसे में इस दिन पवित्र नदियों में स्नान आदि का विशेष महत्व माना गया है।
वैशाख पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कहा जाता है कि, पूर्णिमा तिथि का प्रभाव व्यक्ति के मन के साथ-साथ उसके शरीर पर भी प्रत्यक्ष रूप से पड़ता है। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा को मन और द्रव्य पदार्थों का कारक माना गया है। ऐसे में पूर्णिमा तिथि के दिन चंद्रमा का विशेष प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर देखने को मिलता है और यही वजह है कि इस दिन चंद्रमा की विधिवत पूजा का विधान बताया गया है जिससे व्यक्ति का मन शरीर हमेशा अच्छा बना रहे और हमारे जीवन पर चंद्र ग्रह का शुभ प्रभाव पड़े।
बुद्ध पूर्णिमा 2021 तिथि और मुहूर्त
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 25 मई 2021 (रात 8:20 से लेकर)
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 26 मई 2021 (शाम 04:40 तक)
बुद्ध पूर्णिमा व्रत विधि
बुद्ध पूर्णिमा के दिन बहुत से लोग व्रत आदि भी करते हैं। तो आइए जान लेते हैं इस दिन की व्रत विधि क्या होती है।
- वैशाख पूर्णिमा के दिन यदि आप भी व्रत करना चाहते हैं तो इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प ले लें।
- इसके बाद किसी पवित्र नदी, कुण्ड या फिर अपने घर में ही स्नान करें और वरुण देवता का ध्यान करें।
- स्नान करने के बाद सूर्य देवता को सूर्य मंत्रों के उच्चारण के साथ अर्घ्य अर्पित करें।
- इसके बाद मधुसूदन भगवान की पूजा करनी चाहिए।
- इस दिन की पूजा में धूप दीप नैवेद्य इत्यादि अवश्य शामिल करें।
- पूजा के बाद दान पुण्य अवश्य करें। कहा जाता है दान पुण्य करने से हमारी पूजा जल्द ही स्वीकार होती है और इसका फल कई गुना प्राप्त होता है।
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