मंत्रोच्चारण को हिंदु धर्म में बहुत फ़लदायी माना जाता है। हालाँकि इन मंत्रों में सबसे ऊँचा दर्जा दिया गया है गायत्री मंत्र को। कहा जाता है कि इस मंत्र में इतनी शक्ति होती है कि इसका जाप करने वाले इंसान को इसका जाप शुरू करने के साथ ही इसके सकारात्मक फल दिखने लग जाते हैं। इस मंत्र का शांत मन से जाप करने से इंसान को मानसिक शांति मिलने के साथ-साथ उसके जीवन की सभी बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। यही वजह है कि इस मंत्र को सबसे शक्तिशाली और चमत्कारी मंत्र माना जाता है। कहा तो यहाँ तक जाता है कि ये अकेला मंत्र कई मंत्रों के बराबर लाभकारी होता है।
गायत्री मंत्र से मिलने वाले फ़ायदे:
गायत्री मंत्र के बारे में कहा जाता है कि इस मंत्र के जाप से कई ऐसे फल मिलते हैं जो किसी भी अन्य मंत्र के जाप से नहीं मिल सकते। स्वयं भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण जी के साथ ऋषि मुनियों द्वारा जपे गए गायत्री मंत्र से मानव जाति का कल्याण होता है। साथ-ही-साथ महाभारत में इस बात का ज़िक्र है कि गायत्री मंत्र के उच्चारण से ब्रह्मदर्शन भी संभव है। इस अलौकिक मंत्र में इतनी शक्ति होती है कि ये इंसान के मन में छिपे किसी भी प्रकार के भय को भी समाप्त कर सकता है।
‘ओम भूर्भुव:स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गाे देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात॥’
सनातन धर्म के ग्रंथों के अनुसार इस मंत्र का प्रादुर्भाव ज्येष्ठ मास की शुक्ल दशमी को हुआ था। कहा जाता है कि इस मंत्र के ब्रह्मर्षि विश्वामित्र दृष्टा बने। विश्व का कल्याण करने के मक़सद से लिए उन्होंने खुद ही गायत्री मंत्र को आम जन में फैलाया और उसकी महत्ता बताई। सनातन धर्म को मानने वाले लोग किसी भी पूजा में गणेश मंत्र के बाद गायत्री मंत्र का उच्चारण अवश्य ही करते हैं।
श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्द में लिखा है कि, “भगवान श्रीकृष्ण रोज़ाना स्नान करने के बाद गायत्री मंत्र का जाप किया करते थे।” इसके अलावा महाकवि तुलसी-दास ने भी रामचरित मानस में बताया है कि, “विश्वामित्र ने अपने शिष्यों- भगवान राम और लक्ष्मण को भी गायत्री मंत्र का रहस्य और महत्व विस्तार से समझाया था।”
गायत्री संहिता के अनुसार, “भासते सततं लोके गायत्री त्रिगुणात्मिका॥’ अर्थात गायत्री माता सरस्वती, लक्ष्मी एवं काली का प्रतिनिधित्व करती हैं। वह वेदमाता हैं। समस्त ज्ञान की देवी गायत्री ही हैं।”
एक बार की बात है भगवान ब्रह्मा किसी यज्ञ में शामिल होने के लिए अकेले ही जा रहे थे। हालाँकि मान्यता के अनुसार किसी भी धार्मिक पूजा का पूर्ण फल तभी मिलता है जब पति-पत्नी साथ में उस पूजा में साथ में सम्मिलित होते हैं। हालाँकि इस यज्ञ में भगवान ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्रि उनके साथ मौजूद नहीं थी। यज्ञ में पत्नी का होना नितांत जरूरी होता है, यही सोचकर ब्रह्मा जी ने देवी गायत्री से विवाह कर लिया। पद्मपुराण के सृष्टि-खंड में देवी गायत्री को ब्रह्मा जी की शक्ति बताने के साथ-साथ उनकी पत्नी भी बताया गया है।
शारदा तिलक में देवी गायत्री के स्वरूप का वर्णन करते हुए कहा गया है कि, “देवी गायत्री पंचमुखा हैं, ये कमल पर विराजमान होकर रत्न-हार-आभूषण धारण करती हैं। इनके दस हाथ होते हैं, इन हाथों में वो शंख, चक्र, कमलयुग्म, वरद, अभय, अंकुश, उज्ज्वल पात्र और रुद्राक्ष की माला आदि पकडे हुए होती है। पृथ्वी पर जो मेरु नामक पर्वत है, उसकी चोटी पर ही इन देवी का निवास स्थान होता है। सुबह, दोपहर और शाम के समय इन देवी का ध्यान अवश्य करना चाहिए। देवी गायत्री का जप सदैव ही रुद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए। शंख स्मृति के अनुसार गायत्री मंत्र के जाप से भय समाप्त हो जाता है।”
गायत्री मंत्र के साथ इसका जप करने से बरसेगा पैसा
यूँ तो गायत्री मंत्र अपने आप में काफी शक्तिशाली होता है लेकिन अगर कोई इंसान इस कल्याणकारी गायत्री मंत्र के आगे और पीछे ऊं श्रीं ऊं लगा कर इसका जाप करना शुरू कर दे तो ये मंत्र आपका जीवन बदलकर रखने की क्षमता रखता है। वैसे तो सुबह-शाम इस मंत्र का माला के साथ जाप करना चाहिए लेकिन अगर आप माला के साथ इसका जाप नहीं भी कर सकते हैं तो ऐसे भी 11-11 बार इसका जाप करने से भी आपको मनोवांछित फल की प्राप्ति हो सकती है। इस मंत्र का बताई गयी विधि के साथ जाप करने वाले इंसान की ज़िंदगी में कभी भी पैसों की कमी नहीं रहती है।
सिर्फ इतना ही नहीं अगर किसी बच्चे का पढ़ाई में मन नहीं लगता हो तो उसे भी गायत्री मंत्र का जाप शुरू कर देना चाहिए। रोज़ाना इस मंत्र का जाप करने से बच्चों का पढ़ाई में मन भी लगता है और शिक्षा के क्षेत्र में उन्हें कामयाबी भी मिलती है।
अगर किसी दंपत्ति को संतान सुख नहीं मिल रहा हो तो वो लोग गायत्री मंत्र का विधिवत तरीके से जाप करने से इस समस्या से निदान पा सकते हैं। संतान सुख के लिए भी इस मंत्र के जाप को काफी सिद्ध और कल्याणकारी माना गया है।
अगर किसी लड़के-लड़की की शादी होने में किसी तरह की कोई बाधा आ रही हो तो भी इस मंत्र के उच्चारण से इस दुविधा से छुटकारा पाया जा सकता है। ऐसे लड़के-लड़कियों को प्रत्येक सोमवार को 108 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
अगर नौकरी के क्षेत्र में या ऑफ़िस में किसी को किसी तरह की कोई समस्या आ रही है तो भी गायत्री मंत्र काफी लाभदायक हो सकता है। ऐसे इंसान को शुक्रवार के दिन पीले कपड़े पहनकर गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे उन्हें मन-चाहा फल अवश्य मिलता है।