भारत देश में जहां 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा की जाती है। यहां आस्था के प्रतीक कई मंदिर और धार्मिक स्थल हैं। इन मंदिरों और धार्मिक स्थलों से लोगों की भावना और आस्था जुड़ी हुई है। घर बैठे मंदिरों के दर्शन करने की इस कड़ी में आज हम आपको भारत के कुछ ऐसे अनोखे मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां की मान्यताएं आपको हैरान कर सकती हैं।
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सबसे पहले इस कड़ी में हम बात करते हैं मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की जो कि राजस्थान में है, जब भी कोई व्यक्ति भूत प्रेत आदि की बात करता है तो उसके लिए इन बाधाओं से निजात पाने के लिए सबसे पहले इसी मंदिर का नाम सामने आता है। कहा जाता है राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में भूत प्रेत बाधाओं से निजात दिलाई जाती है। ऐसे में यहां सुबह से लेकर शाम तक भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। इस मंदिर की यही खासियत चौंकाने वाली भी है। इस मंदिर में जिस तरह से भूत प्रेत बाधाओं से निजात दिलाई जाती है वह मंजर देखने में बेहद ही भयभीत साबित होता है।
इस मंदिर में लोगों को भूत प्रेत बाधाओं से पीछा छुड़ाने के अजीब अजीब हथकंडे और तरीके अपनाए जाते हैं। इस मंदिर में ऐसे नजारे भी नजर आते हैं जहां लोग छत से लटके होते हैं, या जिन्हें खौलते हुए पानी से स्नान कराया जाता है, साथ ही यहां जंजीरों से बंधे हुए लोग भी नजर आते हैं। कुल मिलाकर इस मंदिर का नजारा कोई कमजोर दिल का इंसान देख ले तो अवश्य ही भयभीत हो उठे।
इस कड़ी में हम जिस दूसरे मंदिर की बात कर रहे हैं वह है मध्य प्रदेश में स्थित देव जी महाराज का मंदिर। मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की तरह यह मंदिर भी भूत-प्रेत आदि बाधाओं को छुड़ाने के लिए जाना जाता है। ऐसे में यहां पर भी नकारात्मक शक्तियों से पीड़ित लोगों का जमावड़ा दिन रात लगा रहता है।
इस मंदिर से जुड़ी मान्यता की बात करें तो यहां पर भूत प्रेत बाधाओं से निजात दिलाने के लिए ओझा और तांत्रिक लोग पीड़ित व्यक्ति के हाथ पर जलता हुआ कपूर रख देते हैं। कहा जाता है ऐसा करने से व्यक्ति के अंदर मौजूद भूत प्रेत बाधा शीघ्र ही बाहर निकल आती है। सिर्फ इतना ही नहीं इस मंदिर में सालाना एक ‘भूत मेला’ भी लगता है।
इस कड़ी में अगला नाम है कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर का जो कि केरल में स्थित है। यूं तो यह मंदिर मां भद्रकाली को समर्पित है लेकिन जो बात इस मंदिर को अन्य मंदिरों से एकदम अलग बनाती है वह है इस मंदिर में सात दिवसीय होने वाला भारनी महोत्सव। इस दौरान इस मंदिर में औरतें और पुरुष लाल रंग के वस्त्र धारण करते हैं और फिर तलवार से अपने शरीर पर तब तक चोट पहुंचाते हैं जब तक खून न बहने लगे। इसके बाद इसी हालत में शोर मचाते हुए लोग मंदिर में प्रवेश करते हैं। यह नजारा सुनने में जितना भयावह प्रतीत हो रहा है देखने में उससे कई गुना ज्यादा भयानक लगता है।
अगले जिस मंदिर कि हम यहां बात करने जा रहे हैं वह है गुजरात का स्तंभेश्वर महादेव मंदिर।इस मंदिर को अदृश्य मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि यह मंदिर गायब हो जाता है। डेढ़ सौ साल पुराने इस मंदिर की सबसे खास बात यही है कि समुद्र की लहरों के कारण कई बार यह मंदिर जलमग्न हो कर गायब हो जाता है। ऐसे में इस अनोखे मंदिर को देखने के लिए देश और दुनिया भर से लोग यहां भारी तादाद में पहुंचते हैं।
मंदिरों का जिक्र हो और वाराणसी का ज़िक्र ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। ऐसे में इस कड़ी में अगला मंदिर जिसकी हम बात कर रहे हैं वह है वाराणसी का काल भैरव नाथ मंदिर। जैसा की मंदिर के नाम से ही स्पष्ट है कि, यह मंदिर काल भैरव को समर्पित है। इस मंदिर से जुड़ी जो मान्यता इसे अन्य सभी मंदिरों से अलग करती है वह यह कि यहां भगवान को प्रसाद में शराब चढ़ाई जाती है।
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