जानें भारत के उन मंदिरों के बारे में जहां पुरुषों का जाना है वर्जित!

हमारे देश में कई धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं और हर धर्म में कोई न कोई आस्था का केंद्र होता है। हिंदू धर्म को मानने वाले लोग मंदिरों में जाते हैं, मुस्लिम धर्म को मानने वाले लोग मस्जिद में, सिख धर्म को मानने वाले गुरुद्वारों में जाते हैं और यहां जाकर सब एक हो जाते हैं। वैसे तो मंदिर सबके लिये एक होते हैं लेकिन भारत में कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां औरतों का जाना मना है वैसे ही ऐसे मंदिर भी मौजूद हैं जहां पुरुषों का जाना वर्जित है आज हम आपको भारत के ऐसे ही मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पुरुष नहीं जा सकते हैं।

कामाख्या मंदिर

भारत के असम राज्य में बसा कामाख्या मंदिर भारत के उन चुनिंदा मंदिरों में सुमार है जहां पुरुषों का आना वर्जित है। इस मंदिर में केवल महिला संन्यासी और पुजारी ही रहते हैं। इस मंदिर परिसर में महिलाओं को मासिक धर्म चक्र के दौरान आने की अनुमति होती है। यह माता सती का मंदिर है। शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती को काट दिया था, जिस जगह पर माता सती के कमर के नीचे का हिस्सा गिरा वहां कामख्या देवी मंदिर का निर्माण हुआ। 

भगवती मां मंदिर 

भारत के दक्षिणी तट पर बसा भगवती मां मंदिर में कन्याकुमारी देवी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि कन्याकुमारी माता भगवती का कन्या रुप हैं। इस मंदिर में भी पुरुषों का जाना वर्जित है, केवल संन्यासी पुरुष इस मंदिर के परिसर तक जा सकते हैं इससे आगे जाने की उन्हें भी अनुमति नहीं होती। 

त्र्यंबकेश्वर मंदिर 

नासिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर में पहले महिलाओं को जाने की इजाजत नहीं दी जाती थी लेकिन पुरुष यहां प्रवेश कर सकते थे। हालांकि बाम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद अब यहां पुरुषों का जाना भी वर्जित कर दिया गया है। 

संतोषी माता मंदिर 

संतोषी माता को मुख्य रुप से स्त्रियों द्वारा ही पूजा जाता है। कुंवारी लड़कियां और महिलाएं माता संतोषी का व्रत रखती हैं। माता संतोषी के व्रत के दौरान स्त्रियों को खट्टी चीजें खाने से मना किया जाता है। हालांकि पुरुष भी माता संतोषी की पूजा करते हैं लेकिन शुक्रवार को माता संतोषी के किसी भी मंदिर में पुरुष श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति नहीं होती। 

ब्रह्मा मंदिर 

भगवान ब्रह्मा का एक मात्र मंदिर पुष्कर में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में शादीशुदा पुरुषों का जाना वर्जित है। पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी पुष्कर झील के किनारे अपनी पत्नी सरस्वती के साथ यज्ञ कर रहे थे लेकिन देवी सरस्वती किसी बात से नाराज हो गईं जिसके बाद उन्होंने शाप दिया कि इस मंदिर में जो भी विवाहित व्यक्ति इस मंदिर में प्रवेश करेगा उसके जीवन में समस्या उत्पन्न होगी। तब से इस मंदिर में विवाहित पुरुष प्रवेश नहीं कर सकते।

पढें भारत के आखिरी छोर में स्थित इस मंदिर की पौराणिक कथा!

Dharma

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