मार्च महीने की आखिरी तारीख यानी की 31 मार्च के दिन भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाएगा। भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए इस व्रत का बेहद ही महत्व बताया जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी तिथि आती है पहली शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में। भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत के बारे में ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी व्यक्ति सच्ची आस्था के साथ इस दिन का व्रत और पूजन करता है भगवान गणेश उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी अवश्य करते हैं।
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भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त 2021
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी बुधवार, मार्च 31, 2021 को
संकष्टी के दिन चंद्रोदय – 09 बजकर 39 मिनट
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – मार्च 31, 2021 को 02 बजकर 06 मिनट (दोपहर)
चतुर्थी तिथि समाप्त – अप्रैल 01, 2021 को 10 बजकर 59 मिनट (सुबह)
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भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि और महत्व
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय का दर्जा दिया गया है। यानी कि किसी भी पूजा, शुभ का या फिर मांगलिक काम से पहले विघ्नहर्ता की पूजा की जाती है। प्रसन्न होने पर भगवान गणेश अपने भक्तों के जीवन से सभी दुख, कष्ट और परेशानियों को दूर करते हैं और इसी वजह से भगवान गणेश गणेश का एक नाम विघ्नहर्ता भी होता है। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी व्रत करने से भी व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, सभी दुख तकलीफ दूर होते हैं और साथ ही नौकरी और पेशेवर जीवन से संबंधित तमाम परेशानियां भी दूर होती है।
भगवान गणेश की पूजा करने की सही विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनकर भगवान गणेश की पूजा प्रारंभ करें। भगवान गणेश को तिल, गुड़, लड्डू, मोदक काफी प्रिय होते हैं। इसके अलावा इस दिन की पूजा में दूर्वा, चंदन अवश्य शामिल करें। भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और गणेश मंत्र का स्पष्ट उच्चारण पूर्वक जप करें। व्रत रह सकते हैं तो नियम पूर्वक इस दिन का व्रत करें और नहीं तो विधिपूर्वक पूजा करने से भी भगवान गणेश की प्रसन्नता हासिल की जा सकती है।
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इस दिन की पूजा दो बार की जाती है। ऐसे में चंद्रोदय से पहले दोबारा स्नान करें और गणपति भगवान की पूजा करें। इस दिन की व्रत कथा सुने और दूसरों को सुनाएं और चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपनी पूजा पूरी करें।
आशा करते हैं इस लेख में दी गई जानकारी आपको पसंद आयी होगी।
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