इस शुभ योग में रखा जाएगा भाद्रपद पूर्णिमा 2023 व्रत; राशिनुसार उपाय से दूर होंगी सभी परेशानियां!

सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व माना जाता है। हर साल 12 पूर्णिमा पड़ती है। इन्हीं में से एक भाद्रपद माह में पड़ने वाली पूर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है। इस पूर्णिमा को भाद्रपद पूर्णिमा, भादो पूर्णिमा व पूर्णिमा श्राद्ध के नाम से जाना जाता है। इसे पूर्णिमा श्राद्ध इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसी तिथि से पितृपक्ष आरंभ हो जाते हैं जो अश्विन की अमावस्या तक चलते हैं। इसी तिथि से लोग अपने पितरों को याद करते हुए उनकी शांति व उनकी मुक्ति के लिए उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करते हैं। हालांकि, इस तिथि को श्राद्ध पितृ पक्ष का हिस्सा नहीं माना जाता है। इस दिन स्नान, पूजा-पाठ, तर्पण, दान आदि करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। ख़ास बात यह है कि इस साल भाद्रपद पूर्णिमा के दिन बेहद शुभ योग का निर्माण हो रहा है और योग की वजह से इस पूर्णिमा का महत्व और अधिक बढ़ गया है। आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और विस्तार से जानते हैं भाद्रपद पूर्णिमा 2023 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, कथा और राशिनुसार उपाय के बारे में। साथ ही, जानेंगे कि इस दिन कौन सा शुभ योग बन रहा है।

Varta Astrologers

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

भाद्रपद पूर्णिमा 2023: तिथि व समय

इस बार भाद्रपद पूर्णिमा 2023 में 29 सितंबर 2023 को होगी। पूर्णिमा तिथि का आरंभ 28 सितंबर, 2023 की शाम 06 बजकर 51 बजे शुरू होगी और इसका समापन 29 सितंबर, 2023 की दोपहर 03 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी।

भाद्रपद पूर्णिमा 2023: शुभ योग

इस साल भाद्रपद पूर्णिमा के दिन विशेष योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन वृद्धि योग बन रहा है। इस योग में किए गए कार्य में खूब वृद्धि होती है और यह सबसे उत्तम योग माना जाता है। इस योग में किए गए काम में कोई रुकावट नहीं आती है और व्यक्ति सफलता प्राप्त करता है। वृद्धि योग में पूजा और पितरों का श्राद्ध करना बेहद फलदायी रहेगा।

वृद्धि योग का समय: यह योग 29 सितंबर की रात 08 बजकर 02 मिनट तक रहेगा।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा 

भाद्रपद पूर्णिमा का महत्व

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करने का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि माना जाता है कि भगवान सत्यनारायण ने भी इस व्रत को किया था। इस दिन सत्यनारायण का पाठ करवाने से व्यक्ति को धन-धान्य की कमी नहीं रहती है। इस पूर्णिमा का व्रत रखने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और सभी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन उमा-महेश्वर व्रत भी रखा जाता है। उमा-महेश्वर व्रत रखने से जातक को कई लाभ प्राप्त होते हैं। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है। इसके अलावा इस दिन दान-स्नान करना भी शुभ होता है। 

भाद्रपद पूर्णिमा व्रत: पूजा विधि

  • भाद्रपद पूर्णिमा के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें और फिर मंदिर के समझ बैठकर व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद पूजा वाले स्थान को साफ कर भगवान सत्यनारायण की मूर्ति स्थापित करें। 
  • पूजा के लिए पंचामृत और आटा व सूजी का प्रसाद बना लें। इसके बाद भगवान सत्यनारायण की कथा सुनिए।
  • कथा के बाद भगवान सत्यनारायण, माता लक्ष्मी, भगवान शिव, माता पार्वती की आरती अवश्य करें।
  • इसके बाद सबको प्रसाद बांटे।
  • रात में फलाहार भोजन करें और सुबह दान- पुण्य करके व्रत पारण करें।

नये साल में करियर की कोई भी दुविधा कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट से करें दूर

 भाद्रपद पूर्णिमा व्रत की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार महर्षि दुर्वासा भगवान शंकर से भेंट करके वापस आ रहे थे। इसी बीच रास्ते में उनकी मुलाकात भगवान विष्णु से हो गई। महर्षि दुर्वासा ने उन्हें बताया कि वो शिवजी के दर्शन करके आ रहे हैं और इसके बाद उन्होंने बिल्वपत्र की माला भगवान विष्णु को भेंट की लेकिन विष्णु जी ने उस माला को स्वयं पहनने के बजाय गरुड़ को पहना दी। जिस पर महर्षि दुर्वासा को काफी क्रोध आ गया और उन्होंने क्रोध में आकर भगवान विष्णु को श्राप देते हुए कहा कि ‘आपको अपने ऊपर बड़ा घमंड है, मैं आपको श्राप देता हूं कि आपका सारा सुख खत्म हो जाएगा, आपकी पत्नी माता लक्ष्मी आपसे अलग हो जाएगी और शेषनाग भी आपकी सहायता नहीं कर सकेंगे।

इसके बाद भगवान विष्णु को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने महर्षि दुर्वासा से माफी मागंते हुए कहा कि अब मुझसे दोबारा ये गलती कभी नहीं होगी। जिसके बाद दुर्वासा शांत हो गए लेकिन उन्होंने कहा कि अब मैं श्राप को वापस नहीं ले सकता हूं लेकिन यदि आप उमा-महेश्वर का व्रत करते हैं तो आपको अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाएगी। तब भगवान विष्णु ने यह व्रत किया और इसके प्रभाव से भगवान विष्णु को उनकी शक्ति वापिस मिल गई और वह सभी पापों से मुक्त हो गए।

भाद्रपद पूर्णिमा पर जरूर करें ये काम

  • इस दिन सुबह पवित्र नदी में स्नान आदि करने के बाद दान-पुण्य अवश्य करें। यदि नदी में स्नान करना संभव न हो तो, घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल डाल कर स्नान करें।
  • एक तांबे के लोटे में सूर्य देवता को अर्घ्य दें। इसके साथ ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का निरंतर जाप करें।
  • पूर्णिमा के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा अवश्य करें और दूध व दही से उनका अभिषेक करें। इसके साथ ही ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। इसके बाद शिवलिंग में बेलपत्र, शमी, धतूरा, आक का फूल भी चढ़ाएं।
  • इसके अलावा इस दिन पूर्णिमा में हनुमान जी की पूजा करने से विशेष लाभ मिलेगा। इसलिए हनुमान चालीसा या फिर सुंदरकांड का पाठ करें।
  • भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा सुनना बेहद फलदायी माना जाता है।
  • इस दिन शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करें। इसके साथ ही जरूरतमंदों को अनाज व जरूरत का सामान दान करें।

ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें

भाद्रपद के दिन बन रहे ख़ास योग में करें राशिनुसार उपाय

भाद्रपद के दिन चंद्रमा के साथ भगवान विष्णु और देवी माता लक्ष्मी की पूजा करना फलदायी होता है। इन्हें प्रसन्न करने के लिए पूजा के साथ-साथ ये उपाय भी करने चाहिए। आइए जानते हैं इस दिन किए जाने वाले राशिनुसार उपायों के बारे में।

मेष राशि

भाद्रपद पूर्णिमा के दिन मेष राशि के जातकों को चंद्रमा को दूध और चीनी के मिश्रण का अर्घ्य देना चाहिए या फिर दूध की खीर का प्रसाद के रूप में भोग लगाना चाहिए।

वृषभ राशि

वृषभ राशि वाले जातकों को इस दिन धन-संपदा प्राप्ति के लिए लक्ष्मी स्त्रोत या कनकधारा स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। साथ ही पूर्णिमा की मध्य रात्रि को भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए और रात के समय घर के मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से घर में माता लक्ष्मी का वास होता है।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों को इस दिन सफेद रंग की वस्तुओं जैसे दूध, सफेद मिठाई, चांदी या सफेद वस्त्र किसी जरूरतमंद व्यक्ति को दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

कर्क राशि 

इस राशि के जातकों को भाद्रपद पूर्णिमा के दिन देवी माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। पूजा के दौरान माता लक्ष्मी को चांदी का चौकोर टुकड़ा अर्पित करना चाहिए। पूजा समाप्त होने के बाद उस टुकड़े को सदैव अपने पर्स पर रखे रहना चाहिए।

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों को इस दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए और उसके समीप एक दीपक जलाना चाहिए फिर सात बार वृक्ष की परिक्रमा करनी चाहिए।

कन्या राशि

कन्या राशि वालों को भाद्रपद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय होने पर जल में कच्चा दूध, चावल और चीनी मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए और इस दौरान ॐ स्रां स्रीं स्रौं स: चन्द्रमसे नम: मंत्र का जप करते रहना चाहिए।

तुला राशि

इस राशि वाले जातकों को इस पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने 11 या 21 कौड़ियों पर हल्दी का लेप लगाकर माता लक्ष्मी के चरणों में रख देना चाहिए और फिर हल्दी या केसर का तिलक लगाकर विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। उसके अगले दिन इन कौड़ियों को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या अलमारी में रख देना चाहिए।

वृश्चिक राशि

इस राशि वालों को भाद्रपद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी को इत्र, अगरबत्ती अर्पित करना चाहिए और घर या व्यवसाय में व्यापार वृद्धि यंत्र या श्रीयंत्र की स्थापना करना चाहिए और विधिवत इनकी पूजा करनी चाहिए।

धनु राशि

इस दिन धनु राशि वालों को महालक्ष्मी का व्रत रखकर रात के समय महालक्ष्मी को खीर का भोग लगाना चाहिए और फिर पांच या सात कुंवारी कन्याओं को भोजन कराना चाहिए। इसके बाद सामर्थ्य अनुसार कन्याओं को दान-दक्षिणा देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए ।

मकर राशि

मकर राशि के जातकों को खासकर छात्रों को इस दिन माता सरस्वती का ध्यान करना चाहिए। इसके साथ ही गरीब व जरूरतमंद बच्चों को किताबें, रबड़,पेंसिल या कपड़े दान करना चाहिए।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जो जातक व्यापारी हैं या जिनका खुद का कोई बिज़नेस हैं उन्हें इस दिन शाम को भगवान शिव के निकट एक मिट्टी के दीए में केसर डालकर देसी घी का दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद वहीं पर बैठकर पंचाक्षरी मंत्र का जाप करना चाहिए। 

मीन राशि

इस दिन मीन राशि वालों को हनुमान चालीसा का 108 बार पाठ कर करना चाहिए। ऐसा करने से स्वयं हनुमान जी सारी इच्छाएं पूरी करेंगे। पाठ करने से पहले हनुमान जी की पूजा करें, उन्हें सिंदूर का चोला चढ़ाएं, गुड़-चने का प्रसाद, लाल फूलों की माला, इत्र आदि अर्पित करें।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.