हिन्दू धर्म में शारदीय नवरात्रि के त्यौहार को ख़ासा महत्वपूर्ण माना जाता है। नौ दिनों के इस त्यौहार को मुख्य रूप से उत्तर भारत में काफी धूमधाम के साथ मनाया। आप नवरात्रि का त्यौहार हर साल मनाते होंगें लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की आखिर इस त्यौहार की शुरुआत कब और कैसे हुई। आज हम आपको मुख्यरूप से इसी बारे में बताने जा रहे हैं कि नवरात्रि या दुर्गा पूजा की शुरुआत कब और किसने की। आइये जानते हैं कब और कैसे शुरू हुई इस त्यौहार को मनाने की प्रथा।
शारदीय नवरात्रि 2019
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत मुख्य रूप से आने वाले 29 सितंबर से होने जा रही है। नवरात्रि का त्यौहार मुख्य रूप से देवी दुर्गा के नौ रूपों की उपासना करने के लिए मनाया जाता है। इस दौरान भक्त व्रत रखकर और पूजा पाठ के जरिये देवी माँ को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। जहाँ बंगाल और बिहार में दुर्गा पूजा के नौ दिनों के अंतराल देवी माँ की प्रतिमा स्थापित कर जगह-जगह पर भव्य पंडाल लगाएं जाते हैं वहीं गुजरात में नौ दिनों तक डांडिया और गरबा की धूम रहती है। इस त्यौहार को मनाने का अंदाज भले ही सभी क्षेत्रों के लोगों का अलग हो लेकिन मकसद एक ही होता है। हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार हर साल शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होती है जो दशमी तिथि तक चलती है।
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वैसे तो साल में तीन बार नवरात्रि मनाई जाती है लेकिन इनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण शारदीय नवरात्रि को माना जाता है। शारदीय नवरात्रि के अलावा चैत्र नवरात्रि और गुप्त नवरात्रि भी मनाई जाती है। शारदीय नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से लोग अपने-अपने घरों में कलश स्थापित करते हैं और इस दौरान विधि पूर्वक दुर्गा पाठ और दुर्गा स्त्रोत का पाठ किया जाता है।
कब और कैसे हुई नवरात्र की शुरुआत
हमारे हिन्दू धर्मशास्त्र के अनुसार नवरात्रि पर्व की शुरुआत वास्तव में भगवान् श्री राम द्वारा की गयी थी। ऐसी मान्यता है कि रामायण काल में भगवान् श्री राम ने रावण से युद्द पर विजय प्राप्त करने के लिए शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को माँ दुर्गा के लिए व्रत रखकर शारदीय नवरात्रि का आहवान किया था। माना जाता है कि श्री राम ने लगातार नौ दिनों तक देवी माँ की पूजा अर्चना कर उनसे विशेष आशीर्वाद प्राप्त किया था और अंत में जाकर नवरात्रि के दशवें दिन उन्होनें रावण का वध कर लंका पर विजय पाई थी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन के बाद से ही हर साल उन नौ दिनों को शारदीय नवरात्रि के रूप में मनाया जाने लगा।
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बहरहाल अब आप जान चुके होंगें की कब और कैसे हुई थी नवरात्रि मनाने की शुरुआत। इस त्यौहार के दसवें दिन विजयदशमी या दशहरे का पर्व मनाया जाता है जिसे “असत्य पर सत्य की जीत” का प्रतीक माना जाता है।