बैसाखी का पर्व सिख समुदाय के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण होता है। आमतौर पर प्रत्येक वर्ष में 13 या 14 अप्रैल को यह त्यौहार मनाया जाता है। कहा जाता है कि यह वही दिन है जिस दिन सिख धर्म के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। इसके अलावा हिंदू धर्म में इस दिन का इसलिए भी विशेष महत्व होता है क्योंकि इसी दिन सूर्य ग्रह मेष राशि में प्रवेश करते हैं।
इस वर्ष बैसाखी के पर्व के दिन ही अंबेडकर जयंती भी मनाई जाएगी। अपने इस स्पेशल ब्लॉग के माध्यम से जानते हैं बैसाखी का महत्व क्या होता है? इसे कैसे मनाते हैं? और साथ ही जानते हैं अंबेडकर जयंती से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण और रोचक बातें।
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बैसाखी 2022: कब है?
14 अप्रैल, 2022 (गुरुवार)
बैसाखी कैसे मनाते हैं?
- इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद गुरुद्वारे जाकर पूजा करते हैं।
- गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब जी को और उनकी जगह को शुद्ध किया जाता है।
- इसके बाद पवित्र किताब को ताज के साथ उनकी जगह पर वापस रखा जाता है।
- इसके बाद किताब को पढ़ा जाता है और लोगों को सुनाया जाता है।
- साथ ही इस दिन गुरु की वाणी भी सुनाई जाती है।
- इसके बाद श्रद्धालु लोगों के लिए विशेष प्रकार का अमृत तैयार किया जाता है।
- इस दिन अनुयाई एक पंक्ति में लगकर अमृत को 5 बार ग्रहण करते हैं।
- इसके बाद अरदास की जाती है जिसके बाद लोगों को प्रसाद दिया जाता है।
- अंत में लोग लंगर में खाना खाते हैं।
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बैसाखी महत्व
बैसाखी का यह पर्व नववर्ष की शुरुआत के रूप में भी जाना जाता है। इस दिन लोग अनाज की पूजा करते हैं और फसल कटकर घर आने की खुशी मनाते हैं और इसके लिए भगवान का आशीर्वाद लेते हैं और उन्हें धन्यवाद करते हैं। बैसाखी का त्योहार केवल पंजाब में ही नहीं बल्कि भारत में अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।
जैसे असम में इसे बीहू कहते हैं, बंगाल में नबा वर्षा, केरल में पूरम विशु के नाम से त्यौहार को जाना और मनाया जाता है।
हालांकि पंजाब में दिन का विशेष महत्व होता है क्योंकि जहां एक तरफ किसान इस दिन नई फसल पकने की खुशी मनाते हैं वहीं यह वही दिन है जब 13 अप्रैल, 1699 को सिख पंथ के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। साथ ही यह दिन पंजाबी नए वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी होता है।
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खालसा पंथ क्या है?
खालसा सिख धर्म के विधिवत शिक्षा प्राप्त अनुयायियों का एक सामूहिक रूप है। कहा जाता है कि 13 अप्रैल, 1699 को बैसाखी वाले दिन गुरु गोबिंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी और इसी दिन उन्होंने पंच प्यारों (भाई साहिब सिंह, भाई धरम सिंह, भाई हिम्मत सिंह, भाई मोहकम सिंह और भाई दया सिंह) को अमृत पान करवाकर खालसा बनाया था और उसके बाद उन पंज प्यारों के ही हाथ से खुद भी अमृत पान किया था।
इस त्यौहार का नाम कैसे पड़ा बैसाखी?
इसके पीछे का किस्सा रोचक है, दरअसल कहते हैं कि बैसाखी के दिन आकाश में विशाखा नक्षत्र होता है। विशाखा नक्षत्र पूर्णिमा में होने के चलते इस महीने को बैसाखी के माह के नाम से जानते हैं। इसके अलावा हर साल 13 या फिर 14 अप्रैल को ही बैसाखी माई जाती है। इसके पीछे का तर्क यह है कि यह त्योहार तब मनाया जाता है जब सूर्य ग्रह राशि चक्र की पहली राशि मेष में प्रवेश करता है और सूर्य का यह गोचर यानी सूर्य का राशि परिवर्तन हर साल 13 या 14 अप्रैल को ही होता है। ऐसे में इसी दिन बैसाखी मनाई जाती है।
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बैसाखी के ये उपाय दिलाएंगे सुख समृद्धि का अपार वरदान
- बैसाखी के दिन गेहूं का दान अवश्य करें। ऐसा करने से आपकी प्रतिष्ठा और आत्मविश्वास में वृद्धि होगी।
- बैसाखी के दिन यदि आटे के दीपक बनाकर उसमें गेहूं के कुछ दाने डालकर इसे देसी घी से जला कर घर के ईशान कोण में रखा जाए तो घर में सुख समृद्धि आती है।
- बैसाखी के दिन चावल की खीर बनाकर गरीब व्यक्तियों को खिलाएं। ऐसा करने से जीवन में आर्थिक संपन्नता का वरदान प्राप्त होता है।
- बैसाखी के दिन उड़द दाल की खिचड़ी बनाकर गरीब व्यक्तियों को खिलाएं। ऐसा करने से आपको करियर में सफलता और उन्नति प्राप्त होगी।
- इस दिन गायों को भीगे हुए चने की दाल खिलाएं। ऐसा करने से शिक्षा के क्षेत्र में आपको अपार सफलता मिलेगी।
- व्यापार में वृद्धि और लाभ के लिए आप बैसाखी के दिन साबुत मूंग का दान कर सकते हैं।
- यदि आपके जीवन में मानसिक तनाव हद से ज्यादा बढ़ गया है तो बैसाखी के दिन दूध का दान करें। आपको राहत मिलेगी।
- यदि आये दिन आपका स्वास्थ्य खराब रहता है या आप लम्बे समय से बीमारियों से जूझ रहे हैं तो बैसाखी के दिन फलों का दान करना आपके लिए शुभ रहेगा।
इस वर्ष बैसाखी के साथ ही अंबेडकर जयंती मनाई जाएगी। प्रत्येक वर्ष 14 अप्रैल को बाबासाहेब अंबेडकर की जयंती अंबेडकर जयंती के रूप में देशभर में मनाई जाती है। डॉ बी आर आंबेडकर को भारतीय संविधान के पिता का दर्जा दिया जाता है। उन्होंने आजादी के बाद भारत के पहले कानून और न्याय मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त किया था।
भारत में ही नहीं दुनिया के कई देशों में अंबेडकर जयंती मनाई जाती है। कई जगहों पर इस दिन को समानता दिवस और ज्ञान दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जीवन अपने आप में बेहद ही सराहनीय रहा है। उन्होंने अपने जीवन काल में सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अथक लड़ाईयां लड़ी थीं।
ऐसे में अंबेडकर जयंती पर अलग-अलग जगहों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा कई जगहों पर सांस्कृतिक आयोजन जैसे कि नृत्य, गायन, चित्रकारी, नाटक, आदि प्रतियोगिता भी आयोजित की जाती है।
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