श्री अटल बिहारी वाजपेयी
भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था। वे एक ओजस्वी वक्ता, कवि और राजनेता हैं। साल 1998 से 2004 तक अटल जी भारत के प्रधानमंत्री रहे।
जन्म कुंडली
नवांश कुंडली
त्रिशांश कुंडली
अटल जी की जन्म कुंडली के अनुसार उनका जन्म वृश्चिक लग्न में हुआ है और उनकी चंद्र राशि वृश्चिक है। वहीं उनका जन्म नक्षत्र ज्येष्ठा है। वर्तमान समय में वे शनि की महादशा में शनि की अंतर्दशा और शुक्र की प्रत्यंतर दशा से गुज़र रहे हैं और यह दशा 28 जून 2018 तक चलेगी। इसके बाद शनि की महादशा में शनि की अंतर्दशा और सूर्य की प्रत्यंतर का प्रभाव उनके ऊपर होगा। इसके अलावा उनके ऊपर शनि की साढ़े साती भी चल रही है, जो जनवरी 2020 तक समाप्त होगी।
अटल जी की जन्म कुंडली में शनि की महादशा और अंतर्दशा चल रही है। शनि जो कि तृतीय और चतुर्थ भाव का स्वामी है और द्वादश भाव में स्थित है। शनि पर मंगल की दृष्टि है। वहीं शनि सूर्य, बृहस्पति, बुध और राहु को देख रहा है। चूंकि तृतीय भाव अष्टम भाव से अष्टम स्थान पर स्थित है, इसलिए यहां शनि से ज्यादा अच्छे परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती है। शुक्र की प्रत्यंतर दशा चल रही है, शुक्र जो कि स्वयं सप्तम और द्वादश भाव का स्वामी है और लग्न भाव में चंद्रमा के साथ बैठा है। यह एक मारक ग्रह है इसलिए स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को जन्म दे सकता है। कुल मिलाकर शनि की महादशा और अंतर्दशा दिसंबर 2019 तक रहेगी, इसलिए वर्ष 2019 स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से ज्यादा लाभकारी नहीं रहने वाला है। इस अवधि में सेहत संबंधी परेशानियां हो सकती हैं।
वर्तमान समय में शनि और बृहस्पति दोनों ग्रह वक्री अवस्था में हैं। यह स्थिति दिखाती है कि अटल जी की कुंडली में तृतीय और सप्तम भाव सक्रिय हैं। ये स्थिति स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छी नहीं है। हालांकि आजकल लग्न भाव का स्वामी मंगल उच्च स्थिति में है, जो कि उन्हें रोगों से लड़ने की शक्ति और साहस प्रदान करेगा। लेकिन इस वर्ष जून के अंतिम दिनों में मंगल भी वक्री हो जाएगा, चूंकि यह छठे भाव का स्वामी भी है और वक्री अवस्था में ही जन्म-कालीन केतु के ऊपर तीसरे भाव में गोचर करेगा। जिसकी वजह से अटल जी को पुनः कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
फिलहाल शनि धनु राशि में जन्म-कालीन सूर्य, बुध और बृहस्पति के ऊपर गोचर कर रहा है। बुध यहां अष्टम और एकादश भाव का स्वामी है। सूर्य दशम भाव का स्वामी और बृहस्पति जो कि एक और अन्य मारक भाव का स्वामी होकर द्वितीय भाव का स्वामी है। शनि और बृहस्पति के गोचर से चतुर्थ और अष्टम भाव सक्रिय हो गये हैं। यह स्थिति दर्शाती है कि अटल जी के लिए यह समय थोड़ा परेशानी भरा हो सकता है। शनि को काल और बृहस्पति को जीव के रूप में जाना जाता है, सूर्य आत्मा है, इसलिए हम कह सकते हैं कि दिसंबर 2019 तक का समय उनके लिए अच्छा नहीं है। विशेषकर इस साल सितंबर तक का समय कष्टकारी रह सकता है। इसके अतिरिक्त बुध ग्रह की अंतर्दशा दिसंबर 2019 से शुरू होगी। हालांकि यह भी ज्यादा अच्छी नहीं होगी। इस दौरान उनकी सेहत का अत्यधिक ख्याल रखना होगा और उन्हें मेडिकल केयर की आवश्यकता होगी। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी हमारे देश की महान विभूतियों में से एक हैं, इसलिए हम उनके सेहतमंद रहने की कामना करते हैं।
एस्ट्रोसेज की ओर से अटल जी को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की शुभकामनाएँ!