हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीना साल का चौथा महीना माना जाता है। यह ज्येष्ठ महीने के बाद और सावन महीने के पहले पड़ता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सनातन धर्म में प्रत्येक महीने का नाम नक्षत्रों के हिसाब से रखा गया है यानी कि प्रत्येक महीने की पूर्णिमा तिथि को चंद्रमा जिस भी नक्षत्र में मौजूद रहता है, उसी नक्षत्र के नाम पर महीने का नाम होता है। जैसे कि आषाढ़ महीने की पूर्णिमा में चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा या उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में मौजूद रहता है, ऐसे में इस महीने का नाम इन्हीं दो नक्षत्रों के नाम पर आधारित है।
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आषाढ़ महीने को वर्षा ऋतु की शुरुआत माना जाता है। जाहिर है कि ज्येष्ठ महीने की तप्ति गर्मी के बाद आषाढ़ महीना आम लोगों के लिए सुकून के पल लेकर आता है। हालांकि आषाढ़ महीने में संक्रमण आदि का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में इस महीने के दौरान अपनी सेहत का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। साल 2021 में आषाढ़ का महीना 25 जून को शुक्रवार के दिन से शुरू हो रहा है और 24 जुलाई को शनिवार के दिन इसका समापन हो जाएगा। इसके बाद सावन के पवित्र महीने की शुरुआत होगी।
ऐसे में आज हम आपको इस लेख में आषाढ़ महीने का महत्व और इस महीने में पड़ने वाले पर्वों के अलावा इस महीने रखी जाने वाली सावधानियों की जानकारी देने वाले हैं।
आषाढ़ महीने का महत्व
हिन्दू पंचांग में आषाढ़ महीना कई मानों में खास माना जाता है। इसी महीने में पुरी की विश्व प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है। इसके अलावा इस महीने में ही देवशयनी एकादशी का व्रत पड़ता है। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु अगले चार महीनों के लिए सो जाते हैं और इसके बाद वे देवउठनी एकादशी के दिन जगते हैं। यही वजह है कि चार महीनों के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्य पर पाबंदी होती है। हालांकि पूजा-पाठ, धर्म-कर्म इत्यादि के लिए यह चार महीने उपयुक्त माने गए हैं। इस अवधि को चातुर्मास कहते हैं।
इसके अलावा आषाढ़ महीने में गुप्त नवरात्रि का पर्व भी मनाया जाता है जो कि तंत्र सिद्धियों के लिए सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। इस महीने में भगवान श्री हरि विष्णु की उपासना करने से संतान की प्राप्ति होती है। वहीं जल देवता की उपासना से धन और ऊर्जा की प्राप्ति के लिए भगवान सूर्य की पूजा की जाती है।
आइये अब इस महीने में पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की तिथि पर एक नजर डाल लेते हैं।
आषाढ़ महीने में पड़ने वाले प्रमुख व्रत और त्योहार की तिथि
योगिनी एकादशी : प्रत्येक वर्ष योगिनी एकादशी का व्रत आषाढ़ माह की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष यानी कि साल 2021 में यह व्रत 05 जुलाई को सोमवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन विशेष तौर से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
आषाढ़ अमावस्या : सनातन धर्म में अमावस्या का बड़ा महत्व है। यह दिन, दान-पुण्य, पितरों आदि के लिए तर्पण करने के लिहाज से बहुत ही उपयुक्त माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है। साल 2021 में यह दिन 09 जुलाई को शुक्रवार के दिन पड़ रही है।
गुप्त नवरात्रि : प्रत्येक साल चार नवरात्रि पड़ती है जिसमें से दो नवरात्रि प्रत्यक्ष होती है और दो गुप्त मानी जाती हैं। आषाढ़ नवरात्रि भी गुप्त नवरात्रि ही मानी जाती है। साल 2021 में आषाढ़ नवरात्रि 11 जुलाई को रविवार के दिन शुरू होने जा रही है।
जगन्नाथ यात्रा : उड़ीसा के पुरी में मौजूद भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथयात्रा प्रत्येक साल आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। साल 2021 में यह यात्रा 12 जुलाई को सोमवार के दिन निकाली जाएगी।
देवशयनी एकादशी : प्रत्येक वर्ष आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु चार महीने के लिए सो जाते हैं। इसी दिन से चातुर्मास लग जाता है। साल 2021 में यह एकादशी 20 जुलाई को मंगलवार के दिन पड़ रही है।
आषाढ़ पूर्णिमा : सनातन धर्म में पूर्णिमा का भी खास महत्व है। इस दिन स्नान, ध्यान, दान-पुण्य से जीवन में खुशियाँ आती हैं और सभी कष्ट दूर होते हैं। विशेष तौर से इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है। साल 2021 में यह तिथि 23 जुलाई को शुक्रवार के दिन पड़ रही है।
आइये अब आपको आषाढ़ महीने में रखे जाने वाले कुछ विशेष सावधानियों के बारे में बता देते हैं।
आषाढ़ महीने में रखें ये सावधानियाँ
आषाढ़ महीने में संक्रमण वाले रोग का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। इस वजह से हमें इस महीने में जितना हो सके जलयुक्त और रसीले फल खाने चाहिए। इस महीने में बेल खाने से परहेज करना चाहिए। इसके साथ ही तली-भुनी चीजें खाने से भी आपका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। कोशिश रहे कि इस महीने जितना ज्यादा हो सके विटामिन सी से युक्त चीजों को अपने भोजन में शामिल करें जैसे कि नींबू आदि।
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